Thursday, May 18, 2017

ऐसे हुआ राई स्पोर्ट्स स्कूल में पैसे का 'गोलमाल'; 70 रुपए प्रति कप तो चाय "पी गई"

राई स्पोर्ट्स स्कूल में खेल एवं अन्य जरूरी सामानों की खरीदारी में घपलेबाजी अब परत दर परत खुलती जा रही है। वित्त विभाग की ओर से कराए गए स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट में कई खामियां सामने आई हैं। स्पेशल ऑडिट
रिपोर्ट के अनुसार सामान खरीदारी में हुई करीब 3 करोड़ की अनियमितताओं में बहुत ही बारीकी से घपलेबाजी की गई है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 1.8.2016 से 3.8.2016 तक चले स्पोर्ट्स कार्यक्रम में 70 रुपए प्रति कप चाय का भुगतान किया गया। इतना ही नहीं चार सौ रुपए प्रति व्यक्ति भोजन का भुगतान किया गया। जबकि कमेटी ने केटरर के लिए 300 रुपए प्रति प्लेट प्रति व्यक्ति पास किया था। इसके अलावा वह चींजे भी खरीदी गई,जो पहले से ही स्टॉक में थी। रिपोर्ट में इस तरह की कई गड़बड़ियों के बारे में बताया गया है। हायर अथॉरिटी से खरीद की परमिशन से बचने के लिए जमकर बिल स्प्लिट किए गए यानी (किसी अधिकारी की खरीद की पावर यदि 50 हजार रुपए है, लेकिन उन्हें यदि एक लाख की चीज खरीदनी है तो इस चीज के दो बिल 50-50 हजार के बनवा लेंगे) इस तरह से खरीद अपने स्तर पर ही कर ली जाती है, इसके लिए हायर अथॉरिटी से परमिशन लेने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि आईपीएस अधिकारी भारती अरोड़ा को जब स्कूल में प्रिंसिपल के पद पर लगाया गया तो स्कूल में कई गड़बड़ी पकड़ी। इसकी शिकायत जब उनके पास आई तो उन्होंने सीएम को इस बारे में अवगत कराया। तब मामले की जांच के लिए वरिष्ठ आइएएस अधिकारी खेमका को लगाया गया। अभी वह जांच शुरू होती, इससे पहले ही प्रिंसिपल को घेरने के लिए स्पेशल ऑडिट कराया गया। 
भ्रष्टाचार मुक्त सिस्टम के लिए इस तरह की जांच जरूरी - कैप्टन: वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि स्कूल में वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत मिली थी। इसलिए स्पेशल ऑडिट कराया गया है। जो रिपोर्ट आई उसे सरकार और संबंधित मंत्रालय को भेज दिया है। इस रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई की जानी है, क्या हो सकती है यह सरकार तय करेगी। कहीं भी गड़बड़ी हो, उसकी जांच तो होनी ही चाहिए। आखिर भ्रष्टाचार मुक्त सिस्टम के लिए इस तरह की जांच तो जरूरी है। 
घपला था तो मुझसे शिकायत होनी चाहिए थी - विजराई स्कूल में अनियमितता की शिकायत पर वित्त विभाग के स्पेशल ऑडिट पर खेल मंत्री अनिल विज ने कहा कि यदि कोई एेसी शिकायत थी तो उन्हें बताया जाना चाहिए था। वे अपने स्तर पर जांच कराते, लेकिन ऐसानहीं किया गया। अनियमितता की शिकायत पर वित्त विभाग स्वयं ही जांच शुरू कर दे, यह सही नहीं है। उन्होंने बताया कि स्पेशल ऑडिट की रिपोर्ट भी उन्हें नहीं मिली, वे इस रिपोर्ट को मंगाना चाहते, क्योंकि यह रिपोर्ट मायने ही नहीं रखती। विज ने भास्कर से बातचीत में जांच के तरीके और समय को लेकर कई सवाल उठाए हैं। विज का कहना है कि अनियमितता की शिकायत थी तो कैग से जांच कराई जाती। कैग अपनी रिपोर्ट विधानसभा में रखती और फिर विधानसभा की पब्लिक एकाउंट कमेटी इस पर जांच कर आगे की कार्यवाही करती। लेकिन यहां तो इस तरीके को अपनाया ही नहीं गया।
पहले से था सामान, फिर भी खरीदा गया: 20 जनवरी 2016 को स्कूल के रिकाॅर्ड के अनुसार टेनिस बाल 348 थीं। लेकिन 29 फरवरी को एक लाख 19 हजार रुपए में 420 टेनिस बाल और खरीदी गई। 29 मार्च 2016 को 42 चेयर खरीदी गई, लेकिन स्पेशल ऑडिट के वक्त तक चेयर का बिल तो था, लेकिन स्टाक में यह चेयर नहीं मिली। 2016-17 में 7वीं से 12वीं तक की 2 लाख से अधिक की किताबें खरीदी गई, लेकिन यह किताब 31 जनवरी 2017 तक छात्रों को दी ही नहीं गई। 
23.33 लाख की खरीद, 55 बिल लिए, सभी 50 हजार से कम: रिपोर्टके अनुसार अंबाला की एक स्पोर्ट्स शॉप से 23.33 लाख रुपए का खेल का सामान खरीदा गया। इस खरीद के लिए 55 बिल बनवाए गए। इसके अलावा 21 बिल ऐसे मिले जिसके लिए कम्युटेशन ली जानी थी, लेकिन नहीं ली गई। इसी तरह से एक डिजिटल कंपनी को 32 हजार रुपए का भुगतान दो बार दिखाया गया है। जो फंड 2015-16 के खर्च के लिए मंजूर किया गया था। वह बजट अगले साल बिना मंजूरी के खर्च नहीं किय जा सकता था। लेकिन यहां ऐसा किया गया है।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.