Monday, August 14, 2017

माता-पिता खूब पढ़ाना चाहते थे, पर 12वीं तक ही पढ़ पाए; अब कर्मचारियों के 100 बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च उठा रहे हैं अचिन

रायपुर के अचिन बनर्जी पोल्ट्री फार्म का बिजनेस करते हैं। उनकी कंपनी में 9 पोल्टी फार्म हैं, जिनमें 700 कर्मचारी काम करते हैं। अचिन के माता-पिता का सपना था कि बेटा पढ़-लिखकर अधिकारी बने, पर अचिन का
मन पढ़ाई में नहीं लगता था। वह सिर्फ हायर सेकंडरी तक की ही पढ़ाई कर सके। माता-पिता की मौत के बाद उनके अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए अचिन अब जरूरतमंद बच्चों की मदद कर रहे हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। वह कंपनी के कर्मचारियों के 100 से अधिक बच्चों की नर्सरी से लेकर हायर एजुकेशन तक की पढ़ाई का पूरा खर्च उठा रहे हैं। ये सभी बच्चे हिन्दी और इंग्लिश मीडियम के स्कूलों कॉलेजों में पढ़ने जाते हैं। इनमें 15 बच्चे ऐसे हैं, जिनके माता-पिता अचिन की कंपनी में काम नहीं करते हैं। 
बच्चों को स्कूल-कॉलेज आने-जाने में दिक्कत हो, इसलिए अचिन दो बस भी चलवाते हैं। इन बच्चों को फीस के अलावा ड्रेस, कॉपी-किताब आदि भी अचिन की कंपनी फ्री में देती है। यही नहीं, पोल्ट्री फॉर्म में ही बच्चों के ट्यूशन के लिए अलग से क्लास रूम बनाए गए हैं। इसके लिए दो शिक्षिकाएं भी रखी गई हैं। ट्यूशन क्लास दो पालियों में चलती है। वहीं, कंपनी ने कर्मचारियों को मकान और चिकित्सा सुविधा भी दे रखी है। पवनपुत्र हाई स्कूल के प्रिंसिपल संतोष अग्रवाल कहते हैं कि बच्चे पढ़ाई का महत्व समझते हैं। उन्हें पता है कि महंगाई के दौर में निजी स्कूलों में पढ़ना कितना मुश्किल होता है। इसलिए वे अचिन की कोशिश और मेहनत को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहते। अचिन की कंपनी में कार्यरत एल.पटनायक की बेटी अंजलि पटनायक इंजीनियर बन चुकी हैं। अंजलि की पढ़ाई का खर्च भी कंपनी ने उठाया। 
मैं माता-पिता की हमेशा डांट सुनता था, किसी तरह 12वीं पास की: पढ़ाई के लिए मैं हमेशा माता-पिता की डांट सुनता रहता था। किसी तरह हायर सेकंडरी तक की पढ़ाई पूरी की। कॉलेज में दाखिला लिया, पर बिजनेस में मन लगने के कारण पढ़ाई पूरी नहीं की। बिजनेस में सफल होने के बाद सोचा कि माता-पिता की इच्छा के अनुरूप मैंने तो ज्यादा पढ़ाई नहीं की, क्यूं दूसरे बच्चों की शिक्षा का जरिया बनूं। यही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इसके बाद 2003-04 से लेकर अब तक यह सिलसिला चल रहा है। मैं खुद स्कूल का संचालन करने के बारे में सोच रहा हूं, ताकि सभी बच्चे एक ही जगह पर पढ़ें। -अचिन बनर्जी 
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साभार: भास्कर समाचार 
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