Monday, June 19, 2017

लाइफ मैनेजमेंट: दिव्यांग होने और अलग-सा पेशा अपनाने में नकारात्मकता नहीं है

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
ऐसी दुनियामें जहां दिव्यांग होना अनुत्पादक और अलग हटकर किए जाने वाले पेशे को 'पेट भरने' की तकनीक समझा जाता है, इन दोनों ने महिला होने के बावजूद इस मान्यता को कई अन्य लोगों की तरह गलत साबित
किया है। इन दोनों के बारे में मुझे जयपुर में हुए 'दैनिक भास्कर वीमेन ऑफ ईयर अवॉर्ड' समारोह में पता चला। दोनों महिलाओं को उनके योगदान के लिए राज्य, केंद्र और अंतरराष्ट्रीय मंचों से सैकड़ों अवॉर्ड मिले हैं। जो उनके अपने पेश में उनकी काबिलियत साबित और संकल्प को प्रदर्शित करते हैं। 
स्टोरी 1: किसी ने सोचा भी था कि माइनिंग इंजीनियर पिता और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर माता की यह 1993 में जन्मी बेटी 24 वर्ष की उम्र के पहले ही अपने मैजिक शो के प्रदर्शन के लिए 10 हजार से ज्यादा बार मंच पर प्रस्तुत हो चुकी होगी। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि उनके पिताजी शौकिया तौर पर मैजिक प्रॉप इकट्‌ठा करते रहते थे और वे इन प्रॉप्स की सहायता से स्कूल में 4 वर्ष की उम्र में पहली बार मैजिक शो के लिए मंच पर पहुंची थीं। अगले दिन मीडिया ने इस बच्ची की प्रतिभा की खूब सराहना की। उसके बाद से उदयपुर की महिला जादूगर अंचल कुमावत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हालांकि, इसके कारण उन्होंने स्कूल जाना नहीं छोड़ा। निजी आयोजनों में मनोरंजन की तरह शुरू हुआ जादू दिखाने का शौक धीरे-धीरे बढ़ता गया और भारत विदेशों के मंच पर पहुंच गया लेकिन, इस दौरान उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। उनके व्यावसायिक मैजिक शो 2001 में शुरू हुए जब वे आठ साल की थीं। उन शो से मिलने वाला पैसा उन्हें पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करने से नहीं रोक सका। स्कूल में लंबे समय तक गैर-हाजिर रहने के बाद भी वे स्कूल के साथियों से नोट्स लेकर कोर्स कवर कर लेतीं और अन्यों की तुलना में तेजी से याद कर लेतीं, क्योंकि जादू के पेशे में अत्यधिक एकाग्रता की जरूरत होती है, जिससे उन्हें पाठ्यक्रम को तेजी से ग्रहण करने में मदद मिलती। शौक से शुरू होकर व्यवसाय में बदले इस हुनर का उन्हें अनूठा तोहफा मिला। उन्हें 10वीं कक्षा में सिर्फ 54 फीसदी अंक मिले, जबकि 12वीं में उन्हें 70 फीसदी अंक मिले। बीए में यह आंकड़ा 73 फीसदी तक पहुंचा और हाल ही में उन्होंने फिजियोलॉजी में 68 फीसदी के साथ एमए किया है। अपने अत्यंत व्यस्त कार्यक्रमों के बीच वे पीएचडी की तैयारी में लग गई हैं। 
स्टोरी 2: दो साल की उम्र में उन्हें पोलियो हो गया। जीवन की शुरुआत में ऐसी कोई स्थायी शारीरिक मजबूरी बन जाए तो नकारात्मक मानसिकता बनना स्वाभाविक हो जाता है लेकिन, उनके मामले में ऐसा नहीं हुआ। एक शिक्षक से विवाह होने के बाद उन्होंने बिना अधिक अपेक्षा के शांति से अपना जीवन जारी रखा लेकिन, गायत्री देवी राठोर की महत्वाकांक्षा उनकी शारीरिक बाध्यता से काफी बढ़ी थी। शिक्षा के जरिये कई जिंदगियां बना रहे पति की तरह वे भी ज्यादा नहीं तो कुछ जिंदगियों को सहारा देना चाहती थीं। उनके मिशन में मदद मशरूम की खेती के लिए उनके जुनून ने दी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। 2010 में घर के टैरेस पर कुछ पॉलिथीन की थैलियों में शुरू हुए इस काम ने उन्हें नई उम्मीद दी। इसके बाद तो वह बढ़ते-बढ़ते 2015 तक दो बीघा जमीन पर फैल गया, जिसका टर्नओवर था 20 लाख रुपए। 2017 में सिर्फ मशरूम की खेती तीन बीघा जमीन पर फैल गई है बल्कि खेती के उन्नत तरीकों से यह 55 लाख रुपए के टर्नओवर का बिज़नेस हो गया। गायत्री देवी के इस व्यवसाय से 40 परिवारों को आजीविका मिली है। हरियाणा और राजस्थान की सीमा पर स्थित हनुमानगढ़ गांव में स्थित यह मशरूम व्यवसाय दोनों राज्यों के किसानों के लिए चमकता उदाहरण है, क्योंकि यह कचरे से बनी कपोस्ट खाद से चलता है और इसमें बीजों की लागत के अलावा कोई बड़ा निवेश नहीं है। यहां यह ध्यान दिलाना जरूरी है कि इस व्यवसाय में बहुत मेहनत लगती है और बहुत सतर्क रहकर रोज बारीकी से निगरानी करनी पड़ती है, जो गायत्री देवी दिव्यांग होने के बाद भी पूरी प्रतिबद्धता के साथ करती हैं। काम बहुत जीवटता मांगता है। यही बात उन्हें दूसरों से और अपनी श्रेणी के अन्य अवॉर्ड विजेताओं से पूरी तरह अलग करती है। 
मालूम क्यों पर मुझे बॉलीवुड फिल्म 'रईस' का एक डायलॉग याद आया। इस फिल्म में शाहरुख अभिनीत पात्र स उसकी मां कहती है, 'कोई धंधा छोटा नहीं होता और धंधे से बड़ा कोई धरम नहीं होता, जब तक आप किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते।' 
फंडा यह है कि जब आप दिव्यांग होते हुए भी किसी अलग-से समझे जाने वाले पेशे में सफलता दर्ज करते हैं तो आप अपनी जिदंगी में अतिरिक्त रूप से मजबूत होकर उभरते हैं। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.