Wednesday, January 3, 2018

देशभर के शोधार्थी कर सकेंगे कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के आयन बीम सेंटर में शोध


साभार: भास्कर समाचार
कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के आयन बीम सेंटर में अब केयू ही नहीं बल्कि देशभर के शोधार्थी शोधकार्य कर सकेंगे। सेंटर को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से सात करोड़ 15 लाख रुपए का शोध प्रोजेक्ट मिला है। इस प्रोजेक्ट के तहत देशभर के शोधार्थी आयन बीम सेंटर में शोधकार्य कर पाएंगे। इससे पहले सेंटर में शोधकार्य की सुविधा केवल केयू के शोधार्थियों के लिए ही थी। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने इस शोध प्रोजेक्ट के लिए शुरुआत में ही चार करोड़ रुपए की राशि जारी कर दी है। केयू में 17 फरवरी 2015 को आयन बीम सेंटर का उद्घाटन हुआ था। इस सेंटर के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से 11 करोड़ 60 लाख रुपए की ग्रांट दी गई थी। 
आयन बीम वाली देश की पहली यूनिवर्सिटी-केयू आयन बीम प्रोजेक्ट वाली देश की पहली यूनिवर्सिटी है। हालांकि केंद्र सरकार के पांच अन्य संस्थानों मुंबई, कलपक्कम, दिल्ली, कानपुर और कलकत्ता में भी आयन बीम मशीन लगी हुई हैं। 
प्रो. संजीव अग्रवाल ने बताया कि आयन बीम सेंटर में देशभर से शोध करने के लिए आने वाले शोधार्थियों को यात्रा भत्ता भी इस प्रोजेक्ट राशि में से दिया जाएगा। इससे शोधार्थियों को आयन बीम सेंटर में काम करने के लिए आकर्षित करने में मदद मिलेगी। वहीं शोधार्थियों की संख्या बढ़ने पर 5 नई छोटी मशीन भी खरीदी जाएंगी। इस प्रोजेक्ट के तहत आगामी 5 साल के लिए सेंटर को सात करोड़ 15 लाख की राशि मिलेगी। प्रो. संजीव ने कहा कि प्रोजेक्ट मिलने से विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में शोध करने के इच्छुक वैज्ञानिकों के लिए नए अवसर खुलेंगे।
इन क्षेत्रों में है आयन बीम का प्रयोग: प्रो. संजीव ने बताया कि आयन बीम का प्रयोग चिकित्सा के क्षेत्र में ट्यूमर को खत्म करने के लिए और ज्वाइंट को मजबूत बनाने के लिए किया जाता है। वहीं खाने को पैक करके बीम से गुजारने पर खाने को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इसके अलावा ब्लेड के शार्प हिस्से पर बीम डालकर ब्लेड से कई बार शेव की जा सकती हैं। इसी तरह प्लास्टिक पर बीम डालकर इसे स्टील जितना मजबूत बनाया जा सकता है। इस तकनीक का प्रयोग ऑटो इंडस्ट्री में किया जा सकता है।
तीन साल में दो शोधार्थियों ने की पीएचडी: तीनसाल के दौरान आयन बीम सेंटर पर दो शोधार्थियों ने पीएचडी भी की है। वहीं 10 से अधिक शोधार्थी वर्तमान में सेंटर पर पीएचडी कार्य कर रहे हैं। प्रो. अग्रवाल ने बताया कि प्रो. श्याम कुमार डॉ. अनु शर्मा प्रोजेक्ट में को-इंवेस्टीगेटर होंगे।