Tuesday, August 16, 2016

करियर ज्ञान: आईटी की नौकरियां कम होंगी, लेकिन इंजीनियरिंग अब भी बेहतर विकल्प

आज से 69 साल पहले 1947 में जब देश आजाद हुआ था, तब भारत में कॉलेजों की संख्या मात्र 591 की थी, लेकिन इंडियन हायर एजुकेशन के ताजा आंकड़ों के अनुसार फिलाहल भारत में 35,539 प्राइवेट और सरकारी कॉलेज हैं। एशियन साइंस जर्नल्स की एक रिपोर्ट के अनुसार हायर एजुकेशन में प्रवेश लेने वाले करीब 42 फीसदी छात्र आर्ट्स में प्रवेश लेते हैं। 19 फीसदी साइंस, 17 फीसदी कॉमर्स, 10 फीसदी टेक्नोलॉजी और इंजीनियरिंग और 3 फीसदी मेडिकल कोर्स में प्रवेश लेते हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। आजादी के 69 साल बाद आज भारत दुनिया के नॉलेज हब के रूप में उभर रहा है। 50 लाख से ज्यादा ग्रेजुएट हर साल तैयार होते हैं। इनमें से करीब आधे के पास इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट या अन्य प्रोफेशनल डिग्री होती है। कॅरिअर के लिहाज से अगले एक-दो वर्षों में अलग-अलग स्ट्रीम के छात्रों के लिए क्या संभावनाएं हो सकती हैं। आइए जानते हैं:
कॅरिअर बनाने के लिहाज से सबसे जरूरी होता है सही कोर्स का चुनाव। इसमें व्यक्तिगत रुचि सबसे महत्वपूर्ण है, लेकिन उतना ही जरूरी जॉब मार्केट की जरूरतों को समझना है। कई ऐसे कोर्स हैं जो हमेशा छात्रों की पसंद बने रहते हैं, क्योंकि उनमें नौकरी की संभावनाएं लगातार बनी रहती हैं। इंजीनियरिंग और मेडिकल ऐसे ही कोर्स हैं। अगले एक-दो साल में भी ये दोनों कोर्स छात्रों की पहली पसंद बने रहेंगे। नैनो टेक्नोलॉजी जैसे नए सब्जेक्ट्स भी छात्रों के लिए अच्छे विकल्प हो सकते हैं। कॉमर्स स्ट्रीम में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की मांग और बढ़ेगी तो सरकारी नौकरी चाहने वालों के लिए बैंकिंग सेक्टर में संभावनाएं होंगी। 
मीडिया और इंटरटेनमेंट: वर्ष 2019 तक इस सेक्टर का मार्केट साइज 29.11 बिलियन यूएस डॉलर हो जाएगा। 14 फीसदी की दर से बढ़ रहे इस सेक्टर में लाखों नौकरियां हर साल पैदा होने का अनुमान है। सबसे अधिक नौकरियां डिजिटल एडवर्टाइजिंग मार्केटिंग में होंगी जो इस सेक्टर में 33 फीसदी हिस्सेदारी रखता है। 
एविएशन: पिछले दो-तीन वर्षों में इस सेक्टर में भले मंदी का माहौल हो, लेकिन इंडियन ब्रांड इक्विटी फोरम की रिपोर्ट बताती है कि 2020 तक भारत का सिविल एविएशन सेक्टर विश्व में तीसरे स्थान पर होगा। जबकि 2030 तक यह विश्व में सबसे बड़ा बन जाएगा। 
बैंकिंग: बैंकिंग रिफॉर्म्स के कारण इस सेक्टर में जॉब की संभावनाएं बढ़ी हैं। स्टैंडर्ड एंड पूअर्स के आंकड़े बताते हैं कि भारत में बैंकिंग सेक्टर 11 से 13 फीसदी की दर से आगे बढ़ रहा है। आरबीआई ने 11 बड़े बैंकों को लाइसेंस दिया है। इसके साथ 10 स्मॉल फाइनेंस बैंक भी खुलेंगे। 
इंजीनियरिंग: मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री की वापसी हो रही है। मैकेनिकल, माइनिंग, मेटालर्जी, इलेक्ट्रिकल, सिविल और पावर सेक्टर में इंजीनयर्स को रोजगार आने वाले वक्त में मिलेंगे। आईटी और कम्प्यूटर साइंस के सेक्टर में ग्रोथ कम होगी। दूसरे सेक्टर से पीछे रहेगा। 
आर्ट्स- लैंग्वेज की डिग्री फायदेमंद: कभी केवल सरकारी नौकरियों के लिए उपयुक्त माने जाने वाले आर्ट्स स्ट्रीम में अब बारहवीं के बाद ही छात्रों के लिए कई विकल्प हैं। देश में कॉर्पोरेट सेक्टर के विस्तार के साथ विदेशी भाषाओं की जानकारी छात्रों के कॅरिअर के लिए बेहतर हो सकती है। इसकी डिग्री ट्रांसलेटर, इंटरप्रेटर, ऑनलाइन कंटेंट राइटर, टूर ऑपरेटर, इंस्ट्रक्टर आदि नौकरियां दिला सकती है। फैशन से संबंधित कोर्स कर फैशन बिज़नेस, विजुअल रिटेल मर्केंडाइजिंग, कम्युनिकेशन, इवेंट मैनेजमेंट आदि फील्ड में जॉब तलाश सकते हैं। आर्ट्स के छात्रों के लिए साइकोलॉजी भी बेहतर विकल्प है। 
कॉमर्स-चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की विदेशों में भी मांग: कॉमर्स स्ट्रीम के छात्रों के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंसी का कोर्स अब भी सबसे लोकप्रिय है। हाल के वर्षों में भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की मांग विदेशों में भी बढ़ी है। सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और पश्चिमी एशियाई देशों में हर साल हजारों छात्रों को नौकरियां मिलती हैं। प्रोफेशनल कोर्स के लिहाज से बैचलर ऑफ बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन भी बेहतर विकल्प हो सकता है। 
बायोलॉजी-हेल्थकेयर में हर साल 4 लाख जॉब: बायोलॉजी से बारहवीं करने वाले छात्रों के लिए मेडिसिन से संबंधित कई विकल्प हैं। इनमें फिजियोथैरेपिस्ट, फार्मासिस्ट, नर्स, ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट, क्लीनिकल लेबोरेटरी टेक्नीशियन और पैरामेडिकल स्टाफ जैसे कोर्सेज शामिल हैं।2015 में हेल्थकेयर सेक्टर में करीब 4 लाख नई नौकरियां पैदा हुईं, जबकि सीआईआई और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 तक इसमें 4 करोड़ से ज्यादा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। 
साइंस: मैथ्स और बायोलॉजी स्ट्रीम से बारहवीं करने वाले छात्रों के लिए इंजीनियरिंग और मेडिकल अब भी सबसे अच्छे विकल्प हैं। इंजीनियरों की प्लेसमेंट की समस्या बनी हुई है, लेकिन शीर्ष संस्थानों से डिग्री लेने वाले छात्रों के लिए बेहतर प्लेसमेंट और पैकेज आसान होगा। नेटहेल्थ की नई रिपोर्ट के अनुसार देश में फिलहाल करीब 20 लाख डॉक्टरों की कमी है, जबकि एमबीबीएस की करीब 52 हजार सीटें ही देश में हैं। 
नैनोटेक्नोलॉजी: 2018 तक नैनो टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में 10 लाख प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी। यह टेक्नोलॉजी मेडिकल साइंस, एनवायरनमेंटल साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, कॉस्मेटिक्स, सिक्योरिटी, फैब्रिक्स और कई दूसरी फील्ड में यूज होती है। 
जीआईएस: अर्बन,रूरल प्लानिंग, लैंड यूज मैनेजमेंट, एग्रीकल्चर, फॉरेस्ट्री, पब्लिक हेल्थ, रिसोर्स एक्सप्लोरेशन मैनेजमेंट और डिफेंस जैसे सेक्टर्स में ज्योग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम का रोल अहम है। इसमें रिमोट सेंसिंग, मैपिंग, जियो स्पेशल डेटाबेस इंफॉर्मेशन सिस्टम का उपयोग होता है। कोर्स करने के बाद छात्र टेक्नोलॉजिस्ट, टेक्नीशियन, एनालिस्ट और स्पेशलिस्ट बन सकते हैं। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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