Tuesday, March 27, 2018

हरियाणा शिक्षा निदेशालय का फैसला: अब कॉलेज कैंपस में ही रोजगार देने की तैयारी

साभार: भास्कर समाचार
अब स्टूडेंट्स के लिए कालेज की पढ़ाई खत्म करने के साथ कैंपस से ही रोजगार की राह खुल जाएगी। हायर एजुकेशन विभाग ने कालेजों को निर्देश दिया कि प्रत्येक काॅलेज पांच उद्योगों से एमओयू साइन कर अपने
स्टूडेंट्स को वहां रोजगार दिलाने में मदद करे। इसके साथ हायर एजुकेशन ने कालेजों से प्रोफेशनल कोर्स की रिपोर्ट भी सौंपने के लिए कहा है। इसमें कालेज बताएंगे कि उनके यहां कौन-कौन से कोर्स कराए जाते हैं। 
कॉलेज में डिग्री के साथ छात्र रोजगारपरक ट्रेनिंग भी पा सकें। इसलिए यह फैसला लिया गया है। इस मामले में हायर एजुकेशन ने कालेजों से व्यावसायिक कोर्सों की सूची, कॉलेजों की ओर से किए गए निजी प्रयास व पासपोर्ट बनाने के लिए किए गए कार्यों की रिपोर्ट मांगी है। कॉलेजों को निर्देश दिए कि छात्रों की पसंद और उद्योगों की मांग के मुताबिक व्यावसायिक कोर्सों की सूची तैयार करें। इसके लिए स्टूडेंट्स से चर्चा करने के साथ क्षेत्र के विभिन्न उद्योगपतियों के साथ बातचीत भी करें। इससे कोर्सों को बेहतर ढंग से डिजाइन किया जा सके। 
हर साल 10 हजार से अधिक स्टूडेंट्स होते हैं पास: जिले के कॉलेजों से हर साल करीब 10 हजार से ज्यादा विद्यार्थी पास होते हैं, लेकिन इनमें से काफी छात्र कौशल की कमी के चलते रोजगार नहीं मिल पाते। इसलिए अब स्टूडेंट्स को कॉलेज में विभिन्न कोर्स कराकर रोजगार के लिए तैयार किया जाएगा। इससे उनकी शिक्षा पूरी करते ही रोजगार मिल जाए। इससे छात्रों को पढ़ाई खत्म करने के बाद रोजगार के लिए नहीं भटकना पड़ेगा। इसलिए अब स्टूडेंट्स को कालेज की पढ़ाई के दौरान ही रोजगार के लिए निखारा जाएगा। 
हायर एजुकेशन के प्रधान सचिव ज्योति दहिया ने बताया कि स्टूडेंट्स को कॉलेज में ही बाजार की अपेक्षा के मुताबिक कोर्स कर रोजगार हासिल करने में मदद मिलेगी। प्लेसमेंट विंग स्थापित होने से रोजगार की संभावनाओं के साथ ही रोजगार मेले संचालित करने एवं उसमें स्टूडेंट्स की प्रतिभागिता बेहतर तरीके से हो सकेगी। 
कॉलेज से एक साल का प्लेसमेंट का रिकॉर्ड मांगा: निदेशालय की ओर से कॉलेजों से एक साल में छात्रों के प्लेसमेंट का रिकॉर्ड भी मांगा गया है। कॉलेज की ओर से लगे रोजगार मेले, विभिन्न कंपनियों या उद्योगों में कितने छात्रों का कितने पैकेज पर चयन हुआ है ये जानकारी भी कॉलेजों को देनी होगी। वहीं निदेशालय को बताना होगा कि कॉलेज की ओर से प्लेसमेंट बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।