Monday, August 14, 2017

अपने दिमाग को ताकत देने के लिए वॉट्सएप की सफाई कीजिए

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
इस शनिवार को एक मूर्खतापूर्ण लतीफा वॉट्सएप के कुछ समूहों में चल रहा था। प्राय: ऐसे लतीफे ही सोशल साइट्स पर चलते हैंं। लतीफा यूं था कि दो लोग 'टॉयलेट' जाने के बारे में सोच रहे थे! कुछ फूहड़ वार्तालाप के
बाद लतीफा यूं खत्म होता है, 'तुम जो सोच रहे हो वह टॉयलेट नहीं बल्कि फिल्म टीईपीके (टॉयलेट एक प्रेम कथा) है।' पूरा लतीफा पढ़ने के बाद मुझे वह बहुत ही मूर्खतापूर्ण लगा। किसी रचनात्मक कृति का आकलन करने का यह बहुत ही भद्‌दा तरीका था। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इस मूर्खतापूर्ण लतीफे को पढ़ने के लिए मैं इसलिए मजबूर हुआ, क्योंकि कुछ वक्त पहले मुझे टॉयलेट पर बहुत ही अच्छा संवाद पढ़ने को मिला था। उस संवाद में एक पाठक किसी अखबार के स्तंभकार से अपनी दुविधा व्यक्त करता है। ये स्तंभकार ऐसे 'अंकल एगोनी' शख्स हैं, जो हर प्रकार के सवालों के जवाब देते हैं। हताशा जताते हुए पाठक ने लिखा था कि हाल ही में उसका विवाह हुआ है और उसकी पत्नी घर आते ही इस बात पर अड़ गई कि उसे भारतीय पद्धति के टॉयलेट की बजाय पश्चिमी पद्धति का टॉयलेट चाहिए। चूंकि वह यह मानता है कि उसे पत्नी की हर छोटी-मोटी मांग पर झुकना नहीं चाहिए, इसलिए उसने इनकार करते हुए कहा कि वह इस बात पर तलाक लेने को भी तैयार है। यह कहकर उन्होंने स्तंभकार से राय मांगी थी। बताइए, छोटी-सी मांग पर मतभेद को विवाह-विच्छेद तक ले जाना कहां तक उचित है। 
मैंने लंबे समय से ऐसा छोटा और इतना सुंदर जवाब नहीं सुना था। स्तंभकार महोदय ने जवाब दिया, 'मैं आपके सवाल का जवाब नहीं दे सकता, क्योंकि आपने इसे ई-मेल पर लिखा है। मुझे जवाब देने में खुशी होती यदि आप यही प्रश्न मुझे कबूतर के जरिये भेजते!' बिना कहे ही उस जवाब में बहुत कुछ कह दिया गया था। उन्होंने परोक्ष रूप से ध्यान दिलाया था कि यदि आपने संदेश भेजने के तरीके में कबूतर के दिनों की तुलना में इजाफा करते हुए ई-मेल कर लिया है तो फिर उस व्यक्ति की मांग पर आपत्ति क्यों, जो अापसे भिन्न टॉयलेट सुविधा के बीच बढ़ा है? मैं तत्काल उस ग्रुप से बाहर गया, जिसने मुझे टीईपीके लतीफा भेजा था और लतीफे के अंत में वह निरर्थक-सा 'हा..हा..हा' भी लिख रखा था। मुझे लगता है कि टीईपीके फिल्म दो सेकंड की सूचना है, इससे ज्यादा कुछ नहीं। यदि इसकी कोई अच्छी समीक्षा हो तो मैं उसे देखूंगा अन्यथा नहीं। मुझे तो यह समझ में ही नहीं आता कि कैसे कोई ऐसा पूरा फूहड़ लतीफा गढ़ने के साथ उस पर हंस भी सकता है। मैंने एलेनॉर रूजवेल्ट का कोट और 'ईपीजे डेटा साइंस' नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन पढ़ने के बाद ऐसी बेसिर-पैर की पोस्टिंग्स ब्लॉक करना शुरू कर दिया है। मैनेजमेंट थिंकर एलेनॉर रूजवेल्ट कहते हैं, 'महान दिमाग वाले व्यक्ति आइडियाज की बात करते हैं, औसत दिमाग घटनाअों की चर्चा करते हैं और संकुचित दिमाग लोगों की बातें (निरर्थक गपबाजी और टाइम पास किस्से) करते हैं।' समाज का निरीक्षण करें तो आपको आसानी से पता चल जाएगा कि समाज में किस श्रेणी के लोग ज्यादा हैं। 
इसी तरह ईपीजे डेटा साइंस की रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उनके निष्कर्ष चाहे सोशल साइट नेटवर्किंग के सारे यूज़र पर लागू हो लेकिन, ज्यादातर मामलों में उन्होंने पाया है कि अधिक हताश लोगों द्वारा केवल चेहरा दिखाने वाला फोटो पोस्ट (सेल्फी भी इसमें शामिल है) करने की संभावना ज्यादा रहती है, जबकि स्वस्थ लोग ऐसे फोटो पोस्ट करते हैं, जिसमें किसी विषय के साथ चेहरा भी होता है। अध्ययन में कहा गया है कि अवसादग्रस्त लोग इंस्टाग्राम के ऐसे फोटो शेयर करते हैं, जो काले या गहरे रंग के निकट होते हैं, जबकि स्वस्थ लोगों के भेजे फोटो हल्के रंगों की छटा लिए होते हैं। मैं तो ऐसे सारे ग्रुप से तत्काल बाहर जाता हूं, जो मुझे पूछे बिना शामिल कर लेते हैं और आइडियाज पर चर्चा नहीं करते। मैं शायद ही ऐसे टैक्स्ट मैसेज ओपन करता हूं, जिनमें गुड मॉर्निंग और गुड नाइट की कामनाएं होती हैं। 
कुछ दिनों पहले जब मैंने अपना बैटरी यूसेज चेक किया- तो मैंने पाया कि 33 फीसदी बैटरी तो वॉट्सएप मैसेज के जवाब देेने में ही खर्च हो जाती है। नोटपैड का यूसेज भी 40 फीसदी है, जिस पर मैं अपने नोट्स ऑब्जर्वेशन ेता हूं और स्टोरी करता हूं। जब से मैं इन समूहों से बाहर गया हूं मेरी बैटरी की उम्र बढ़ गई है। वॉट्सएप बैटरी यूसेज तो नौ फीसदी रह गई है। फिर दूसरे फायदे भी मिले हैं- दिमाग शांत रहता है और मैं आत्म-निरीक्षण तथा नए विचार सोचने पर ज्यादा समय दे पाता हंू। 
फंडा यह है कि आपको मालूम होना चाहिए कि आपके वॉट्सएप पर क्या है। इस पर अव्यवस्था दूर करें और देखें कि कैसे सिर्फ मोबाइल बल्कि आपके दिमाग की बैटरी भी चमक दिखाती है! 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.