Monday, June 19, 2017

Career: अगले पांच वर्षों तक ऑटोमोबाइल सेक्टर में हर साल 20 लाख रोजगार के अवसर

देश में मध्यम वर्गीय परिवारों से लेकर कम आय वाले घरों में भी वाहन का किसी किसी रूप में उपयोग होता है। वर्तमान में वाहन आम लोगों के जीवन की जरूरत बन गए हैं। साथ ही वाहनों का उत्पादन भी बढ़ा है। इसके लिए मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को वाहनों इनके कलपुर्जे के उत्पादन के लिए प्रोफेशनल्स की आवश्यकता होती है। देश में वाहनों के बढ़ते उत्पादन से इस क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर बने हैं। नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के अनुसार भारत में अगले 5 वर्षों तक देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में हर साल करीब 20 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर बनेंगे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री, देश की सबसे बड़ी इंडस्ट्रीज़ में से एक है। देश की जीडीपी में इसकी 7.1 फीसदी की हिस्सेदारी है। जबकि इसमें सबसे ज्यादा हिस्सा 81 फीसदी टू व्हीलर सेगमेंट का है। इंडियन ब्रैंड इक्विटी फाउंडेशन के आंकड़ों के अनुसार 2020 तक पैसेंजर व्हीकल के ‌विश्व बाजार में भारत की हिस्सेदारी करीब 8 फीसदी हो जाएगी, जो 2015 में 2.40 फीसदी थी। वहीं टू व्हीलर वाहनों का उत्पादन 2016 के 1.88 करोड़ यूनिट से बढ़कर 2020 तक 34 करोड़ यूनिट हो जाएगा। इसके साथ ही देश में पैसेंजर व्हीकल की बिक्री अगले दस वर्षों मंे करीब 13 फीसदी की दर से बढ़ेगी। ये तथ्य दर्शाते हैं कि इस इंडस्ट्री का अगले कुछ वर्षों में तेजी से विस्तार होगा, जिससे रोजगार के नए मौके बनेंगे। 
आॅटोमोबाइल इंजीनियरिंग में कार, ट्रक, मोटरसाइकल, स्कूटर आदि की डिजाइनिंग, डेवलपिंग, मैन्युफैक्चरिंग, टेस्टिंग और रिपेयरिंग सर्विसिंग शामिल हैं। डिजाइनिंग से लेकर मैन्युफैक्चरिंग तक के लिए ऑटोमोबाइल इंजीनियर, इंजीनियरिंग के विभिन्न अंगों मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक और सॉॅफ्टवेयर की विशेषताओं का उपयोग करते हैं। 
ऑटोमोबाइल इंजीनियर का प्रमुख काम किसी भी कॉन्सेप्ट को डिजाइनिंग के स्तर से लेकर मैन्युफैक्चरिंग और प्रोडक्शन तक पूरी जिम्मेदारी से लागू करना होता है। ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग के कई सब-सेक्शन होते हैं, जिनमें स्पेशलाइजेशन हासिल की जा सकती है। इन सब-सेक्शन में इंजन सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कंट्रोल सिस्टम, फ्ल्यूड मैकेनिक्स, थर्मोडायनामिक्स, एरोडायनामिक्स शामिल हैं। ऑटोमोबाइल इंजीनियर को आमतौर पर तीन कैटेगरी में बांटा जाता है - प्रोडक्ट या डिजाइन इंजीनियर, डेवलपमेंट इंजीनियर और मैन्युफैक्चरिंग इंजीनियर। प्रोडक्ट या डिजाइन इंजीनियर डिजाइनिंग और टेस्टिंग का काम देखते हैं। मैन्युफैक्चरिंग इंजीनियर प्रोडक्ट को असेंबल करने का काम करते हैं। वे प्रोफेशनल जो सभी सिस्टम को कनेक्ट करने और इस प्रक्रिया को पूरा करने का काम करते हैं, डेवलपमेंट इंजीनियर कहलाते हैं।
बीई या बीटेक कर बना सकते हैं कॅरिअर: फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स से 12वीं कर चुके छात्र ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग के बीई या बीटेक कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। कुछ संस्थान प्रवेश के लिए खुद का एंट्रेंस टेस्ट भी आयोजित करते हैं। स्पेलाइजेशन हासिल करने के लिए ग्रेजुएशन डिग्री के बाद छात्र इसके एमई या एमटेक कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। शीर्ष संस्थानों में प्रवेश के लिए गेट का वैलिड स्कोर जरूरी होता है। रिसर्च क्षेत्र में कॅरिअर बनाने के लिए इसके पीएचडी कोर्स में भी प्रवेश लिया जा सकता है। 
मैन्युफैक्चरिंगयूनिट में मौके: ऑटोमोबाइलसेक्टर में कई प्रकार की नौकरियों के विकल्प मौजूद है। इसमें ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री, प्रोडक्शन प्लांट, सर्विस स्टेशन, स्टेट रोड ट्रांसपोर्टेशन, प्राइवेट ट्रांसपोर्ट कंपनी, इंश्योरेंस कंपनी और मोबाइल व्हीकल डिपार्टमेंट में जॉब कर सकते हैं। ऑटोमोबाइल इंजीनियर कंप्यूटर ऐडेड इंस्ट्रीज़ में भी बतौर डिजाइनर जॉब कर सकते हैं। इसमें व्हीकल का मॉडल डिजाइन करने जैसे काम होते हैं। ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा होल्डर ऑटोमोबाइल मेंटेनेंस वर्कशॉप, फैक्टरी में अपने कॅरिअर की शुरुआत कर सकते हैं। 
फ्रेशर को 15-20 हजार रुपए का मासिक पैकेज: इसमें योग्यता, संस्थान और अनुभव के आधार पर कमाई अलग-अलग हो सकता है। फ्रेशर को 15-20 हजार रुपए मासिक पैकेज मिल सकता है। कुछ वर्ष के अनुभव के बाद 40 हजार रु तक मासिक पैकेज हो सकता है। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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