साभार: जागरण समाचार
अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान कुछ वरिष्ठ वकीलों के आचरण को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्र ने शर्मनाक करार दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ वरिष्ठ वकील सोचते हैं कि वे कोर्ट में आवाज ऊंची कर
सकते हैं। ये दिखाता है कि असल में वे वरिष्ठ वकील का दर्जा पाने लायक नहीं हैं। हमने उन्हें बर्दाश्त किया। लेकिन, हम कब तक ऐसा करेंगे? अगर उन्होंने अपना रवैया नहीं सुधारा तो हम जरूरी कार्रवाई करेंगे।
गौरतलब है कि मंगलवार को वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल, राजीव धवन और दुष्यंत दवे ने अयोध्या विवाद पर सुनवाई शुरू करने का विरोध किया था। उन्होंने अदालत छोड़कर चले जाने तक की धमकी दी थी।
गुरुवार को पारसी महिला की दूसरे धर्म में शादी करने से स्वत: धर्म परिवर्तन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान वकीलों के अनियंत्रित आचरण का मामला उठा। इस मामले की सुनवाई जस्टिस मिश्र की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ कर रही है। इस दौरान वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रrाण्यम ने वकीलों के आचरण का मसला उठाया। उन्होंने वकीलों से कोर्ट की मर्यादा का ध्यान रखने की बात कही। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने वरिष्ठ वकीलों के ऊंची आवाज में बहस करने की बढ़ती प्रवृत्ति पर एतराज जताया। जस्टिस मिश्र ने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि कुछ वरिष्ठ वकील सोचते हैं कि वे कोर्ट में ऊंची आवाज में बोल सकते हैं। लेकिन, उन्हें समझ लेना चाहिए कि ऊंची आवाज बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि ऊंची आवाज उनकी नाकाबिलियत दर्शाती है और वे वरिष्ठ बनने लायक नहीं है। जब वकील संविधान के मुताबिक ठीक सुर और भाषा का इस्तेमाल नहीं करते, तो भी कोर्ट उसे नजरअंदाज करता है। लेकिन, कब तक ऐसे चलेगा।