Wednesday, February 22, 2017

विश्वविद्यालय बनें स्वायत्त, प्रोफेसर 65 की उम्र में हो रिटायर, नियमित भर्ती में गेस्ट फैकल्टी को मिले मौका

सरकार के हाथों की कठपुतली बन चुके विश्वविद्यालयों को अब स्वायत्त करने की जरूरत है। इसके लिए कार्यकारी परिषद में लिए निर्णय को सरकार के पास भेजने की बजाय अंतिम माना जाए और बजट में प्लान और नॉन प्लान को खत्म किया जाए, लेकिन खर्च का ब्यौरा मांगा जाए। विश्वविद्यालय के प्रोफेसर की
सेवानिवृत्ति की आयु 65 साल हो और वीसी का कार्यकाल 5 साल हो यानी 70 वर्ष की उम्र तक काम कर सकें। गेस्ट फैकल्टी को नियमित करने के ज्यादा से ज्यादा मौके दिए जाएं। ज्यादा मांग वाले सेल्फ फाइनेंस कोर्स को सरकार अपने हाथ में लेकर उनको नियमित करें। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। प्रदेश केे विश्वविद्यालयों में सुधार के लिए करीब आठ माह पूर्व माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीके कुठियाला के नेतृत्व में गठित पांच सदस्यीय कमेटी ने ऐसे ही सुझाव दिए हैं। कमेटी ने मंगलवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल और शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा को रिपोर्ट सौंप दी। कमेटी में कुरुक्षेत्र विवि के प्रो. ओमप्रकाश अरोड़ा को कनवीनर जबकि डॉ. योगेश सिंह, डॉ. रजनीश अरोड़ा सीएम के अतिरिक्त प्रधान सचिव राकेश गुप्ता सदस्य नियुक्त किए गए थे। 
सुब्रह्मण्यम समिति ने कुलपति को बताया था सरकार की कठपुतली: पिछलेसाल सुब्रह्मण्यम समिति ने भी विश्वविद्यालयों के बारे में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके सदस्यों ने विश्वविद्यालयों में आए दिन कुलपति पर सरकार के दबाव में आकर फैसले लेने की बात का जिक्र किया था। इस समिति ने कुलपति के चयन को पारदर्शी बनाने की सिफारिश की थी कि इनका चयन बेशक सर्च कमेटी ही करे, मगर नाम मेरिट के आधार पर चयनित होने चाहिए। इसके लिए उनकी नियुक्ति काबिलियत, शोध, पढ़ाई में मिले अवाॅर्ड आदि की उपलब्धियों के आकलन पर होनी चाहिए। 
विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता देने पर जोर:  रिपोर्ट तैयार करने के लिए राज्य के विश्वविद्यालयों के सभी अधिनियमों की समीक्षा की गई। जांच में सामने आया कि इस समय विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता नहीं मिली हुई है और रिपोर्ट में इसी पर बल दिया गया है। -प्रोफेसरबीके कुठियाला, अध्यक्ष, विश्वविद्यालय रिफॉर्म कमेटी, हरियाणा। 
कमेटी ने तीन मॉडल एक्ट भी बनाकर दिए हैं, जिनमें से एक एक्ट सभी विश्वविद्यालयों (सरकारी और निजी) की समान कार्यप्रणाली के लिए है, जबकि अन्य एक्ट उच्च शिक्षा परिषद उच्च शिक्षा आयोग के गठन कार्यप्रणाली को लेकर है, जो विश्वविद्यालयों में सुधार का काम करेगी। इन मॉडल एक्ट में परिषद का अध्यक्ष किसी शिक्षाविद् को जबकि आयोग का अध्यक्ष मुख्यमंत्री को बनाने की भी सिफारिश की गई है। वहीं सभी विश्वविद्यालयों के लिए बनाए पब्लिक यूनियन मॉडल एक्ट में महापरिषद, कार्यकारी परिषद और शिक्षा परिषद के गठन की बात कही गई है। सबसे बड़ी बॉडी महापरिषद होगी। मगर सबसे ज्यादा अधिकारी कार्यकारी परिषद को देने की बात कही गई है। इसी प्रकार कमेटी ने सिफारिश की है कि विश्वविद्यालयों में चल रहे जिन सेल्फ फाइनेंस कोर्स में 70 प्रतिशत तक सीटें भर रही हैं, उन कोर्स को रेगुलर किया जाए, क्योंकि युवाओं में उन कोर्स की मांग है। हायर और टेक्नीकल एजूकेशन की समीक्षा और शिक्षा को वर्तमान संदर्भ के अनुकूल बनाने के लिए 5 सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। कमेटी 6 महीने में रिपोर्ट देगी। यहां बता दें प्रदेश सरकार ने गत 23 जून को यह कमेटी गठित की थी। इसका उद्देश्य हायर एजूकेशन और टेक्नीकल एजूकेशन की समीक्षा करना और सुधार के लिए सुझाव देना था। इस कमेटी को साढ़े चार माह का समय दिया गया था लेकिन यह रिपोर्ट अब सौंपी गई है। अब इस रिपोर्ट पर आम जनता से टिप्पणियां भी मांगी जाएंगी। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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