Monday, August 14, 2017

शिक्षा में तकनीक और इनोवेशन के प्रयोग से बेहतर होगा लर्निंग का स्तर

भारत में स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। शिक्षा का अधिकार कानून बनने के बाद स्कूल जाने वाले छात्रों की संख्या
बढ़ी और प्राइमरी स्तर पर छात्रों का प्रवेश तेजी से हुआ। लेकिन अब भी बड़ी कक्षाओं तक पहुंचते-पहुंचते स्कूल छाेड़ने वाले छात्रों की संख्या में कोई खास कमी नहीं आई है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। यूनेस्को की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब 4.7 करोड़ छात्र 10वीं के बाद स्कूल छोड़ देते हैं। सुविधाओं और शिक्षकों की कमी इसका एक बड़ा कारण है, लेकिन तकनीक के प्रयोग से इन्हें दूर किया जा सकता है। इसके अलावा भी कई उपाय हैं जो देश की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बना सकते हैं। 
तकनीक का प्रयोग: डिजिटल लर्निंग को ध्यान में रखते हुए तकनीक का विकास तेजी से हुआ है। शिक्षण संस्थान छात्रों को ऐसा अॉनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवा सकते हैं, जो छात्रों को उनके असाइनमेंट जमा करने, उन्हें मैनेज करने और अपनी परफॉर्मेंस ट्रैक करने में मदद कर सकता है। वीडियो स्ट्रीमिंग ने दूरगामी क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच को आसान बनाया है। इससे ज्यादा छात्रों को बेहतर गुणवत्ता के साथ शिक्षा मिलने में अासानी होगी। 
रचनात्मक तरीकों का प्रयोग: प्रयोगात्मक तरीकों का प्रयोग मौजूदा समय की सबसे बड़ी मांग है। टीम प्रोजेक्ट, इंटर्नशिप और क्रिएटिव गेम्स छात्रों को जल्दी सीखने में मदद करते हैं। यहां तक की परीक्षाओं को भी प्रश्न-उत्तर की बजाय रिसर्च पेपर आधारित या प्रयोग आधारित किया जा सकता है। इससे छात्रों को कॉन्सेप्ट बेहतर तरीके से समझ आएंगे। यह समय है जब हमारी शिक्षा व्यवस्था में चल रहे पारंपरिक तरीकों से अलग हटकर कुछ नए तरीके अपनाने होंगे। 
पर्सनलाइज्ड लर्निंग:
इसकेतहत प्रत्येक छात्र को उसकी सीखने की गति और पसंदीदा तरीके के अनुसार पढ़ाया जा सकता है। इससे उन छात्रों को फायदा होगा जिन्हें कॉन्सेप्ट एक बार में क्लियर नहीं हो पाते हैं। उदाहरण के तौर पर कैलिफोर्निया स्थित एल्ट स्कूल में छात्र किताबों की बजाय प्लेलिस्ट का उपयोग करते हैं। कई ऑनलाइन एकेडमी छात्रों को पर्सनलाइज्ड कॅरिकुलम मुहैया कराती हैं। हम इस तरह के इनोवेशन को शिक्षा व्यवस्था के साथ शामिल कर सकते हैं। 
आशय यह है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था को अब तकनीक और इनोवेशन आधारित बनाना चाहिए। छात्रों को पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए इसमें तकनीक का प्रयोग किया जाना चाहिए। साथ ही छात्र और शिक्षकों के बीच बेहतर सामंजस्य बनाने के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है। आजादी के 70 वर्ष पूरे हो रहे हैं और अब समय गया है कि शिक्षा व्यवस्था के लिए नए मानक और तौर-तरीके स्थापित किए जाएं। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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