Thursday, June 22, 2017

हरियाणा के सरकारी स्कूलों में एक और नया 'एक्सपेरिमेंट': दस अलग-अलग संस्थाओं को शिक्षा सुधार का का जिम्मा

हरियाणा शिक्षा विभाग पहली बार प्रदेश में बड़ा प्रयोग करने जा रहा है। सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों के बराबर खड़ा करने की एक बड़ी योजना तैयार की गई है। एक साथ 10 संस्थाएं शिक्षा में सुधार के लिए अलग-अलग फिल्ड में सेवाएं देगी। यह पहला मौका है, जब एक साथ संस्थाओं को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है।  यह
पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। कोशिश है कि सरकारी स्कूल, शिक्षक, छात्र और पढ़ाई का तरीका पारंपरिक ढर्रे से निकल कर आधुनिक रूप ले। इसी को ध्यान में रख कर यह प्रयोग किया जा रहा है। इसके लिए शिक्षा विभाग ने मानव संसाधन मंत्रालय से भी मंजूरी ले ली है। इसके बाद संस्थाओं से एमओयू साइन किया गया है। 
पिछले साल ही प्रदेश में कार्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी के तहत 500 करोड़ से ज्यादा और एक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा टर्न ओवर वाली कंपनियों पर कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी सैस लगाया गया है। इसमें 5 करोड़ का नेट प्रोफिट वाली कंपनियों को 2 प्रतिशत सीएसआर एक्टिविटीज पर खर्च करना होगा। शिक्षा विभाग के एसीएस पीके दास ने बताया कि संस्थाओं के साथ एमओयू साइन हो गया है। जुलाई से प्रोजेक्ट पर काम शुरू होगा।  
यह संस्थाएं देगी सेवाएं: 
  • टाटा एजुकेशनल एंड डेवल्पमेंट ट्रस्ट स्कूलों में बच्चों को मिड डे मील खिलाएगी। 
  • भारतीय शिक्षण मंडल गुडगांव बच्चों को नैतिक शिक्षा सिखाएगी।
  • बौद्ध शिक्षा समिति छात्रों को प्ले मैथड से पढ़ना सिखाएगी।
  • रोटरी इंडिया लिटरेसी मिशन तीन महीने के अंदर स्कूलों में मॉडल क्लासरूम तैयार करेगी।
  • कांवल्या एजुकेशन फाउंडेशन स्कूल हैड मास्टर्स को प्रशिक्षण उपलध करवाएगी।
  • खान एकेडमी एजुसेट के लिए कंटेंट तैयार करेगी।
  • र्लैंड हैंड इंडिया तीन जिलों में मल्टी स्किल फाउंडेशन कोर्स चलाएगी। 
  • मिशन स्पार्क फाउंडेशन अपनी सेवाएं देगी। 
  • सेंट्रल स्कवेयर फाउंडेशन अपनी सेवाएं देगी। 
  • अक्कासा पतरा अपनी सेवाएं देगी। 

प्रयोग सफल रहा तो सभी स्कूलों में इसे अमल में लाया जाएगा: यह प्रयोग है, उम्मीद है इससे शिक्षा के स्तर में सुधार आएगा। फिलहाल तो यह चुने हुए स्कूलों कार्यक्रम चलेंगे। परिणाम के बाद यह प्रयोग बाकी के स्कूलों में भी अमल में लाए जाएंगे। कोशिश है कि सरकारी स्कूल के बच्चे निजी स्कूलों के बराबर आए। संस्थाएं जहां पढ़ने के तरीकों में नवीनता के तौर पर तरीके सुझाएगी, वहीं बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए भी काम करेगी। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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