साभार: जागरण समाचार
स्कूलों में वार्षिक परिणाम घोषित किए जा रहे हैं, इसके साथ ही किताबों की लिस्ट दी जा रही है। जिसमें स्पष्ट बताया जा रहा है कि आपको किताब हमारी फिक्स दुकान से ही मिलेगी। यहां तक कि आपको नोट बुक,
रजिस्टर स्कूल की कैंटीन से ही मिलेगा। 20 रुपये वाले रजिस्टर की कीमत 70 रुपये चुकानी होगी। सिर्फ रजिस्टर पर स्कूल का नाम छपा है। प्राइवेट स्कूलों की मनमानी शुरू हो चुकी है। शिक्षा विभाग की तरफ से अभी तक इस संबंध में कोई सख्त आदेश भी जारी नहीं किए गए हैं। अब तक किसी भी स्कूल पर कार्रवाई न होने से प्राइवेट स्कूल संचालकों के हौंसले बुलंद को रहे हैं।
अभिभावक परेशान: स्कूल संचालकों द्वारा मार्केट में दुकानें फिक्स करने से बुक सेलर मुंह मांगी कीमत मांग रहे हैं। अभिभावकों का आरोप है कि फिक्स दुकान के अलावा किसी भी दुकान पर संबंधित स्कूल की किताब नहीं मिल रही है। आलम यह है कि पहली कक्षा में पढ़ने वाले छात्र की किताबों का सेट मार्केट में 36 सौ रुपये में मिल रहा है।
सत्र शुरू होने से पहले ही शुरू हो जाता है कमीशन का खेल: स्कूल व बुक संचालकों के बीच कमीशन का खेल दो से तीन महीने पहले शुरू हो जाता है। स्कूल संचालक एनसीइआरटी की किताबों की जगह प्राइवेट पब्लिशियर्स की किताबें लगवाते हैं। मार्केट में एनसीइआरटी की किताबों की डिमांड न होने के कारण दुकानदारों को मजबूरन स्कूलों से सेटिंग करनी पड़ती है। स्कूल संचालक खुद के कमीशन के चक्कर में बुक स्टोर संचालक से सेटिंग कर लेते हैं। संबंधित स्कूल की किताबें सिर्फ एक ही दुकान पर मिलती है। जिसकी एनसीइआरटी की किताबों से कई गुना अधिक कीमत वसूली जाती है। बुक स्टोर संचालक खुद मानते हैं कि एनसीइआरटी की किताबें बिकती ही न के बराबर हैं इसलिए प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें मंगवाई जाती हैं। प्राइवेट पब्लिशर्स की सभी किताबें पूरी नहीं कर पाते इसलिए मजबूरन दुकानें फिक्स करनी पड़ती हैं।
एनसीइआरटी की किताबें पढ़ाने से कर रहे परहेज: शिक्षा विभाग का आदेश है कि स्कूल में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड तथा सीबीएसई की तय की गई किताबें ही पढ़ाई जाएं। लेकिन इसके विपरीत स्कूल एनसीइआरटी की किताबें न पढ़ाकर प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें पढ़ा रहे हैं। एनसीइआरटी की किताबों पर रेट फिक्स होते हैं जबकि प्राइवेट पब्लिशियर्स के खुद के रेट होते हैं। यहां तक कि स्कूल दाखिला के समय खुद ही किताबें बेच रहे हैं।
स्कूल प्रबंधन ही बता रहा-यहां से लीजिए किताब: किताबों के साथ-साथ नोटबुक का भी खेल चलता है। नोटबुक पर संबंधित स्कूल का नाम छपा होता है। स्कूल संचालकों द्वारा छात्रों पर दबाव डाला जाता है कि किताबें व नोटबुक फिक्स दुकान से ही मिलेगी।
यहां कई स्कूलों में दाखिला लेने के नाम पर प्रवेश परीक्षा ली जा रही है। इससे पहले फार्म भरवाया जा रहा है जिसके दौ सौ रुपये लिए जा रहे हैं। लेकिन इसकी रसीद नहीं दी जा रही है। फतेहाबाद के जवाहर चौक निवासी जितेंद्र का कहना है कि सीबीएसइ स्कूल में बच्चों के नए दाखिला के लिए गए तो प्रवेश परीक्षा फार्म भरवाया गया, जिसके दो सौ रुपये मांगे गए। जब रसीद मांगी गई तो देने से इंकार कर दी गई।
- स्कूलों को निर्देश दिए जा रहे हैं कि वह किताबें नहीं बेचेंगे। इसके अलावा नियम के अनुसार ही फीस लेंगे। कई जगह से प्रवेश परीक्षा के नाम पर वसूली और किताबें बेचने संबंधित शिकायत आई हैं। यह नियमों के खिलाफ है। इस संबंध में जांच करवाई जाएगी। - दयानंद सिहाग, जिला शिक्षा अधिकारी फतेहाबाद