Saturday, August 12, 2017

वेंकैया नायडू ने ली शपथ: स्वतंत्र भारत में जन्म लेने वाले पहले उपराष्ट्रपति

एम वेंकैया नायडू शुक्रवार को देश के 13वें उपराष्ट्रपति बन गए। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें शपथ दिलाई। नायडू पहले ऐसे उपराष्ट्रपति हैं, जिनका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ है। साथ ही वह पहले और इकलौते
उपराष्ट्रपति हैं, लगातार कई वर्षों तक राज्यसभा सदस्य भी रहे हैं। उपराष्ट्रपति के नाते नायडू राज्यसभा के सभापति भी होंगे। शपथ लेने के कुछ देर बाद वह संसद पहुंचे और राज्यसभा की कार्यवाही संचालित की। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। पहले दिन सत्तारूढ़ भाजपा के अलावा कांग्रेस अन्य विपक्षी नेताओं ने नायडू के स्वागत में स्पीच दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "नायडू किसान के बेटे हैं। यह पहली बार है कि कोई अमीर वर्ग से नहीं, बल्कि नीचे से ऊपर उठकर सर्वोच्च पदों तक पहुंचा है।' जवाब में कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद ने मोतीलाल नेहरू और महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा, "देश की आजादी और फिर मजबूत लोकतंत्र की नींव रखने में अमीरों और करोड़पति लोगों का योगदान भी नहीं भूलना चाहिए।' 
उपराष्ट्रपति बनने वाले नायडू भाजपा के दूसरे नेता हैं। इनसे पहले भाजपा के भैरों सिंह शेखावत भी इस पद पर रह चुके हैं। नायडू ने हामिद अंसारी की जगह ली है, जो लगातार दो कार्यकाल से उपराष्ट्रपति थे। 

गुलाम नबी आजाद बोले- मोतीलाल आज होते तो 6-7 करोड़ रुपए रोज कमाते: गुलाम नबी आजाद ने कहा, पं. मोतीलाल नेहरू इतने अमीर थे कि आज उनकी वकालत की रोज की प्रैक्टिस 6-7 करोड़ रुपए की होती। वह करोड़पति और अमीर लोग भी याद करने चाहिए, जिन्होंने परिवार और जीवन आजादी को समर्पित कर दिया। महात्मा गांधी काफी समृद्ध परिवार से थे। लेकिन आजादी के लिए उन्होंने कपड़े तक उतार फेंके। इसमें गरीबी अमीरी का सवाल नहीं है। इसके पीछे लोकतंत्र की ताकत है। सुभाष चंद्र बोस, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना आजाद भी संपन्न लोग थे। 
नरेंद्र मोदी बोले- वैंकेया नायडू को गांव, गरीब और किसान, सबका अनुभव: नायडू वर्षों तक राज्यसभा में रहे हैं। हर चीज से परिचित हैं। वह किसान के बेटे हैं। गांव, गरीब और किसान, सबका उन्होंने बारीकी से अध्ययन किया है। पहली बार सर्वोच्च पदों पर अमीर नहीं, बल्कि नीचे से उठकर कोई व्यक्ति पहुंचा है। वह शब्दों से भी नहीं खेलते। वह उसी तरह सदस्यों के बीच से उपराष्ट्रपति बने हैं, जैसे वकीलों के बीच से कोई जज बनता है तब बार काउंसिल को थोड़ा अटपटा लगता है। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.