Friday, December 8, 2017

यरुशलम पर अमेरिका पड़ा अकेला: ब्रिटेन और सऊदी अरब भी ट्रंप के फैसले के विरोध में, जॉर्डन, तुर्की व गाजा में प्रदर्शन

साभार: जागरण समाचार 
यरुशलम को राजधानी बनाने के इजरायल के दावे पर मुहर लगाने वाले फैसले पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं। मुस्लिम जगत, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय यूनियन ही नहीं अमेरिका के हर
फैसले में साथ रहने वाले ब्रिटेन और सऊदी अरब के सुर भी बदले हुए हैं। ब्रिटेन ने कहा है कि ट्रंप के फैसले से शांति प्रयासों में सहायता नहीं मिलेगी तो सऊदी अरब ने कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इसे अन्यायिक और गैर जिम्मेदाराना कहा है। जबकि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप के फैसले को शांति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है। कहा कि इजरायल की स्थापना के दिन से ही यरुशलम को राजधानी बनाना हमारा लक्ष्य था। 
यरुशलम में अमेरिकी दूतावास के स्थानांतरण के ट्रंप के फैसले पर अमेरिका में अमल शुरू हो गया है। विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने कहा है कि अधिकारियों को तत्काल कार्य शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन जर्मनी और फ्रांस जैसे अमेरिका के बड़े सहयोगियों ने ट्रंप के फैसले से नाइत्तेफाकी जाहिर की है। फ्रांस ने इसे अमेरिका का एकतरफा फैसला करार दिया है। जर्मनी ने यरुशलम को दो राष्ट्रों के बीच का मसला बताया जिसमें तीसरे देश के हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है। उल्लेखनीय है कि फलस्तीनी प्रभाव वाले इलाके में स्थित यरुशलम पर इजरायल का प्रशासनिक नियंत्रण है। दोनों ही देश उसे अपनी राजधानी बनाना चाहते हैं। वहां पर मुस्लिम, यहूदी और ईसाई धर्मो की मान्यताओं से जुड़े प्राचीन धर्मस्थल हैं। लेकिन ट्रंप के दूतावास स्थानांतरित करने के फैसले से इजरायल का दावे पर अमेरिकी मुहर लग गई है, फिलहाल यह दूतावास तेल अवीव में है।
सुरक्षा परिषद में आज होगी चर्चा: यरुशलम पर ट्रंप के फैसले से बने हालात पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को आपात बैठक बुलाई है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने भी अमेरिका के इस एकतरफा फैसले की निंदा की है। उन्होंने कहा, इलाके में शांति के लिए इजरायल और फलस्तीन को मिलकर हल ढूंढ़ना होगा।
इराक ने राजदूत तलब कर विरोध जताया: अमेरिकी सहयोग से आतंकी संगठन आइएस को खदेड़ पाया इराक भी इस मसले पर तल्ख हो गया है। गुरुवार को इराक सरकार ने बगदाद स्थित अमेरिकी राजदूत को तलब कर यरुशलम में दूतावास स्थानांतरित करने के फैसले पर विरोध जताया। कहा कि वह ट्रंप प्रशासन को संदेश भेजकर यह फैसला रद करने के लिए कहें।.

यरुशलम पर भारत की सधी प्रतिक्रिया: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यरुशलम को इजरायल की राजधानी घोषित कर पूरी दुनिया में एक तरह से तहलका मचा दिया है। एक तरफ जहां खाड़ी के अरब देशों ने इस फैसले से पूरे क्षेत्र को आग के हवाले करने की संज्ञा दी है तो दूसरी तरफ अमेरिका के पारंपरिक यूरोपीय मित्र देशों के साथ रूस और ईरान ने भी इस फैसले को स्तब्ध करने वाला और बेहद गंभीर नतीजे वाला बताया है। इन सभी देशों के साथ भारत ने इस मुद्दे पर बेहद सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा है कि फलस्तीन को लेकर वह स्वतंत्र नीति अपनाता है और किसी तीसरे देश के फैसले से इस बारे में वह अपने विचार या रुचि नहीं बदल सकता।

भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में न तो इजरायल का जिक्र किया है और न ही यरुशलम का। साफ है कि बदले वैश्विक माहौल में अपने हितों को देखते हुए भारत भी कूटनीतिक बदलाव के लिए तैयार है। पिछले कुछ वर्षो के दौरान भारत के कूटनीतिक व रणनीतिक रिश्ते अमेरिका के साथ ही इजरायल के साथ भी प्रगाढ़ हो रहे हैं। कुछ महीने पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजरायल जाने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री बने हैं।