Wednesday, January 31, 2018

अध्यापकों और विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर शिक्षा विभाग सुस्त, पढ़िए ये रिपोर्ट

साभार: भास्कर समाचार
हरियाणा प्रदेश के सरकारी और निजी स्कूलों में 'गुरु-शिष्य' की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। पिछले चार माह में सरकारी व निजी स्कूलों के स्टाफ व विद्यार्थियों के साथ 35 से ज्यादा आपराधिक घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें 8
सितंबर को गुड़गांव के एक नामी स्कूल में एक छात्र गला काटकर हत्या की। इसके बाद 20 सितंबर को पानीपत के एक स्कूल में स्वीपर ने 9 साल की बच्ची से दुष्कर्म की कोशिश की। 27 सितंबर को सोनीपत के स्कूल की शिक्षिका के साथ दो शिक्षकों द्वारा छेड़खानी मामला से लेकर हाल ही में 20 जनवरी को यमुनानगर के स्कूल में 12वीं कक्षा के छात्र द्वारा प्राचार्या की गोली मारकर हत्या की झकझोर देने वाली वारदात शामिल है। 23 सितंबर को गोहाना की एक छात्रा ने स्कूल सुपरवाइजर व अकाउंटेंट पर दुष्कर्म करने के आरोप को लेकर पीएम को गुमनाम चिट्ठी भी भेजी। इधर, शिक्षा विभाग ने स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जिलास्तर, सब-डिविजन, स्कूल स्तर पर न तो कमेटियां गठित की गईं। वहीं किसी घटना पर 24 घंटे में कार्रवाई करने का दावा भी पूरी तरह फेल रहा।  
जांच को लेकर 3 कमेटियां बनाने की है व्यवस्था: स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्था की जांच को लेकर जिलास्तर पर 3 कमेटियां गठित होनी है। इसमें पहली जिलास्तर पर डीसी की अध्यक्षता में कमेटी होगी, जिसमें एसपी, आरटीए सचिव, डीईओ, डीईईओ, सिविल सर्जन, पीडब्ल्यूडी विभाग प्रतिनिधि शामिल होने हैं। सब-डिविजन स्तर पर एसडीएम की अगुआई वाली कमेटी में डीएसपी, बीडीपीओ, बीईओ, आरटीए, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन प्रतिनिधि शामिल है। जबकि स्कूलों में प्राचार्य, पीटीआई-डीपीई, सिक्योरिटी इंचार्ज पर स्कूल में बच्चों की सुरक्षा का जिम्मा है। जिलास्तरीय कमेटी की बैठक तीन महीने में एक बार व सब-डिविजन कमेटी की मीटिंग हर माह होनी जरूरी थी, लेकिन इस पर कोई अमल नहीं हुआ। 
पढ़िए 2 रिपोर्ट...उद्देश्य एक... बरतें एहतियात: 
  1. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की जेंडर वलनरेबिलिटी इंडेक्स (जीवीआई) रिपोर्ट नवंबर-2017 के अनुसार नाबालिग लड़कियों से ज्यादती के मामले में 97.8 प्रतिशत लोग परिचित या रिश्तेदार होते हैं। ऐसे में बच्चे-परिजन किसी को भी घटना के बारे में बताने से हिचकिचाते हैं। आरोपी बच्चियों को चॉकलेट, खिलौने या अन्य प्रलोभन के बहाने छेड़छाड़ करते हैं व युवतियों की वीडियो बनाकर ब्लैकमेल या परिजनों से शिकायत के बहाने अनैतिक कार्यों को अंजाम देते हैं।
  2. SCERT गुड़गांव द्वारा अक्टूबर-2017 की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी स्कूलों के 9वीं से 12वीं के 65 प्रतिशत तनावग्रस्त है। जबकि करीब (साढ़े 6%) 2090 विद्यार्थियों के साथ परिवार, पड़ोसी, रिलेटिव दोस्त आदि ने जबरन संबंध बनाए, 12.84 फीसदी को दोस्तों ने ड्रग्स ऑफर किए, 18 प्रतिशत बच्चे अपनी शरीर की बनावट से असंतुष्ट पाए गए। सरकारी स्कूलों की 19193 लड़कियों व 14467 लड़कों पर यह सर्वे किया गया था। 

स्कूलों में सुरक्षा पर सरकार गंभीर नहीं - सत्यवान कुंडू: स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार व शिक्षा विभाग गंभीर नहीं है। शिक्षा विभाग के कमेटी गठित करने के निर्देशों पर कोई अमल नहीं हुआ। शिक्षामंत्री ने आश्वासन के बाद निजी स्कूलों की कोई कमेटी नहीं बनाई, एकतरफा नियम थोपे जाते है। स्कूलों में आपराधिक घटनाओं से विद्यार्थियों व अभिभावकों के साथ स्कूल स्टाफ में भी डर बना हुआ है। - सत्यवान कुंडू, प्रदेशाध्यक्ष, हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ।