Thursday, May 18, 2017

रेवाड़ी में 15-16 साल की 13 छात्राओं ने 8 दिन तक भूख हड़ताल कर सरकार को झुकाया, स्कूल हुआ अपग्रेड

बेटियों की जिद ने आखिर हरियाणा की खट्‌टर सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया है। यहां रेवाड़ी जिले के गोठड़ा टप्पा डहीना गांव की 83 लड़कियां 10वीं के बाद पढ़ाई जारी रखने के लिए गांव के स्कूल को अपग्रेड
कराने के लिए धरने पर बैठी थीं। इनमें 13 लड़कियां तो भूख हड़ताल पर थीं। दरअसल, 10वीं के बाद इन्हें पढ़ने के लिए तीन किमी दूर गांव कंवाली के स्कूल में जाना पड़ता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। रास्ते में मनचले उनके साथ छेड़छाड़ करते थे। इससे परेशान होकर लड़कियां अनशन पर बैठ गईं। अनशन के आठवें दिन 3 लड़कियों की तबीयत बिगड़ने के बाद राज्य सरकार ने उनकी मांगें मान लीं। 
सरकार को झुकाने वाली लड़कियों के संघर्ष की कहानी उन्हीं की जुबानी: हम पढ़ना चाहती हैं। 10वीं के बाद पढ़ने के लिए हमें अपने गांव से तीन किमी दूर कंवाली गांव के स्कूल में जाना पड़ता है। पर यह तीन किमी का रास्ता हमारे लिए जहन्नुम से कम नहीं है। बाइक पर हेलमेट पहनकर लड़के हमें तंग करते हैं। हमारे पीछे आकर गंदी-गंदी फब्तियां कसते हैं। सीटियां बजाते हैं। छेड़खानी भी करते हैं। हमने इसकी शिकायत घरवालों से की। इस पर घरवाले हमसे ही कहने लगे कि पढ़ने की आखिर जरूरत ही क्या है? तुम्हारी पढ़ाई के चक्कर में हम किस-किससे झगड़ेंगे? इतना टाइम किसके पास है जो तुम्हें रोज-रोज स्कूल छोड़ने और लेने जाएं। चुपचाप घर पर बैठो और चौका-बर्तन करो। इसके बाद हमने स्कूल में मास्टर साहब को भी मनचलों की हरकतों के बारे में बताया। उन्होंने भी नजरअंदाज कर दिया। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि मनचलों के डर के मारे हमारी कई सहेलियों ने स्कूल आना तक छोड़ दिया। कई को परिजनों ने घर पर बैठा दिया। कुछ लड़कियों के परिवारों ने छेड़छाड़ की शिकायत पुलिस से भी की। 10-12 दिन पुलिस ने स्कूल जाने और लौटने के समय गश्त भी की। फिर पुलिस भी ढीली पड़ गई और मनचले फिर मंडराने लगे। इससे परेशान हो हम सभी सहेलियों ने खुद ही संघर्ष का फैसला किया। 10 मई को स्कूल के पास धरने पर बैठ गईं। हम बेखौफ होकर पढ़ना चाहती हैं। इसलिए यही मांग रखी कि गांव का स्कूल ही 10वीं से अपग्रेड कर 12वीं तक कर दिया जाए, ताकि हमें मनचलों से छुटकारा मिल सके। पहले दिन तो हमारे घरवालों को भनक तक नहीं थी कि हम भूख हड़ताल और धरने पर बैठी हैं। जब देर शाम तक लड़कियां घर नहीं पहुंची तो घरवालों ने खोजबीन शुरू की। तब जाकर पता चला कि लड़कियां तो धरने पर बैठी हैं। पहले दिन गांव के 40-50 लोग हमारे साथ आए, लेकिन परिवार वालों ने अनशन खत्म करने का दबाव बनाया। हम नहीं मानीं तो वह भी साथ जुड़ गए। दो दिन बाद कुछ लड़कियों की मां और दादी भी भूख हड़ताल पर बैठ गईं। जब सबने मिलकर आवाज उठाई ताे सरकार के कानों तक भी पहुंची। दबाव बढ़ने पर अधिकारी और स्थानीय नेता आश्वासन देने पहुंचे। लेकिन हमें वादों पर भरोसा नहीं रहा था। हमें तो सरकारी आदेश चाहिए था, वह भी लिखित में। अधिकारी लाख फुसलाते रहे, लेकिन हम अपनी जिद पर अड़ी रहीं। खुशी है कि आठ दिन के संघर्ष के बाद सरकार ने लिखित में हमारी मांगें मान ली हैं। अब मनचलों की वजह से हमारी पढ़ाई नहीं छूटेगी।
धरने के बाद 2005 में कांग्रेस सरकार ने अपग्रेड करने की घोषणा की थी, पर वादा नहीं निभाया: गांव वाले17 साल से स्कूल को अपग्रेड करने की मांग कर रहे थे। उनका कहना है कि सरकारें हमेशा भरोसा तोड़ती रहीं। 2005 में कांग्रेस सरकार ने स्कूल अपग्रेड करने की घोषणा की थी। ग्रामीणों का कहना है कि एक छात्रा से दुष्कर्म के बाद खट्‌टर सरकार ने 2016 में सुमा कतोपुरी स्कूल अपग्रेड करने का भरोसा दिया था। 3 माह तक वादा पूरा नहीं हुआ तो धरना देना पड़ा। इसलिए ग्रामीण लिखित आश्वासन पर अड़े थे। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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