Friday, August 11, 2017

'सराहा', एक ऐसा एप, जिसमें मेसेज भेजने वाले का पता ही नहीं चलेगा, साइबर सुरक्षा के लिए खतरनाक


सऊदी अरब में बनाए गए एप सराहा को दुनियाभर में यूजर्स काफी पसंद कर रहे हंै। करीब एक महीने पहले लॉन्च हुए इस एप को 50 लाख से ज्यादा बार डाउनलोड किया गया है। खास बात यह है कि एप बनाने वाली इस स्टार्टअप को सिर्फ तीन लोग चलाते हैं। इनमें 29 साल के जेन अल-अबीदीन तौफीक और उनके दो दोस्त शामिल हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इस एप के जरिये यूजर अपनी प्रोफाइल से जुड़े किसी भी व्यक्ति को मैसेज भेज सकते हैं। लेकिन सबसे मजेदार यह है कि मैसेज पाने वाले को यह पता नहीं चलेगा कि ये मैसेज किसके पास से आया है। जाहिर है, इसका जवाब भी नहीं दिया जा सकता। और यही कारण है कि ये ऐप लोगों के बीच बहुत तेज़ी से लोकप्रिय होता जा रहा है। सराहा एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब 'ईमानदारी' होता है। तौफिक ने बताया 'एप बनाने का मकसद यह है कि इसके जरिये कोई कर्मचारी, बॉस या वरिष्ठ को बिना झिझक अपनी राय दे सके। यूजर किसी व्यक्ति से वो सब कह सकें जो उनके सामने आकर नहीं कह सकते। ऐसा हो सकता है कि वे जो कह रहे हैं उसे सुनना उन्हें अच्छा लगे।' तौफिक ने कहा 'वो नतीजों को लेकर सकारात्मक थे और सोच रहे थे कि डाउनलोड की संख्या 1000 तक पहुंचेगी, पर अब गूगल प्ले स्टोर पर ही 50 लाख से भी ऊपर पहुंच गई है। एप फिलहाल इंग्लिश और अरबी भाषा सपोर्ट करता है।
आईओएस और गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। सराहा एप इसी साल फरवरी में वेबसाइट के तौर पर लॉन्च हुआ था। लॉन्चिंग के महीनेभर में ही मिस्र में इसकी यूजर्स संख्या 25 लाख, अरब में 12 लाख और ट्यूनिशिया में 17 लाख पहुंच गई थी। इसके बाद इसे एप के तौर पर लांच किया गया। जून में यह एपल एप स्टोर और गूगल प्ले स्टोर पर आया। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन समेत 30 से ज्यादा देशों में सराहा एपल एप स्टोर पर मौजूद है।   
साइबर सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है: इस एप से 'साइबर बुलिंग' का खतरा बढ़ सकता है। नकारात्मकता भी ज्यादा फैल सकती है। दावा किया जा रहा है कि इस एप को फेसबुक स्नेपचैट से ज्यादा तवज्जो मिल रही है। पर साइबर एक्सपर्ट्स का मानना है 'यह एप भारत की सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। फेसबुक और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म ने ट्रोलिंग बुलिंग को बढ़ावा दिया है। ट्रोलिंग को रोकने के लिए अभी तक कंपनियों की तरफ से कारगर उपाय नहीं किए गए हैं। ना ही सख्त कानून बना है। जबकि इन साइट्स पर तो यूजर के बारे में पता रहता है, फिर भी फेक आईडी से ट्रोलिंग बढ़ रही है। जबकि इस एप में तो पहचान गोपनीय ही रहेगी।' इसके गलत इस्तेमाल पर तौफिक ने कहा 'ऑनलाइन उत्पीड़न, शोषण या बुरा व्यवहार करने से रोकने की सख्त व्यवस्था भी है। यहां ब्लॉक या फिल्टर करने की सुविधा भी दी है।' 

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साभार: भास्कर समाचार 
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