Monday, June 19, 2017

हरियाणा के 55 हजार कर्मचारियों को अभी तक नहीं मिला सातवें वेतन आयोग का लाभ

हरियाणा के करीब 55 हजार कर्मचारी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लाभ से वंचित हैं। इनमें शहरी निकाय, सहकारी विभाग और बोर्ड एवं निगमों में काम करने वाले कर्मचारी शामिल हैं। प्रदेश सरकार 50 हजार
कच्चे कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों की तर्ज पर सातवें वेतन आयोग का लाभ देने का एलान कर चुकी, लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया जा सका। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। प्रदेश के सरकारी विभागों में अनुबंध पर काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या भी खासी है, जिनके वेतन में बढ़ोतरी की मांग को लगातार नजर अंदाज किया जा रहा। सरकारी विभागों को छोड़कर बाकी पेंशनर्स सातवें वेतन आयोग के लाभ का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उनकी आस भी पूरी नहीं हुई। शहरी निकायों में नगर निगम, पालिका व परिषद के 12 हजार कर्मचारी वेतन आयोग के लाभ से वंचित हैं। सहकारी विभागों में ग्रामीण बैंक, पैक्स और सहकारी समितियों के 5 हजार कर्मचारियों को लाभ नहीं मिला, जबकि बोर्ड एवं निगमों में 27 हजार कर्मचारी वंचित हैं। इनमें सबसे अधिक मार्केटिंग बोर्ड के 2500, हरियाणा एग्रो व टूरिज्म के 1500-1500, मंडी बोर्ड के 1000 और हैफेड के 1500 कर्मचारी शामिल हैं। पंचायती राज संस्थाओं में 10 हजार ग्रामीण सफाईकर्मी समेत करीब 15 हजार कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं मिल पाया है। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने सोमवार को सरकार पर दबाव बनाने के लिए हर जिला मुख्यालय पर बोर्ड-निगमों, सहकारी विभाग और शहरी निकायों के कर्मचारियों के हक में धरने-प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। संघ के प्रधान धर्मबीर फौगाट और महासचिव सुभाष लांबा ने कहा कि कर्मचारियों को भत्ते पुराने वेतनमान पर दिए जा रहे, जिस कारण सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बावजूद हर कर्मचारी के वेतन में औसतन ढाई से तीन हजार रुपये मासिक की ही बढ़ोतरी होगी, जिसे सरकार सभी पर लागू करने को तैयार नहीं है।
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साभार: जागरण समाचार 
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