Post
published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: राजीव दीक्षित जी के पेज से
बहुत समय पहले की बात है। एक राजा को उपहार में
किसी ने बाज के दो बच्चे भेंट किये। वे बड़ी ही अच्छी नस्ल के थे और
राजा ने कभी इससे पहले इतने शानदार बाज नहीं देखे थे। राजा ने उनकी देखभाल के लिए एक अनुभवी आदमी को नियुक्त कर दिया। जब कुछ महीने बीत गए तो राजा ने बाजों को देखने का मन बनाया, और उस जगह पहुँच गए जहाँ उन्हें पाला जा रहा था।
आप
यह पोस्ट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू
डॉट नरेशजांगड़ा डॉट
ब्लागस्पाट डॉट कॉम
पर पढ़ रहे
हैं। राजा ने देखा कि दोनों बाज काफी बड़े हो चुके थे और अब
पहले से भी शानदार लग रहे थे। राजा ने बाजों की देखभाल कर रहे आदमी से
कहा, ” मैं इनकी उड़ान देखना चाहता हूँ, तुम इन्हे उड़ने का इशारा करो।" आदमी ने ऐसा ही किया। इशारा मिलते ही दोनों बाज उड़ान भरने लगे, पर जहाँ
एक बाज आसमान की ऊंचाइयों को छू रहा था, वहीँ दूसरा कुछ ऊपर जाकर वापस
उसी डाल पर आकर बैठ गया जिससे वो उड़ा था। ये देख राजा को कुछ अजीब लगा। “क्या बात है जहाँ एक बाज इतनी अच्छी उड़ान भर रहा है वहीँ ये दूसरा बाज उड़ना ही नहीं चाह रहा?”, राजा ने सवाल किया। "जी हुजूर, इस बाज के साथ शुरू से यही समस्या है, वो इस डाल को छोड़ता
ही नहीं।” राजा को दोनों ही बाज प्रिय थे, और वो दुसरे बाज को भी उसी तरह
उड़ना देखना चाहते थे। अगले दिन पूरे राज्य में ऐलान करा दिया गया कि जो
व्यक्ति इस बाज को ऊँचा उड़ाने में कामयाब होगा उसे ढेरों इनाम दिया जाएगा।
फिर क्या था, एक से एक विद्वान् आये और बाज को उड़ाने का प्रयास करने लगे,
पर हफ़्तों बीत जाने के बाद भी बाज का वही हाल था, वो थोडा सा उड़ता और वापस
डाल पर आकर बैठ जाता। फिर एक दिन कुछ अनोखा हुआ, राजा ने देखा कि उसके
दोनों बाज आसमान में उड़ रहे हैं। उन्हें अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ
और उन्होंने तुरंत उस व्यक्ति का पता लगाने को कहा जिसने ये कारनामा कर
दिखाया था। वह व्यक्ति एक साधारण किसान था। अगले दिन वह दरबार में हाजिर हुआ। उसे
इनाम में स्वर्ण मुद्राएं भेंट करने के बाद राजा ने कहा, ” मैं तुमसे बहुत
प्रसन्न हूँ, बस तुम इतना बताओ कि जो काम बड़े-बड़े विद्वान् नहीं कर
पाये वो तुमने कैसे कर दिखाया।" “मालिक ! मैं तो एक साधारण सा किसान हूँ,
मैं ज्ञान की ज्यादा बातें नहीं जानता, मैंने तो बस वो डाल काट दी जिसपर
बैठने का बाज आदी हो चुका था, और जब वो डाल ही नहीं रही तो वो भी अपने साथी
के साथ ऊपर उड़ने लगा।
मित्रो, हम सभी ऊँचा उड़ने के लिए ही बने हैं।
लेकिन कई बार हम जो कर रहे होते है उसके इतने आदि हो जाते हैं कि अपनी ऊँची
उड़ान भरने की, कुछ बड़ा करने की काबिलियत को भूल जाते हैं। आप
यह पोस्ट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू
डॉट नरेशजांगड़ा डॉट
ब्लागस्पाट डॉट कॉम
पर पढ़ रहे
हैं। यदि आप भी
सालों से किसी ऐसे ही काम में लगे हैं जो आपके वास्तविक सामर्थ्य के मुताबिक
नहीं है तो एक बार ज़रूर सोचिये कि कहीं आपको भी उस डाल को काटने की ज़रुरत तो नहीं जिसपर आप बैठे हुए हैं?
साभार: राजीव दीक्षित जी के पेज से
Post
published at www.nareshjangra.blogspot.com
For getting Job-alerts and Education News, join our
Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE