पर्यावरण अध्ययन की परीक्षा पास किए बिना स्नातक की डिग्री हासिल नहीं की जा सकती। छत्तीसगढ़ में महासमुंद के महाप्रभु वल्लभाचार्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय में पौधरोपण और उसकी सुरक्षा को इस विषय के साथ अनिवार्य किया गया है। परीक्षा पास करने के लिए छात्र-छात्राओं को कम से कम एक पौधा लगाकर कर
सालभर उसकी सुरक्षा करनी होगी। एक पेड़, एक ज़िंदगी के लिए कितना महत्वपूर्ण है यह निबंध लिखकर प्रोजेक्ट तैयार करना होगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसके लिए 25 अंक निर्धारित किए गए हैं। कालेज प्रबंधन ने पौधे लगाने करने के लिए 10 एकड़ की जमीन भी आरक्षित की है। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार स्नातक की डिग्री हासिल करने वाले छात्र-छात्राओं को पर्यावरण पर प्रोजेक्ट तैयार करना है, हालांकि इस विषय को वह स्नातक की तीन कक्षाओं में कभी भी पूरा कर सकता है।
अभी तक पर्यावरण अध्ययन की परीक्षा सैद्धांतिक रूप से एक प्रोजेक्ट फाइल के माध्यम से ली जा रही थी, लेकिन अब इसे प्रायोगिक अध्ययन के रूप में शामिल किया गया है। स्नातक के प्रथम वर्ष में प्रवेश प्राप्त करने वाले 1000 छात्र-छात्राओं को अगस्त के आखिरी सप्ताह में पौधे लगाने होंगे। कालेज परिसर और उसके सामने के मैदान को पर्यावरण अध्ययन का प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए आरक्षित किया गया है। प्रबंधन का मानना है कि इस पहल से छात्र-छात्राओं को उसकी सुरक्षा और आवश्यकता की सही पहचान होगी। आखिर में उन्हें एक फाइल तैयार करनी होगी जिसपर जिले के पर्यावरण को कैसे सुधारें, विषय पर निबंध होगा। निबंध उस रोपित पौधे से जुड़ा हो लेकिन मौलिक होगा तभी अंक पूरे दिए जाएंगे। जनभागीदारी समिति और कालेज प्रबंधन ने इस प्रोजेक्ट पर सहमति दी है।
स्नातक की डिग्री नियमित के साथ प्राइवेट परीक्षा के माध्यम से भी हािसल की जाती है। कालेज प्रबंधन ने प्राइवेट परीक्षार्थियों के लिए भी पर्यावरण अध्ययन की परीक्षा में पौधों को जोड़ा है। प्रबंधन ने तय किया है कि प्राइवेट के परीक्षार्थी पर्यावरण अध्ययन की परीक्षा में शामिल होने के लिए गमले में पौधे तैयार कर लाएंगे। उन्हें भी पौधे और उसकी आवयश्कता पर निबंध का प्रोजेक्ट तैयार करना होगा। कॉलेज द्वारा प्रायवेट छात्रों से गमलों में पौधे लगाने कहा गया है, यह गमले तिरंगा के रंग में रंगे हुए होंगे तथा इन्हें कालेज के विज्ञान एवं वाणिज्य भवन के गलियारों में सजेंगे।
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साभार: भास्कर समाचार
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