Tuesday, August 15, 2017

100 साल के आत्मासिंह, 1940 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सेना में भर्ती हुए, 1962 में चीन के साथ युद्ध में 45 दिन भूखे पेट लड़े

दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान 1940 में मैं सेना में भर्ती हुआ। युद्ध के कारण परिजनों को चिंता होती थी उस कारण वह मुझे दो महीने बाद ही सेना से वापस घर ले आए। लेकिन मैंने तो आर्मी मैं ही जाना था। अब यह
चिंता मुझे सताने लगी कि आर्मी मैं कैसे जाऊं। तो मेरे पास पैसे थे और ही सेना में किसी से जानकारी। एक दिन मैंने मां के संदूक से 2 रुपए चोरी किए और घर मैं बिना बताए सेना में जाने के लिए जैतो (पंजाब) रेलवे स्टेशन पहुंचा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उस स्टेशन पर मेरे गांव से काफी लोगों का आना-जाना लगा रहता है। मन में डर था किसी ने देखा तो मेरे परिजनों को बता देंगे और वह मुझे वापस ले जाएंगे। फिर मैं वहां से पैदल से 10 किमी का सफर तय कर दूसरे स्टेशन पर गया। वहां से फरीदकोट चल गया और वहां पर सेना में भर्ती हो गया। फिर तीन माह बाद घरवालों काे खत लिखकर बताया कि मैं सेना में वापस गया। द्वितीय विश्वयुद्घ के दौरान मेरी पोस्टिंग कई जगह रही। 1958 में सेना से रिटायर हो गया। फिर जब 1962 में चीन से साथ युद्ध हुआ तो मुझे वापस बुला लिया। युद्घ के दौरान हम आसाम बार्डर पर थे चीन से हमला किया उस समय मैं और मेरे तीन साथी बंकर में थे उसी दौरान एक बम आकर बंकर के पास आकर गिर गया और हमारा बंकर ढह गया और हम नीचे दब गए। तीन घंटे बाद हम कड़ी मशक्कत से बाहर निकले। एक बार तो चीनी सेना ने हमें घेर लिया और हम 45 दिन तक घेराबंदी में रहे और उस दौरान राशन की कमी के चलते दिन में एक बार ही खाना खाते थे और कभी-कभी तो खाना मिलता ही नहीं। फिर हमारे दूसरे साथियों ने आकर हमें वहां से सुरक्षित निकाला। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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