इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) से छेड़छाड़ के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। शीर्ष कोर्ट ने बिना पेपर रिकाॅर्ड के मशीनों से छेड़छाड़ की संभावना का परीक्षण करने का फैसला किया है। इस सिलसिले में
बसपा की याचिका पर जस्टिस जे चेलमेश्वर और अब्दुल नजीर की बेंच ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। यूपी में चुनावी हार के बाद बसपा ने ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोप लगाते हुए यह याचिका लगाई है। याचिका में ईवीएम में वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) लगाना अनिवार्य करने के लिए कोर्ट से निर्देश देने की मांग की है। केंद्र और आयोग को बसपा के आरोपों पर 8 मई तक जवाब देना होगा। उत्तरप्रदेश चुनाव आयोग ने नगरीय चुनावों के लिए केंद्रीय चुनाव आयोग से बेहतर इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनें उपलब्ध कराने की मांग की है। ऐसा नहीं होने पर आयोग ने परम्परागत तरीके से बैलेट पेपर के जरिये मतदान कराने की छूट मांगी है। राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी से बात कर काम की अच्छी हालत वाली नई ईवीएम देने या बैलेट पेपर से चुनाव करवाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि 2012 के नगरीय चुनाव के लिए दी गई ईवीएम 2006 में बनी थीं। वे जरूरत के हिसाब से नहीं थीं।
किसी भी तकनीक से छेड़छाड़ संभव है: बसपा की तरफ से पेश वकील पी चिदम्बरम से कोर्ट ने कहा, तकनीकी तौर पर हम सहमत हैं कि किसी भी तकनीक से छेड़छाड़ संभव है। लेकिन आपके पास संदेह के लिए पर्याप्त आधार होना चाहिए। वोटिंग बूथ पर कब्जा करने जैसी बुराइयों को रोकने के लिए ही ईवीएम लाई गई थी। वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कोई भी टेक्नोलॉजी हैक की जा सकती है। दक्षिण अमेरिका के एक देश को छोड़कर विश्व के किसी भी देश में मतदान के लिए ईवीएम का इस्तेमाल नहीं होता। इसपर बेंच ने कहा कि ऐसा मत कहिए, यह व्यवस्था उस समय लागू की गई जब आपकी पार्टी सत्ता में थी।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.