Tuesday, October 10, 2017

CM विंडो की समीक्षा: भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी और कर्मियों पर दर्ज होगा केस, 2 स्कूल संचालकों पर कार्रवाई

विभिन्नविभागों में तैनात अधिकारी-कर्मचारियों के भ्रष्टाचार और गबन संबंधी मामलों को लेकर भाजपा सरकार अब सख्त रवैया अपनाने के मूड में है। सभी विभागाध्यक्षों को ऐसे मामलों में अब एफआईआर दर्ज
कराए जाने को कहा है। साथ ही फतेहाबाद जिले के टोहाना में बिना मान्यता चल रहे दो प्राइवेट स्कूल संचालकों पर कड़ी कार्रवाई करने और झज्जर में जगन्नाथ यूनिवर्सिटी की परीक्षा में हुई गड़बड़ियों की जांच के आदेश दिए हैं। 
सीएम विंडो पर आने वाली शिकायतों और उनके निस्तारण के लिए नोडल अधिकारियों की समीक्षा बैठक में सीएम के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. राकेश गुप्ता और ओएसडी भूपेश्वर दयाल ने कई अन्य मामलों में संबंधित लोगों के खिलाफ भी प्रभावी कार्रवाई करने के आदेश दिए। इन मामलों की एक्शन-टेकन रिपोर्ट के लिए अगली मीटिंग अब 7 नवंबर को होगी। इस बीच संबंधित अधिकारियों को सीएम विंडो पर आने वाली ऑनलाइन शिकायतों का समयबद्ध और प्रभावी निस्तारण करने को कहा गया। 
डॉ. गुप्ता ने कहा कि बार-बार झूठी शिकायतें करके शिक्षा विभाग के अधिकारियों के काम में बाधा डालने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। मीटिंग में बताया कि शिक्षा विभाग का ही एक क्लर्क बार-बार अलग-अलग नामों से एक प्रिंसिपल के खिलाफ शिकायत करवा रहा है। जबकि प्रिंसिपल को 4-5 बार हुई जांच में निर्दोष पाया है। उन्होंने जगन्नाथ यूनिवर्सिटी झज्जर की परीक्षा और परिणाम में हुई गड़बड़ियों की जांच डीसी से कराए जाने के आदेश दिए। जिस अधिकारी ने उचित कार्रवाई किए बिना ही मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की है, उस पर भी कार्रवाई की जाए। 
अन्य मामलों की कार्रवाई के आदेश 
  • औद्योगिकप्रशिक्षण संस्थान में गबन की शिकायत पर दोषी व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश। 
  • सिरसा जिले में ऐलनाबाद के गांव बूटी मंडी में गबन के मामले की विकास एवं पंचायत विभाग को दोबारा जांच करवाने के आदेश। 
  • लोगों के पैसे लेकर भागने वाली हिसार की दि बैंक स्टाफ को-ऑपरेटिव अर्बन एनईटीसी सोसायटी लि., के संचालक और अन्य सदस्यों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करवाने के निर्देश। कृषि विभाग की वर्ष 2013 के गबन संबंधी मामले पर विभागीय कार्यवाही करने को कहा गया। 
  • वर्ष 2010 से 2015 के बीच पलवल जिले में कृषि यंत्रों पर अनुदान देने में की गई लाखों की हेरा-फेरी पर भी विभागीय कार्यवाही करने के निर्देश। 30 दिन में रिपोर्ट मांगी।