Monday, April 23, 2018

मासूमों से दुष्कर्म पर मौत की सजा के अध्यादेश को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी

साभार: भास्कर समाचार
देश में मासूमों से दुष्कर्म के दोषियों को मौत की सजा देने के प्रावधान वाले अध्यादेश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को मंजूरी दे दी। इस संबंध में केंद्र सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दी है। अब यह
अध्यादेश लागू हो गया है। इसमें 12 साल तक के बच्चों से दुष्कर्म करने वाले दोषियों को मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को केंद्रीय कैबिनेट ने 'आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश 2018' को मंजूरी दी थी। इसके जरिए चार कानूनों- भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), साक्ष्य अधिनियम, अापराधिक दंड संहिता (सीआरपीसी) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम में संशोधन किया गया है। 
प्रावधान : 12 साल तक की बच्चियों से रेप पर अब फांसी की सजा:
  • 12 साल तक की बच्चियों से रेप के दोषी को कम से कम 20 साल, उम्रकैद और मौत की सजा दी जाएगी।
  • 12 साल तक की बच्चियों से गैंग रेप पर कम से कम उम्रकैद या मौत। 
  • 16 साल तक की लड़की से गैंग रेप पर उम्रकैद की सजा। 
  • 16 साल तक की लड़की से रेप पर कम से कम 20 साल की सजा। 
  • 16 साल तक की लड़की से रेप के आरोपियों को अग्रिम जमानत भी नहीं। 
  • आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई से 15 दिन पहले अभियोजक व पीड़िता व उसके परिजन को सूचना देना कोर्ट की जवाबदेही। 
  • नाबालिगों से रेप के केस में फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई जाएगी। 
  • रेप से जुड़े केसाें की जांच दो महीने में पूरी करनी होगी, छह महीने में अपील का निपटारा जरूरी। 
  • केस 10 महीने में निपटाना अनिवार्य। 
रेप की शर्मनाक घटनाएं... 
  • 55 बच्चियों से रोज हो रहा रेप। 
  • 2016 के आंकड़ों के अनुसार बाल यौन उत्पीड़न के 1 लाख केस लंबित। 
  • 84% अपराध बढ़े बच्चों के खिलाफ 2013 से 2016 के बीच। 
  • 34 प्रतिशत बाल यौन उत्पीड़न के मामले 2016 में दर्ज हुए। 
  • 36,657 केस 2016 में बच्चियों व महिलाओं के साथ रेप के दर्ज। 
  • 2014-16 में 30% केस में अपराधी दोषी साबित हुए पाॅक्सो में और 2015 में 36 प्रतिशत दोषसिद्धि हुई। 
6 माह में कानून जरूरी: राष्ट्रपति की मंजूरी और अधिसूचना के बाद अध्यादेश लागू हो जाता है। कानून बनाने के लिए छह माह में संसद से पास कराना जरूरी होगा। 
अनशन खत्म: दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल पिछले 10 दिनों से इसी तरह की मांग को लेकर अनशन पर थीं। उन्होंने सरकार के इस कदम के बाद अनशन खत्म किया। 
क्या 10 माह में दोष सजा हो जाएगी: अध्यादेश में रेप केस की जांच 2 माह में पूरी करने, छह महीने में अपील का निपटारा और पूरे मामले को 10 महीने में निपटाना अनिवार्य किया गया है, लेकिन ऐसा हो पाना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं लगता। विशेष ट्रायल कोर्ट का फैसला 10 माह में आ भी गया तो दोषी के सामने हाईकोर्ट आैर फिर सुप्रीम कोर्ट में जाने का रास्ता खुला होगा। इन कोर्टाें में इन केसों की सुनवाई को लेकर नया प्रावधान नहीं किया गया है। 
गंगवार बोले- रेप पर हल्ला मचाने की जरूरत नहीं: 
ऐसी घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं। कभी-कभी आप इन पर रोक नहीं लगा सकते। भारत जैसे बड़े देश में रेप की एक-दो घटनाएं होने पर इतना शोर-शराबा मचाने की जरूरत नहीं है।' -संतोष गंगवार, केंद्रीय मंत्री