Wednesday, December 26, 2012

भारत का राष्ट्रीय गान : गुरुदेव की एक अनुपम कृति




भारत का राष्ट्रीय गान - जन गण मन। पहली बार ठीक 101 साल 27 दिसंबर, 1911 को कलकत्ता के कांग्रेस अधिवेशन में गाया गया और इसे राष्ट्रीय गान के रूप में 24 जनवरी, 1950 को आधिकारिक रूप से स्वीकार किया किया गया। आइये, हमारे राष्ट्रीय गान के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानें:
हमारे राष्ट्रीय गान के रचयिता नोबल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर थे। वास्तव में जो राष्ट्रीय गान हम गाते हैं, वह टैगोर द्वारा रचित "ब्रह्म भजन" का एक अंश है। तत्सम बंगाली भाषा में इस गीत की रचना टैगोर ने 1911 में की थी, जिसमें उन्होंने ईश्वर को
सर्वशक्तिमान और भारतभूमि के भाग्य-विधाता बताते हुए उनकी स्तुति की है। उनके इस गीत की शब्दावली को लेकर आज भी विरोधाभास है। यह लेख आप डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट नरेशजांगड़ा डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं। बहुत से लोगों का मानना है कि अपने किसी विशिष्ट मित्र के कहने पर इन्होंने जॉर्ज पंचम के स्वागत और उसके गुणगान के उद्देश्य से यह कविता लिखी थी। इस मत के लोगों का कहना है कि जॉर्ज पंचम को भारत का भाग्य विधाता बताया गया है और उसकी विजय की कामना की गई है। हालांकि गुरुदेव ने स्वयं इस तर्क को सिरे से खारिज भी कर दिया था। इसके इलावा कई लोगों का मत है कि राष्ट्रीय गान में भारत की एकता और अखंडता को बनाये रखने का प्रयास कवि ने बिलकुल भी नहीं किया। यह लेख आप डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट नरेशजांगड़ा डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं। "पंजाब-सिन्ध-गुजरात-मराठा, द्रविड़-उत्कल-बंग" पंक्तियों को लेकर कहा जाता रहा है कि कश्मीर, राजस्थान और पूर्वी, उत्तर-पूर्वी राज्यों को अलग क्यों रखा गया। उसके बाद यमुना और गंगा को ही महत्त्व क्यों दिया गया? गोदावरी, नर्मदा, कावेरी भी तो भारत की ही नदियां हैं, जो देश को एकसूत्र में बांधे हुए हैं। 2005 में यह मांग भी उठी कि राष्ट्रीय गान से "सिंध" शब्द को हटा दिया जाए, क्योंकि सिंध प्रांत तो 1947 में ही भारत से बाहर हो गया था। खैर वाद-विवाद काफी समय से चले आ रहे हैं और चलते रहेंगे भी। यह लेख आप डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट नरेशजांगड़ा डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं। आइये हम हमारे राष्ट्रीय गान का शब्दशः अर्थ जानें:

जन-गण-मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता।
पंजाब-सिंध-गुजरात-मराठा
द्रविड़-उत्कल-बंग।
विन्ध्य-हिमाचल-यमुना-गंगा
उच्छल-जलधि-तरंग। 
तव शुभ नामे जागे
तव शुभ आशीष मांगे
गाहे तव जय गाथा।
जन-गण-मंगलदायक जय हे
भारत भाग्य विधाता।
जय हे, जय हे, जय हे
जय-जय-जय-जय हे।।

शब्दों के अर्थ: जन = लोग, अधिनायक = स्वामी, विधाता = दिशा देने वाला, मराठा = महाराष्ट्र, द्रविड़ = दक्षिण भारत, उत्कल = उड़ीसा, बंग = बंगाल, जलधि = सागर (हिन्द महासागर के लिए प्रयुक्त शब्द), तव = तुम्हारा, गाहे = गुणगान करते हैं, मंगल दायक = शुभ करने वाला (शुभंकर)

अर्थात हे परमपिता परमेश्वर, आप लोगों के हृद्य के स्वामी हैं, आप भारतवर्ष के भाग्य को दिशा देने वाले हो, आपकी विजय हो। आपका नाम पंजाब, सिंध, गुजरात, महाराष्ट्र, दक्षिण भारत, उड़ीसा और बंगाल के हृद्य को ऊर्जा प्रदान करता है, विन्ध्याचल और हिमालय के पर्वतों में गूंजता है, गंगा-यमुना की लहरों में संगीत की तरह बजता है और हिन्द महासागर की लहरों से भी आपका ही नाम सुनाई पड़ता है। ये सब आपका शुभ आशीर्वाद मांगते हैं और आपकी स्तुति करते हैं। आप सब लोगों के लिए मंगलदायक अर्थात शुभ-कर्ता हैं, आप भारतवर्ष के भाग्य को दिशा देने वाले हो, आपकी विजय हो।आपकी विजय हो, विजय हो, विजय हो ।

बंगाली में राष्ट्रीय गान कुछ इस प्रकार है: 
জনগণমন-অধিনায়ক জয় হে.
ভারতভাগ্যবিধাতা
পঞ্জাব সিন্ধু গুজরাট মরাঠা
দ্রাবিড় উত্কল বঙ্গ
বিন্ধ্য হিমাচল যমুনা গঙ্গা
উচ্ছলজলধিতরঙ্গ
তব শুভ নামে জাগে
তব শুভ আশিস মাগে,
গাহে তব জয়গাথা |
জনগণমঙ্গলদায়ক জয় হে
ভারতভাগ্যবিধাতা
জয় হে, জয় হে, জয় হে,
জয় জয় জয়, জয় হে ॥ 
राष्ट्रीय गान का एक विशेष प्रोटोकॉल है, जिसका पालन  प्रत्येक भारतीय को करना होता है ।  राष्ट्रीय गान को लगभग 52 सेकेण्ड में पूरा करना होता है । राष्ट्रीय गान बजाये जाने के समय  सावधान की स्थिति में खड़े हों। यदि आप किसी छत के नीचे हैं तो राष्ट्रीय गान के समय खड़े होना अनिवार्य नहीं है 


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