साभार: भास्कर समाचार
नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2011 के तहत बच्चों को फेल करने की नीति के तहत अब मौज करने वाले शिक्षकों पर शिकंजा कसा जाएगा। अब शिक्षकों को सब्जेक्ट क्लास वाइज रिजल्ट
जारी करना होगा, वह भी आउट ऑफ लर्निंग। यानी बच्चा इस योग्य जरूर हो कि वह अगली क्लास के सब्जेक्ट को समझ और पढ़ सके। राज्यपाल ने शिक्षा अधिकार अधिनियम में संशोधन किया है। सरकार ने सक्षम योजना के तहत शिक्षकों को आउटऑफ लर्निंग के तहत टारगेट दिया है कि क्लास के 80% बच्चों के 80% मार्क्स जरूर हों। उन्हें 30 नवंबर तक का समय दिया गया है। ऐसे में अब उन शिक्षकों की मौज खत्म होगी जो पढ़ाई की तरफ ध्यान नहीं दे रहे थे। क्योंकि उक्त अधिनियम से बेशक बच्चे को फेल नहीं किया जाता उसके मार्क्स के आधार पर उसे अगली क्लास में बैठा दिया जाता है। लेकिन अब टीचर को मेहनत करनी ही पड़ेगी। - बच्चा इस लायक जरूर हो कि वह अगली कक्षा में आसानी से पढ़ सके। यदि बच्वों को लर्निंग आउटकम तक नहीं ले जाया गया तो शिक्षकों को ट्रेंड करने की तरफ भी सोचा जाएगा। उन्हें मोटीवेट किया जाएगा। -केकेखंडेलवाल, एसीएस, स्कूल एजुकेशन
- बच्चों को नहीं किया जाता है फेल, इसलिए लर्निंग पर है जोर कम
- 5वीं तक के बच्चों का दिखाना होगा लर्निंग आउटकम यानी परफॉरमेंस