राजस्थानके सीकर के गुहाला में इसी अगस्त में तीन बेटों की शादी थी। बड़ा बेटा कंपाउंडर है। मझला रेलवे में काम करता है और छोटा पॉलिटेक्निक स्टूडेंट। तीनों बेटों की शादी शिक्षक पिता हरफूलसिंह मीणा ने शगुन का एक रुपया लेकर की। तीनों बहुएं शादी के एक जोड़े में ही लाई गईं। कोई चमक दमक और कोई लेन-देन।
रिसेप्शन में भी सादा खाना। समाज में रहे बदलाव का ये इकलौता किस्सा नहीं है। बीते कुछ समय से देशभर मे ऐसी कई पहल हुई हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। जो बताती है कि समाज अब दिखावों को पसंद नहीं कर रहे हैं। चाहे हरियाणा हो या गुजरात, उत्तरप्रदेश हो या महाराष्ट्र या भव्य आयोजनों के लिए पहचाने जाने वाले दक्षिण के राज्य। हर जगह, लगभग सभी समाज फिजूलखर्ची खत्म कर रहे हैं। रिसेप्शन में अन्न की बर्बादी रोकना प्राथमिकता बन चुकी है। इनमें किसान परिवार के बेटों-बेटियों से लेकर मंत्री, डॉक्टर, इंजीनियर तक शामिल हैं। वडोदरा में तो विवाह मंडप में ही रक्तदान शिविर लगाया गया, जहां दूल्हा-दुल्हन समेत 400 मेहमानों ने रक्तदान किया और अंगदान के फॉर्म भरे। बदलाव विवाह पत्रिकाओं में भी नजर रहा है। पत्रिकाएं अब समाज को संदेश देने का जरिया बन चुकी हैं। शेष| पेज 9 पर
2फरवरी 2015 को सागर के राईन समाज ने मुख्यमंत्री निकाह योजना में शादी के जो कार्ड बांटें, उन पर - बेटी है तो कल है' और 'स्कूल चले हम' जैसे संदेश लिखे। प्रिंटिंग प्रेस मालिक प्रतापसिंह कहते हैं- छपने के लिए आने वाली सौ में से तीस शादियों के कार्ड्स पर लोग इस तरह की अपीलें लिखवा रहे हैं।
उधर, बेटियां भी मुखर:
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- छत्तीसगढ़ केदेवभोग में अप्रैल में उर्मिला ने बीच में फेरे रोक शादी तोड़ दी। क्योंकि दूल्हा शराब पीए हुए था।
- कानपुर मेंदूल्हे ने 15+6 का जोड़ 17 बताया तो दुल्हन ने शादी करने से इंकार कर दिया। मामला मार्च का है।
- पटना के सारण में मंडप में दूल्हा ठीक से रुपयों की गिनती नहीं कर पाया, तो लड़की ने फेरे करने से मना कर शादी तोड़ दी।
- जोधपुर में शनिवार को फेरों में दूल्हा लड़खड़ाता दिखा तो दुल्हन ने शादी से इंकार कर दिया।
- यूपी के आंवला में तो लड़की ने कमजोर नजर वाले लड़के से शादी तोड़ दी। दरअसल, मंडप में दूल्हा रोली-चावल कहीं का कहीं लगा रहा था।
- बनारस में मई की बात है। दूल्हे ने दहेज में 15 हजार रु. मांग लिए तो लड़की ने बरात ही बैरंग लौटा दी।
- हिसार के बरवाला में सुरेंद्र -अनीता ने आठवां फेरा भ्रूण हत्या रोकने के लिए लिया। दोनों ने दहेज में 1000 पौधे भी लिए।
- मई 2015 में महाराष्ट्र के अकोलामेंदुल्हन चैताली गलाखे और उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में राम अवध ने ेटी शीला को दहेज में शौचालय दिया।
- अमृतसर के डॉ. श्यामसुंदर दीप्ति ने बेटी की शादी में किताबें दीं।
- जींद में चंचल और दामिनी ने नौ फेरे लिए थे। आठवां फेरा भ्रूण हत्या रोकने और नौवां पर्यावरण बचाने को था। पिता जगदीप ने बेटियों को 11-11 पौधे देकर विदा किया।
- ग्वालियर के सुनील चड्ढा की बेटी की शादी 4 दिसंबर को थी। उन्होंने कार्ड पर लिखवाया- उपहारलेकर आएं।
- जमशेदपुरके वास्केल परिवार ने कार्ड पर रक्तदानकीअपील की।
- बीकानेर के चार्टर्ड अकाउंटेंट मनोज सिपानी, सीए नवीन डागा ने लिखवाया- 'नोगिफ्ट प्लीज, आपको कुछ देना है तो कहीं चैरिटी कर दें, यही हमारा उपहार होगा।'
- गुना में रेलवे के लिपिक छोटेलाल की बेटी की 9 मई 2015 को शादी हुई। उन्होंने लिखवाया- अतिथि देवता होते हैं और देवता दया करते हैं। इसलिए अतिथि शराब पीकर आएं।
हर5वें कार्ड पर यही संदेश:
- आपकेआगमन से कीमती उपहार कुछ नहींं, कृपया उपहार लाएं।
- पेड़ लगाएं-जीवन बचाएं, रक्तदान-महादान जैसे संदेश।
- जीवनभर की कमाई का एक हिस्सा समाज को दें।
- हेलमेट लगाओ, बाइक चलाओ।
- बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ
- देश हमारा है, इसे स्वच्छ रखो।
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Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार
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