गरीब बच्चों को नामांकन में सहूलियत देने के लिए शिक्षा विभाग की नियमावली 134ए अभिभावकों के लिए परेशानी का कारण बन रही है। इस नियमावली के तहत निजी स्कूलों में आवेदन करने वाले कई बच्चों के अभिभावक आज भी नामांकन के लिए भटक रहे हैं। एडमिशन न देने के पीछे निजी स्कूलों की अपनी दलीलें हैं। उनका कहना है कि इस नियमावली के तहत गरीब बच्चों को तभी एडमिशन देेंगे जब शिक्षा विभाग हमारी शर्तों को मानेगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।
क्या है शिक्षा नियमावली 134 ए: हरियाणा सरकार ने 19 जून 2013 को पत्रांक संख्या 8/43-2012 पीएस(2) जारी कर निजी स्कूलों को निर्देश जारी किए थे। इसमें उल्लेख है कि मान्यता प्राप्त निजी विद्यालय दस प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों एवं गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) श्रेेणियों से संबंधित मेधावी छात्रों के लिए आरक्षित करेंगे। विद्यालय इन विद्यार्थियों से सरकारी विद्यालयों में ली जाने वाली फीस ही लेंगे।
फैसले पर टिकी अभिभावकों की नजरें: शिक्षा नियमावली 134ए के तहत पात्र बच्चों को एडमिशन देने के मामले में निजी स्कूलों की मांग पर विभाग ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। कुछ बच्चों को एडमिशन मिला है, लेकिन इनका मामला रिफंड में फंस गया है, जबकि अधिकतर बच्चों को तो एडमिशन ही नहीं दिया जा रहा है। अब अभिभावकों की नजरें शिक्षा विभाग पर हैं कि वह इस मामले में क्या कार्रवाई करता है। जो भी निर्देश सरकार और शिक्षा विभाग ने दिए हैं उसके तहत निजी स्कूलों को नामांकन करना होगा। ड्रा में जिन बच्चों के नाम आए हैं और जो पात्र बच्चे हैं उन्हें हर हाल में दाखिला देना होगा। - जिले सिंह अत्री, डिप्टी डायरेक्टर शिक्षा विभाग और जिला शिक्षा अधिकारी अंबाला
निजी स्कूल एडमिशन दिलाने के लिए कर रहे वाउचर की मांग: हरियाणा में ही शिक्षा नियमावली क्यों?
निजी स्कूलों का कहना है कि सरकार यदि गरीब बच्चों को सच में 134 ए के तहत दाखिला दिलाना चाहती है तो गरीब बच्चों को फीस वाउचर जारी करे। इस फीस वाउचर को सरकार जिस भी विद्यार्थी को देगी उसे निजी स्कूल उसके मनमर्जी के स्कूल में दाखिला देने के लिए तैयार हैं। यह वाउचर सरकार द्वारा उन्हें बच्चे को पढ़ाने के लिए दिए जाने वाली राशि का प्रमाण होगा। फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा का कहना है कि प्रदेश में निजी स्कूलों के साथ सरकार ज्यादती कर रही है। देश में कहीं भी शिक्षा नियमावली 134 ए लागू नहीं है फिर हरियाणा में इसे क्यों लागू किया जा रहा है। उनका कहना है कि बच्चों के इनकम सर्टिफिकेट भी गलत बनाए जा रहे हैं। इनकम सर्टिफिकेट बनाते समय पूरे परिवार की इनकम देखी जानी चाहिए जबकि ऐसा नहीं किया जा रहा है। पटवारी की ड्यूटी लगा दी जाती है और वह जो रिपोर्ट दे देता है उसी के आधार पर सर्टिफिकेट बनाया जा रहा है।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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