हाल ही में मैकेंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार देश के कंस्ट्रक्शन सेक्टर में अगले 10 वर्षों में करीब 5 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। हालांकि इस क्षेत्र में स्किल्ड वर्कर की भारी कमी होगी। नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन की रिपोर्ट के अनुसार कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट सेक्टर में 2022 तक कुल 7.9 करोड़ लोग काम कर रहे होंगे। नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के अनुसार
इसमें से 97 फीसदी लोगों ने काम करने से पहले किसी भी तरह की ट्रेनिंग नहीं ली होगी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार कंस्ट्रक्शन सेक्टर की देश की जीडीपी में 8 फीसदी की हिस्सेदारी है। सर्विस सेक्टर के बाद सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कंस्ट्रक्शन सेक्टर में होता है। देश में कंस्ट्रक्शन सेक्टर की 50 फीसदी से ज्यादा की मांग इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में होती है। इसके अलावा बाकी इंडस्ट्रियल एक्टिविटी, रेसिडेंशियल और कमर्शियल डेवलपमेंट आदि के क्षेत्र में होती है। अगले कुछ वर्षों में सड़क निर्माण के 6.5 ट्रिलियन रुपए के 432 प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली है। इसी प्रकार 6 ट्रिलियन रुपए के 400 रेलवे प्रोजेक्ट, 670 अरब रुपए के एयरपोर्ट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट और 551 अरब रुपए के 75 बंदरगाहों की निमार्ण परियोजनाओं को मंजूरी मिली है। इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार से कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में निकट भविष्य में विकास की संभावनाएं हैं। ऐसे में सिविल इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
सिविल इंजीनियिरंग को देश की सबसे पुरानी इंजीनियरिंग स्ट्रीम में से एक माना जाता है। इसमें स्ट्रक्चरल काम की प्लानिंग, डिजाइनिंग और क्रियान्वयन शामिल है। सिविल इंजीनियर पब्लिक वर्क जैसे कि सड़क, सुरंग, बिल्डिंग, एयरपोर्ट, बांध और बंदरगाहों में कंस्ट्रक्शन गतिविधियों का मुआयना करते हैं और इसके डिजाइन तैयार करते हैं। सिविल इंजीनियर को सिर्फ इंजीनियरिंग स्किल की ही नहीं, बल्कि सुपरवाइजरी और एडमिनिस्ट्रेटिव स्किल की भी जरूरत होती है। सविल इंजीनियरिंंग में काम के दौरान प्लानिंग में जगह का मुआयना करना और ढांचा बनाने में संभावित समस्याओं का हल ढूंढना शमिल होता है।
एलिजिबिलिटी: फिजिक्स,केमिस्ट्री और मैथ्स विषयों के साथ 12वीं की परीक्षा पास करने वाले छात्र सिविल इंजीनियरिंग के बैचलर डिग्री कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। 12वीं में न्यूनतम 50 फीसदी अंक जरूरी है। इसके बाद छात्र जेईई मेन के माध्यम से देश के विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों में सिविल इंजीनियरिंग के बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी या बैचलर ऑफ इंजीनियिरंग कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। पीजी कोर्स में प्रवेश के लिए अधिकतर संस्थानों में गेट स्कोर और बैचलर डिग्री में 60 फीसदी अंक जरूरी है। कुछ संस्थान खुद का एंट्रेंस टेस्ट भी आयोजित करते हैं।
जॉब प्रॉस्पेक्ट: सिविल इंजीनियरिंग करने वाले छात्र प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर कंपनियों और शिक्षण संस्थानों में जॉब कर सकते हैं। इसमें प्रोफेशनल्स को राज्य या केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे रेलवे प्रोजेक्ट, प्राइवेट कंस्ट्रक्शन कंपनियों, मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेस कंसल्टेंसी सर्विस आदि में जॉब के अवसर मौजूद हैं। रिसर्च कोर्स कर चुके छात्र शिक्षण संस्थानों में भी जॉब कर सकते हैं।
कमाई: इस क्षेत्र में फ्रेशर को 12 से 18 हजार रुपए प्रति माह का शुरुआती पैकेज मिल सकता है। 2 से 3 वर्ष के अनुभव के बाद यह पैकेज 20 से 25 हजार रुपए प्रति माह तक हो सकता है। 5 वर्ष से ज्यादा अनुभव के बाद प्रोफेशनल को 50 से 60 हजार रुपए तक का मासिक पैकेज मिलने की संभावना होती है। शिक्षण के क्षेत्र में शुरुआती मासिक पैकेज 25 से 30 हजार रुपए हो सकता है।
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साभार: भास्कर समाचार
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