Friday, May 19, 2017

पॉजिटिव खबर: मुस्लिम समाज ने शुरू की दहेज के खिलाफ मुहिम, बेटों की शादी में मिले दहेज के 6 करोड़ रु. लौटाए

झारखंड के पलामू प्रमंडल में दहेज के खिलाफ मुस्लिम समाज ने अनोखी मुहिम शुरू की है। इसका नाम है मुतालबय दहेज तिलक रोको तहरीक। इससे जुड़कर बड़ी संख्या में लोग बेटों की शादियों में लिए दहेज को
बेटियों के पिता को वापस कर रहे हैं। साथ ही वे अपने बेटे-बेटियों की शादी में दहेज भी नहीं ले-दे रहे हैं। अब तक इस मुहिम के जरिए 6 करोड़ रुपए लड़की पक्ष को वापस कराया जा चुका है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इस मुहिम से पलामू प्रमंडल के तीन जिलों में करीब तीन हजार गांव जुड़ चुके हैं। इससे इन मुस्लिम बहुल गांवों में काफी बदलाव भी आया है। लोगों के मुताबिक पहले 90% पिता बेटियों की शादी में दहेज देते थे। पर अब महज 10% शादियों में ही दहेज दिया जा रहा है। जो लोग बेटे के दहेज में नकद ले चुके थे। वे खुद दहेज की राशि वापस कर रहे हैं। पलामू में दो करोड़, गढ़वा में तीन करोड़ और लातेहार में 90 लाख रु. वापस हुआ है। मुहिम की शुरुआत 13 अप्रैल 2016 को लातेहार जिले के पोखरी निवासी हाजी मुमताज अली ने की थी। पेशे से हैंडलूम कारोबी मुमताज बताते हैं कि उनके पास लोग बेटियों की शादी में दहेज देने के लिए पैसे उधार लेने आते थे। वे बताते कि लड़के वाले दहेज में नकद रुपए मांग रहे हैं, बड़ी परेशानी हो रही है। कई बार मैंने उनकी मदद भी की। एक दिन मैंने सोचा कि क्यों इस परंपरा को खत्म करने की पहल की जाए। मैंने पोखरी में मुस्लिम परिवारों के साथ पंचायत की। राय मांगी तो सभी ने कहा, दहेज बंद होना चाहिए। फिर कमेटी बनाई। कमेटी के सदस्यों ने मुस्लिम बहुल गांवों में घूम-घूम कर लोगों को अभियान से जुड़ने और बेटों की शादी में लिए गए दहेज को वापस करने का आग्रह किया। बड़ी संख्या में लोगों ने हमारी अपील पर अमल करने का वादा किया। गांवों की अंजूमन कमेटियां भी अभियान में मदद कर रही हैं। झमेलवा निवासी फतेह मोहम्मद अंसारी ने 1.87 लाख रु., मनिका के मुस्तफा अंसारी ने 2 लाख रु., जमुना के हुसैन राईन ने 1 लाख रु. वापस किया है। यह तो सिर्फ बानगी है। ऐसे सैकड़ों नाम हैं, जिन्होंने दहेज वापस किए हैं। 
दहेज लेने पर काजी नहीं करवाते निकाह: कुछ दिनों पहले मेदिनीनगर के शिवाजी मैदान में तहरीक मुहिम को लेकर सम्मेलन हुआ था। इसमें 20 हजार लोग शामिल हुए थे। इसमें कमेटी ने तय किया कि लड़का पक्ष यदि लड़की वालों से दहेज में नकद लेता है, तो समाज के लोग उसके यहां खान-पान का बहिष्कार करेंगे। इसके अलावा मस्जिद के इमाम और काजी निकाह भी नहीं करवाते हैं  
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साभार: भास्कर समाचार 
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