इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी (आईजीयू) मीरपुर की जल्दबाजी ने 2 कोर्सेज में विद्यार्थियों के कॅरियर से खिलवाड़ किया है। छात्रों को पढ़ाई एमएड और एमपीएड की कराई जा रही है, जबकि डिग्री दूसरे विषय की देने की तैयारी
है। दरअसल इन पाठ्यक्रमों को नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) से अनुमति नहीं मिली है। पिछले 5 माह से विद्यार्थी धोखे में कोर्स कर रहे हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। यूनिवर्सिटी का कारनामा तब सामने आया जब विद्यार्थी एक सेमेस्टर की परीक्षा भी दे चुके हैं। इससे विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लग गया है। जुलाई 2016 में विद्यार्थियों के दाखिले हो गए। इस दौरान एमपीएड प्रथम वर्ष में 40 एमएड में करीब 30 विद्यार्थियों ने दाखिला लिया। फीस जमा होने के बाद कक्षाएं शुरू करा दी गईं। तब से विद्यार्थी एमपीएड और एमएड का ही सिलेबस भी पढ़ रहे हैं। महीनाभर पहले बगैर अड़चन के इनकी फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षाएं भी हो गईं। इन परीक्षाओं के लिए जारी एडमिट कार्ड तक पर यही कोर्स दर्शाए गए, लेकिन अचानक यूनिवर्सिटी ने विद्यार्थियों को झटका दे दिया। अब विद्यार्थियों को पता चला कि उन्हें अपने कोर्स से अलग डिग्री दी जाएगी। एमएड के बदले एमए एजुकेशन और एमपीएड के बदले मास्टर इन फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स (एमपीईएस) की डिग्री दी जाने की बात कही है।
परमिशन मिलने से पहले शुरू कराए कोर्स: आईजीयू द्वारा शिक्षा सत्र 2016-17 के लिए कई कोर्स शुरू किए गए थे, इनमें दो वर्षीय पाठ्यक्रम एमपीएड एमएड भी शामिल थे। दोनों कोर्स की अनुमति के लिए एनसीटीई की टीम को विवि का दौरा भी कराया गया था, लेकिन एनसीटीई की ओर से अंतिम मुहर लगने से पहले ही सिर्फ उम्मीद के सहारे कोर्स शुरू कर दिए गए।
एनसीटीई जयपुर राज्य सरकार से लेनी है परमिशन: दरअसल एमएड एमपीएड की तरह ही कुछ ऐसे कोर्स हैं, जिनकी अनुमति एनसीटीई जयपुर से लेनी जरूरी है। जिसके लिए विवि को कई पैमानों पर खरा उतरना हाेता है। जबकि एमए के तकरीबन कोर्स के लिए महज राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है। इसके बाद विवि अपने स्तर पर कोर्स शुरू कर सकता है। इसलिए अनुमति नहीं मिलने पर कोर्स परिवर्तित किए जाने की बात कही है।
समस्याऔर सवाल:
विवि कोर्स समकक्ष दिखाने का भी दावा कर रहा है, लेकिन इससे विद्यार्थियों के कई कॅरियर विकल्प बंद हो जाएंगे।
जिस फील्ड में कॅरियर बनाने के लिए इन्होंने दाखिले लिए उसकी दिशा बदलेगी।
प्रोस्पेक्टस में भी यही विषय दिखाए, बाद में मर्जी से कोर्स बदलने का क्या औचित्य।
अपीलकी गई है, अनुमति की पूरी उम्मीद: एनसीटीई टीम ने विवि का दौरा किया था। इसके बाद ही कोर्स शुरू किया था। विद्यार्थियों के साथ धोखे वाली कोई बात नहीं है। हमने एनसीटीई के पास अपील की हुई है, पूरी उम्मीद है कि अनुमति भी मिल जाएगी। यदि परमिशन नहीं मिली तो एमए एजुकेशन और एमपीईएस विकल्प हैं। कोर्स परिवर्तन का विकल्प इसलिए रखा है, ताकि विद्यार्थियों का साल खराब हो। -डॉ.एसपी बंसल, कुलपति, आईजीयू मीरपुर।
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साभार: भास्कर समाचार
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