Tuesday, April 18, 2017

योगी आदित्यनाथ बोले-तीन तलाक पर जो लोग मौन, वे भी अपराधी जैसे

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हुए कहा, जब देश एक है तो कॉमन सिविल कोड क्यों नहीं? जब देश एक है, तो शादी-ब्याह के कानून एक क्यों नहीं हो
सकते? पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर की 91वीं जयंती के अवसर पर उन पर लिखी किताब 'चंद्रशेखर- संसद में दो टूक' का उन्होंने विमोचन किया। इस दौरान उन्होंने तीन तलाक के मुद्दे पर कुछ लोगों के मौन पर सवाल भी उठाया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश की समस्या पर कुछ लोगों का मुंह बंद है। महाभारत में द्रौपदी के चीरहरण के दौरान वहां मौजूद लोगों के मौन का उदाहरण देते हुए कहा कि तीन तलाक पर जो मौन हैं, वे अपराधियों जैसे हैं। उन्होंने तीन तलाक को बड़ी समस्या बताते हुए इसे महिलाओं के साथ बड़ा अन्याय बताया। समान नागरिक संहिता पर योगी ने कहा कि चंद्रशेखर भी समान नागरिक संहिता के पक्ष में थे। उन्होंने कहा कि सबके लिए एक कानून होना चाहिए। योगी ने कहा कि लोक कल्याण सबका लक्ष्य होना चाहिए। 
कुछ लोग देश की ज्वलंत समस्या तीन तलाक को लेकर मुंह बंद किए हुए हैं, तो मुझे महाभारत की वह सभा याद आती है, जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था। तब विदुर ने कहा था कि एक-तिहाई दोषी वे व्यक्ति हैं, जो यह अपराध कर रहे हैं। वे भी दोषी हैं जो इस घटना पर मौन हैं। सच पूछें तो यह स्थिति पूरी व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर देती है। -योगीआदित्यनाथ, सीएम 
दहेज नहीं देने पर एसएमएस से दिया तलाक: दहेज नहीं देने पर एसएमएस से पत्नी को तीन तलाक देने का मामला सामने आया है। उदयपुर भूदा गांव की अाफरीन का विवाह चार साल पहले मुंबई के इब्राहिम खान के साथ हुआ था। वह दहेज में दो लाख रुपए मांग रहा था। पैसे नहीं मिलने पर उसने 27 मार्च को एसएमएस भेजकर आफरीन को तलाक दे दिया। पुलिस ने इब्राहिम, उसके पिता और मां के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। 
शिया बोर्ड ने कहा- सती प्रथा की तर्ज पर बनाएं तीन तलाक के खिलाफ कानून: शिया मुस्लिमों ने तीन तलाक के खिलाफ ठीक वैसा ही कानून बनाने की मांग की है, जैसा कि सती प्रथा के खिलाफ बना था। ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने यूपी सरकार से यह मांग की है। बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि तीन तलाक देने वालों का सिर्फ सामाजिक बहिष्कार ही काफी नहीं। तीन तलाक जैसी कोई चीज ही नहीं होनी चाहिए।
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साभार: भास्कर समाचार 
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