Saturday, August 19, 2017

सरकार ने समिति की सिफारिशें मानीं तो विमुक्त, घुमंतू, टपरीवास होंगी पहली हरियाणा में जनजाति (ST)

राज्य सरकार ने अगर अपनी ही सलाहकार समिति की सिफारिशें मानी तो विमुक्त, घुमंतू, अर्द्ध -घुमंतू और टपरीवास जातियां हरियाणा में पहली जनजाति हो जाएंगी। प्रदेश में अभी तक किसी भी जाति को जनजाति में
शामिल नहीं किया हुआ है। प्रदेश भाजपा मीडिया विभाग के चेयरमैन राजीव जैन की अगुवाई वाली सलाहकार समिति ने शुक्रवार को सीएम मनोहर लाल को सौंपी अपनी रिपोर्ट में इन जातियों को स्थायी आवास समेत करीब 16 सिफारिशें की हैं। सीएम मनोहर लाल ने सलाहकार समिति को इन सिफारिशों पर गंभीरतापूर्वक विचार करके उचित कदम उठाने का भरोसा दिलाया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपनी पहचान जिंदा रखने के लिए संघर्षरत विमुक्त जातियों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक उत्थान की चिंता करते हुए वर्ष 2015 में पानीपत सम्मेलन में विमुक्त, घुमंतु विकास बोर्ड बनाने का भरोसा दिलाया था। साथ ही सलाहकार समिति को इनका सर्वे करने और इनकी समस्याओं का व्यावहारिक अध्ययन करने के निर्देश दिए थे। समिति के चेयरमैन राजीव जैन ने विकास बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. बलवान सिंह और हनुमान गोदारा के साथ जाकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल को अपनी सिफारिशें सौंपीं। राजीव जैन ने बताया कि समिति ने यह रिपोर्ट देने में इसलिए भी जल्दी की है, क्योंकि अगले महीने संभवत: 3 सितंबर को इनका फतेहाबाद में सम्मेलन प्रस्तावित है। सीएम मनोहर लाल सम्मेलन के मौके पर इन जातियों को स्थायी आवास उपलब्ध करवाने समेत कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं कर सकते हैं। 
  • विमुक्त, घुमंतू एवं टपरीवास जातियां देश के बाकी राज्यों में अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल हैं। लेकिन हरियाणा में इन्हें एससी-बीसी में शामिल किया गया है। क्रिड के सर्वे के मुताबिक इन जातियों का रहन-सहन, खान-पान आदि जनजातियों से हूबहू मिलता है। इसलिए इन्हें हरियाणा में भी अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किया जाना चाहिए। 
  • इनमें बहुत सी जातियां भेड़-बकरी पालन व्यवसाय से जुड़ी हैं। इसलिए भेड़-बकरी एवं ऊन उन्मूलन बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए। 
  • विमुक्त, घुमंतू एवं टपरीवास जातियों की सूची को संशोधित करते हुए इन्हें केवल विमुक्त एवं घुमंतू नाम से ही सूची में शामिल किया जाना चाहिए। 
  • विमुक्त जातियों की सूची में क्रम संख्या 6 पर दर्ज सांसी की उप जाति गोदरी को गडरिया किया जाना चाहिए। 
  • इसी तरह गाड़ी लोहार को गाडिया लोहार किया जाना भी मांगों में शामिल किया गया है। 
  • सर्वे के दौरान जोगी, जंगम, रैबारी, भाट, मनियार एवं भंजरा को विमुक्त टपरीवास सूची में शामिल नहीं किया गया था, इन्हें सूची में शामिल किया जाना चाहिए। 
  • पंचकूला में कम आरक्षित मूल्य पर विमुक्त घुमंतु भवन के लिए जगह दी जाए। 
  • ग्रामीण क्षेत्रों में 10 साल या इससे अधिक साल से पंचायती जमीन पर रह रहे लोगों को मालिकाना हक दिया जाए। 
  • रोजगार में न्यूनतम अंक पात्रता में 10 प्रतिशत छूट मिले। 
  • गाडिया लोहार, डेहा, सिंगीकाट, सिकलीगर जैसी विमुक्त, घुमंतु जातियों में 90 प्रतिशत बेघर हैं। इसलिए इनके लिए स्थाई आवास की व्यवस्था हो। इनकी बस्तियों में पानी, बिजली और शौचालय भी बनाए जाएं। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.