Sunday, December 17, 2017

आरक्षण के असली हकदार दलितों के लिए सिर्फ चपरासी की नौकरियां: Class-I की नौकरियों में जाटों से आगे बनिए-ब्राह्मण, बाकी में जाट

साभार: जागरण समाचार 
जिस आरक्षण के लिए पूरे हरियाणा को दो बार आग के हवाले कर दिया गया, उस आरक्षण की जमीनी हकीकत बेहद चौंकाने वाली है। दस फीसद आरक्षण मांग रहे जाट, जट सिख, मुल्ला जाट, त्यागी, रोड, बिश्नोई का प्रदेश
की सरकारी नौकरियों में सबसे अधिक प्रतिनिधित्व है। इन छह जातियों के लोग 75,840 पदों पर नौकरियां कर रहे हैं। कुल सरकारी नौकरियों में उनकी हिस्सेदारी सबसे अधिक 31.35 फीसद है। वहीं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर अनुसूचित जाति के लोगों की भागीदारी 40.13 फीसद है। ऐसे में स्पष्ट है कि उन्हें आगे बढ़ने का मौका ही नहीं मिला और वह सिर्फ चपरासी की नौकरी करने या फिर फाइलें इधर से उधर भेजने की नौकरी के काबिल मान लिए गए हैं। संविधान में अनुसूचित जाति के लिए लोगों के जिस आरक्षण का प्रावधान किया गया है, नौकरियों में उनकी भागीदारी जाटों समेत छह जातियों से काफी कम है। अनुसूचित जाति के लोग 50,776 पदों पर नौकरियां कर रहे, जो कि कुल नौकरियों का 20.99 फीसदी बैठता है।
अकेले जाट समुदाय की बात करें तो प्रदेश में इनकी आबादी 23 फीसद है, जबकि नौकरियों में हिस्सेदारी 29 फीसद। बाकी पांच जातियों की नौकरियों में हिस्सेदारी मात्र 2.35 फीसद रह गई है। हरियाणा में प्रथम श्रेणी की नौकरियों में भागीदारी की बात करें तो जाटों से आगे बनिए, ब्राह्मण, राजपूत और पंजाबी आते हैं। प्रथम श्रेणी की नौकरियों में जाटों समेत छह जातियों के लोग 1295 पदों पर कायम हैं और उनकी कुल हिस्सेदारी 27.61 फीसद है। वहीं बनिए, ब्राह्मण, राजपूत और पंजाबी 1861 पदों पर काबिज हैं और उनकी हिस्सेदारी 39.68 फीसद बैठ रही है।
आरक्षण की आग में 32 लोग मरे फिर भी खारिज होगा आरक्षण: हरियाणा सरकार द्वारा तैयार सरकारी नौकरियों के जातिगत आंकड़ों से जाटों समेत छह जातियों को मिलने वाला आरक्षण लटक सकता है। पिछली हुड्डा सरकार ने उन्हें दस फीसद आरक्षण दिया था। इसे खत्म कर दिया गया। फिर प्रदेश में दो बार आंदोलन हुए। 32 लोगों की जान गई। तब मनोहर सरकार ने दस फीसद आरक्षण दिया, मगर हाई कोर्ट ने उस पर रोक लगा दी। अब राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग अपनी रिपोर्ट नए सिरे से राज्य सरकार के माध्यम से हाई कोर्ट को सौंपेगा, जिसके आंकड़ों के आधार पर जाटों समेत पांचों जातियों को प्रस्तावित दस फीसदी आरक्षण को पूरी तरह से खारिज किया जा सकता है।
2.42 लाख का रिकार्ड, 16 हजार का गायब तृतीय श्रेणी में 1.70 लाख कर्मचारी: हरियाणा सरकार की ओर से राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन एसएन अग्रवाल को जातिगत आंकड़े उपलब्ध कराए जा चुके हैं। इन आंकड़ों के आधार पर राज्य में 2.58 लाख अधिकारी-कर्मचारी काम करते हैं। सरकार 2,41,937 कर्मचारियों का जातिगत आंकड़ा जुटाने में कामयाब रही। करीब 16 हजार कर्मचारियों का जातिगत आंकड़ा उपलब्ध नहीं हुआ है। प्रथम श्रेणी के पदों पर 4690, द्वितीय श्रेणी में 30,443, तृतीय श्रेणी के पदों पर 1,70,233 और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर 36,568 कर्मचारी काम कर रहे हैं। आयोग की ओर से इन आंकड़ों पर 30 दिसंबर तक आपत्तियां मांगी जाएंगी।
क्लास 1-2 में भी जाटों समेत छह जातियों का दबदबा: हरियाणा में प्रथम और द्वितीय श्रेणी की नौकरियों में जाटों समेत छह जातियों का पूरा दबदबा है। क्लास वन के 4690 पदों पर बीसीए के 394, बीसी बी के 418, बीसी-सी के 1295 और एससी के 722 लोग नौकरी कर रहे। क्लास टू के 30,443 पदों पर यह संख्या 3023, 3191, 10,162 और 4506 है। कुल नौकरियों में सबसे कम प्रतिनिधित्व बीसी-बी श्रेणी के लोगों का है। उनकी हिस्सेदारी मात्र 12.05 फीसद पदों पर है।