एन रघुरामन (मैनेजमेंट फंडा)
जिस तरह की स्मार्ट सिटी में हम रहना चाहते हैं, जैसे स्मार्ट जॉब हम हासिल करना चाहते हैं, सीईओ जैसे जो पद पाना चाहते हैं और जिस तरह के हुनर सीखना चाहते हैं, आने वाले पांच सालों में वह सबकुछ पूरी तरह से बदलने वाले हैं।
नौकरियां स्थायी रूप से अस्थायी हो जाएंगी: भविष्य का कर्मचारी लंबे समय तक एक स्थान पर काम नहीं करेगा और फ्री लॉन्सिंग का चलन फलेगा-फूलेगा। यह साप्ताहिक या घंटे के हिसाब पर आधारित होगा। अधिकांश कर्मचारी कई कंपनियों के लिए काम करेंगे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। वर्तमान की तुलना में कर्मचारी तेजी से नौकरियां बदलेंगे। यह बात लिंक्डइन के निदेशक इरफान अब्दुल्ला ने पिछले गुरुवार को 'फ्यूचर ऑफ वर्क' पैनल चर्चा में कही। आयोजन सीबिट इंडिया2015 समेलन में हुआ था। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भविष्य में स्थायी नौकरी जैसी कोई चीज नहीं होगी।
योग्यतासे ज्यादा महत्वपूर्ण होगा चरित्र: कर्मचारी की क्षमता के बजाय फोकस उसकी सांस्कृतिक फिटनेस पर होगा। किसी की उपयोगिता जांचने के लिए अलग ही तरीके सामने आएंगे। जोर इस बात पर होगा कि क्या कर्मचारी कंपनी की कार्य-संस्कृति के अनुकूल है, अगर हां तो ही उसे नौकरी मिलेगी। कंपनियां ज्यादा से ज्यादा मल्टी स्किल्ड कर्मचारी रखना चाहेंगी। हुनर की प्राथमिकता की बजाय वह सांस्कृतिक प्राथमिकता को अधिक महत्व देने लगेगी। भविष्य के कर्मचारियों के लिए जरूरी होगा कि वे स्कूल-कॉलेज के दिनों से ही अपना चरित्र अच्छा बनाए रखें। और किसी भी तरह के पुलिस केस और भुगतान में गड़बड़ी से बचें। मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक क्षमताएं भी अतिरिक्त योग्यता होगी। हालांकि,चरित्र पर सर्वाधिक जोर होगा।
मोबाइलवर्कफोर्स का जमाना होगा: कॉग्निजेंट जैसी कंपनी अभी ही अधिक से अधिक मोबाइल वर्कफोर्स के विचार पर अमल कर रही है। भविष्य में कार्यबल आपस में अधिक जुड़ा हुआ और अधिक ऊर्जावान होगा। वे अधिक लचीले और काम करने की परिस्थितियों को समझने और तालमेल करने में अधिक सक्षम होंगे। कई काम एकसाथ करने में सक्षम होने के आलावा कर्मचारी किसी भी वरिष्ठ को रिपोर्ट नहीं करेंगे। और ही किसी वरिष्ठताक्रम का हिस्सा होंगे। और वे किसी भी समय काम पूरा करने के लिए तैयार रहेंगे।
कर्मचारियोंकी स्थिति बदल जाएगी: संस्थाऔर व्यक्ति के बीच की सीमा घर और काम के बीच की सीमा धुंधली हो जाएगी। घर ऑफिस में बदल जाएगा और कोई भी यह तय नहीं कर पाएगा कि कब काम करें और कब परिवार के साथ समय बिताएं। सबका आपस में घालमेल हो जाएगा। सीईओ के समकक्ष नई पोस्ट बन जाएगी। ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि अगर कोई 40-45 की उम्र तक सीईओ नहीं बन सका तो इसके बाद यह संभव भी नहीं होगा।
स्मार्टसिटी: शहरीविकास मंत्रालय के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में नेशनल मिशन निदेशक समीर शर्मा ने पिछले सप्ताह यह स्पष्ट कर दिया कि सरकार इस प्रोजेक्ट हेतु फंड जुटाने के लिए सर्विस टैक्स लगाने पर विचार कर रही है। यह प्रोजेक्ट अपने साथ जिन बेहतर सुविधाओं को लेकर रहा है, उनके लिए भी ऊंची कीमत चुकानी होगी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हालांकि, इस मामले में अंतिम निर्णय स्थानीय प्रशासन लेगा। केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट को लागू करने के लिए अंतिम समय सीमा 2030 तय की है। केंद्र स्थानीय निकायों को प्रोजेक्ट शुरू करने की लिए शुरुआती आर्थिक मदद देगा, जबकि आगे के खर्च पूरे करने के लिए उसे खुद ही संभावनाएं तलाशनी होंगी। बाजार से लोन लेकर और इक्विटी बॉन्ड, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिये वे प्रोजेक्ट पूरे कर सकते हैं।
फंडा यह है कि 2020ऐसा नया दौर लेकर आएगा, जिसकी हमें आदत नहीं है। इसलिए बेहतर है कि अभी से नए तरीके की लाइफ स्टाइल की आदत डालना शुरू कर दें।
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साभार: भास्कर समाचार
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