Friday, May 19, 2017

सीबीएसई रैंकिंग में सहयोग नहीं करने वाले स्कूलों पर लगेगा 50 हजार जुर्माना

रैंकिंग प्रक्रिया में सहयोग नहीं करने वाले स्कूलों के खिलाफ सीबीएसई सख्त रुख अपनाने जा रही है। करीब एक हजार सीबीएसई स्कूलों पर 50-50 हजार रुपए जुर्माना लग सकता है। इन्हें 31 मई तक का समय दिया
गया है। इसके बाद इन्हें जुर्माने के साथ ही जानकारी 30 जून तक देनी होगी। यह जानकारी सीबीएसई बोर्ड चेयरमैन आरके चतुर्वेदी ने दी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि बोर्ड अगस्त माह तक स्कूलों की रैंकिंग तैयार करने में लगा है। देश भर के स्कूलों को ए,बी,सी,डी,ई श्रेणी की रैंकिंग में रखा जाएगा। इसका आकलन स्कूल द्वारा छात्रों को मुहैया कराई जा रही सुविधा के अनुरूप होगा। स्कूल किसी तरह की मनमानी करें, इसके लिए बोर्ड ने स्कूल बायलॉज रिव्यू कमेटी सितंबर में गठन किया था। स्कूलों की मनमानी पर रोकने के लिए बोर्ड द्वारा गठित स्कूल बायलॉज कमेटी नियमों में बदलाव कर रही है। 
सीबीएसई ने साथ ही स्कूलों को निर्देश जारी किए थे कि वह समय पर अपना स्कूल डेटा स्कूल की वेबसाइट पर अपडेट करने के साथ ही बोर्ड को भी भेजें। अब ऐसा करने वाले स्कूलों को 30 जून तक का समय दिया गया है, साथ ही देरी से डेटा अपलोड करने पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। अभी बोर्ड से 18 हजार से ज्यादा स्कूल रजिस्टर्ड हैं, इनमें से करीब 17 हजार स्कूल अपना डेटा भेज चुके हैं। दरअसल बोर्ड ने देशभर के स्कूलों को एक निर्देश जारी पूछा है कि वह कितनी फीस ले रहे हैं और बदले में छात्रों को कौन-कौन सी सुविधाएं दे रहे हैं? स्कूलों के लिए यह जानकारी अपनी वेबसाइट पर हर हाल में 30 जून तक अपलोड करनी है।साथ ही जानकारी सीबीएसई को भेजनी जरूरी है। स्कूल का एरिया कितना है, सीबीएसई से एफिलिएशन कब मिला। फायर की एनओसी है या नहीं? 
बोर्ड की जनसंपर्क अधिकारी रमा शर्मा का कहना है कि बोर्ड के एफिलिएशन बायलॉज के चैप्टर 2 के क्लॉज 11 में प्वाइंट में बदलाव को लेकर स्कूलों से सारी जानकारी मांगी जा रही है। साथ ही निर्देश दिए गए हैं कि वह अपनी वेबसाइट पर भी इस जानकारी को अपलोड करें। ऐसा इसलिए भी जरूरी है कि अभिभावक कई बार अच्छी स्कूल बिल्डिंग देखकर बच्चे का दाखिला करा देते हैं, बाद में पछतावा होता है कि स्कूल में यह सुविधा नहीं है। वह सुविधा नहीं है। जब बोर्ड के पास सारी जानकारी होगी तो स्कूलों की रैंकिंग बनाई जाएगी और वह भी स्कूलों की वेबसाइट पर अपडेट होगी। जिसके आधार पर पता चल सकेगा कि स्कूल में क्या सुविधाएं हैं? बोर्ड के इस फैसले से जहां नियमों में एकरूपता जाएगी वहीं स्कूल प्रबंधन को भी इसकी स्पष्टता रहेगी। 
ट्रांसपोर्ट सुविधा: ट्रांसपोर्ट का चार्ज बच्चों से कितना लिया जाता है? स्कूल के पास खुद अपनी कितनी बसें और गाडिय़ां हैं। बच्चों के अलावा स्कूल चेयरमैन, प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल के पास अपनी प्राइवेट कितनी कारें हैं? महिला टीचर स्टाफ के लिए ट्रांसपोर्ट के क्या इंतजाम हैं? 
सुरक्षा के इंतजाम: स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठते हैं, ऐसे में पूछा गया है कि स्टूडेंट और लेडी टीचर की सेफ्टी के लिए क्या इंतजाम स्कूल ने किए हैं? फायर अलार्म है या नहीं, फायर से सेफ्टी एनओसी ली है या नहीं? स्कूल में ड्रिंकिंग वाटर सर्टिफिकेट है या नहीं? स्कूल में क्लास रूम कैसे हैं? स्मार्ट क्लास रूम हैं या नहीं। पठन-पाठन की सुविधा फिजिकल है या वर्चुअल मोड भी है। क्लास रूम के अलावा साइंस लैब, बायोलॉजी और फिजिक्स लैब किस स्तर की हैं? स्पोर्ट्स सुविधाएं हैं, इंडोर स्पोर्ट्स की क्या सुविधाएं हैं? स्वीमिंग पूल है या नहीं?, कैंटीन है या नहीं?
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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