Friday, December 8, 2017

24 घंटे मिलेगी बिजली: केंद्र के साथ राज्यों के बिजली मंत्रियों की बैठक में बना एजेंडा

साभार: जागरण समाचार 
अगले आम चुनाव से पहले सरकार हर घर में चौबीसों घंटे बिजली देने की अपनी योजना को अमली जामा पहचाने में जुट गई है। गुरुवार को बिजली मंत्री आर. के. सिंह की अध्यक्षता में राज्यों के बिजली मंत्रियों की
बैठक में मार्च, 2019 तक पूरे देश में चौबीसों घंटे बिजली देने की योजना का एजेंडा तैयार किया गया। सहमति के बाद तैयार एजेंडे के तहत राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को यह सुनिश्चित करना होगा कि बिजली कनेक्शन लेने वाले ग्राहकों को चौबीसों घंटे बिजली मिले। ऐसा नहीं करने पर डिस्काम के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई होगी। उन पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। इस योजना को लेकर सरकार कितनी गंभीर है इसका पता सिंह के बयान से चलता है। उन्होंने कहा कि, ‘हम निर्धारित लक्ष्य से पहले दिसंबर, 2018 तक ही हर घर को चौबीसों घंटे बिजली देने का काम करेंगे।’
वैसे सरकार यह बात बखूबी समझ रही है जहां चार करोड़ घरों में अभी भी बिजली कनेक्शन नहीं है वहां हर घर को हर वक्त बिजली देने की राह में कई बाधाएं है। लेकिन इन बाधाओं को दूर करने के लिए कई दूरगामी प्रभाव वाले फैसले किये गये हैं। इसमें एक फैसला है कि हर राज्य को यह सुनिश्चित करना होगा कि मार्च, 2019 तक उनके यहां बिजली चोरी और वितरण से होने वाली हानि 15 फीसद से कम हो। अभी कई राज्यों में यह 30 फीसद से भी ज्यादा है। उत्तर प्रदेश व बिहार जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा इस तरह बिजली की हानि (टीएंडडी लॉस) होती है। बिजली मंत्री ने उत्तर प्रदेश में बिजली क्षेत्र में किये जा रहे सुधार पर वहां के बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा की तारीफ भी की। हर घर को बिजली देने में उत्तर प्रदेश की भूमिका बेहद अहम होगी। नई सरकार आने के बाद वहां 21 लाख नए कनेक्शन दिए गये हैं लेकिन अभी भी 1.57 करोड़ घरों को अभी कनेक्शन देने का काम करना होगा।
आज की बैठक में एक दूसरी सहमति यह बनी है कि बिजली के बिल को ज्यादा से ज्यादा स्वचालित बनाया जाएगा। यानी मीटर रीडर के आने और बिजली बिल तैयार करने और ग्राहकों पर्ची देने की परंपरा खत्म होगी। 90 फीसद घरों में बेहतरीन किस्म के स्मार्ट मीटर लगेंगे जो सीधे ग्राहकों को उनके मोबाइल फोन या किसी अन्य माध्यम से मासिक बिजली बिल की जानकारी देंगे। बिजली बिल समय पर नहीं पहुंचने से बड़ी संख्या में ग्राहक बिजली बिल की अदायगी नहीं कर पाते हैं। राज्यों में बिजली के ढांचे को मजबूत करने के लिए मौजूदा योजनाओं के तहत 85 हजार करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई है। छोटे उपभोक्ताओं के घर में प्रीपेड मीटर लगाने और बड़े ग्राहकों के यहां स्मार्ट मीटर लगाना अनिवार्य किया जाएगा। मोबाइल से बिजली मीटर को रिचार्ज करने की सुविधा भी शुरू की जाएगी। ग्राहकों को अपनी मर्जी से डिस्कॉम के चयन की भी आजादी होगी। एक बिजली वितरण कंपनी से संतुष्ट नहीं होने पर वे दूसरी कंपनी से बिजली ले सकेंगे।
साथ ही सरकार ने यह मंशा भी जता दी है कि बिजली क्षेत्र में क्रॉस सब्सिडी को अब ज्यादा दिनों तक नहीं ढोया जा सकता। राज्यों को यह सुनिश्चित करना होगा कि क्रॉस सब्सिडी 20 फीसद से ज्यादा न हो। इससे विभिन्न वर्गो के ग्राहकों के बीच दरों का अंतर 20 फीसद से ज्यादा नहीं हो सकेगा। इस तरह राज्य में जितनी बिजली खपत हो रही है उसमें से 80 फीसद की बिलिंग लागत और मुनाफा जोड़कर करनी होगी। विशेष वर्ग के ग्राहकों को राहत देने के लिए राज्यों को सिर्फ डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिये सब्सिडी देने की इजाजत होगी।