देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है। जीडीपी में इसकी 17.5 फीसदी हिस्सेदारी है। यह देश के विभिन्न सेक्टर में रॉ मटीरियल की सप्लाई में भी योगदान करता है। गत वर्षों में कृषि में नई तकनीकें आने से इसमें कई मूलभूत बदलाव आए हैं। बिज़नेस स्ट्रैट्जी और वैश्वीकरण के नए ट्रेंड से कृषि क्षेत्र भी अछूता नहीं रहा है। वर्तमान समय में कृषि सिर्फ खाद्य उत्पादन तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि
बिज़नेस के क्षेत्र में भी यह अहम भूमिका निभा रही है। एग्रीकल्चर-बेस्ड प्रोडक्ट्स का उत्पादन बढ़ने के साथ इस क्षेत्र में कॅरिअर के नए विकल्प सामने रहे हैं। एग्री बिज़नेस के क्षेत्र में रोजगार की नई संभावनाएं पैदा हुई हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। वे कंपनियां, जो किसानों के साथ बिज़नेस ट्रांजेक्शन करती हैं, एग्री बिज़नेस के क्षेत्र में आती हैं। चाहे ये ट्रांजेक्शन प्रोडक्ट या फिर सर्विस के रूप में ही किए गए हों। इसी प्रकार खेती, बीज, पेस्टिसाइड्स और डिस्ट्रीब्यूशन, खेती के लिए लोन देना, एग्रीकल्चर इंश्योरेंस, कृषि उत्पादों का संरक्षण और प्रोसेसिंग भी एग्रीबिज़नेस में शामिल है। भारत जैसे विकासशील देशों में एग्रीबिज़नेस को चार भागों में बांटा जा सकता है- निवेश, उत्पादन, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग। भारत में हर साल करीब 20 से 30 फीसदी खाद्य पदार्थ और लगभग 30 फीसदी फल सब्जियां बाढ़, कीड़े और स्टोरेज फैसिलिटी की कमी से बर्बाद हो जाते हैं। ऐसे में इसे कम करने और ज्यादा पैदावार को बढ़ावा देने एग्रीबिज़नेस मैनेजमेंट की मांग बढ़ी है। इस क्षेत्र से कोर्स करने वाले छात्रों की संख्या कम होने के कारण ट्रेंड प्रोफेशनल की कमी है।
बिज़नेस के क्षेत्र में भी यह अहम भूमिका निभा रही है। एग्रीकल्चर-बेस्ड प्रोडक्ट्स का उत्पादन बढ़ने के साथ इस क्षेत्र में कॅरिअर के नए विकल्प सामने रहे हैं। एग्री बिज़नेस के क्षेत्र में रोजगार की नई संभावनाएं पैदा हुई हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। वे कंपनियां, जो किसानों के साथ बिज़नेस ट्रांजेक्शन करती हैं, एग्री बिज़नेस के क्षेत्र में आती हैं। चाहे ये ट्रांजेक्शन प्रोडक्ट या फिर सर्विस के रूप में ही किए गए हों। इसी प्रकार खेती, बीज, पेस्टिसाइड्स और डिस्ट्रीब्यूशन, खेती के लिए लोन देना, एग्रीकल्चर इंश्योरेंस, कृषि उत्पादों का संरक्षण और प्रोसेसिंग भी एग्रीबिज़नेस में शामिल है। भारत जैसे विकासशील देशों में एग्रीबिज़नेस को चार भागों में बांटा जा सकता है- निवेश, उत्पादन, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग। भारत में हर साल करीब 20 से 30 फीसदी खाद्य पदार्थ और लगभग 30 फीसदी फल सब्जियां बाढ़, कीड़े और स्टोरेज फैसिलिटी की कमी से बर्बाद हो जाते हैं। ऐसे में इसे कम करने और ज्यादा पैदावार को बढ़ावा देने एग्रीबिज़नेस मैनेजमेंट की मांग बढ़ी है। इस क्षेत्र से कोर्स करने वाले छात्रों की संख्या कम होने के कारण ट्रेंड प्रोफेशनल की कमी है।
जॉब प्राॅस्पेक्ट: एग्रीबिज़नेस मैनेजमेंट कोर्स करने वाले छात्र वेयरहाउसिंग, रिटेल, बीज, फर्टिलाइजर एंड पेस्टिसाइड्स कंपनियों, बैंक और इंश्योरेंस सेक्टर में काम कर सकते हैं। इसके अलावा में इसमें मैनेजमेंट एक्सपर्ट, पॉलिसी मेकर्स और शिक्षण संस्थानों में जॉब कर सकते हैं।
एलिजिबिलिटी: एग्रीबिज़नेस मैनेजमेंट के कोर्स पोस्टग्रेजुएट स्तर पर होते हैं। डेयरी, फूड, एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग या संबंधित स्ट्रीम से बैचलर डिग्री करने वाले छात्र पीजी कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। अधिकतर संस्थानों मंे इसका पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स होता है। इसमंे प्रवेश के लिए कैट, ज़ैट, मैट, सीमैट या एटीएमए जैसे मैनेजमेंट टेस्ट का स्कोर जरूरी होता है। कुछ संस्थान खुद का एंट्रेंस टेस्ट भी आयोजित करते हैं। आगे की पढ़ाई के लिए छात्र पीएचडी कोर्स में भी प्रवेश ले सकते हैं। इसके लिए मास्टर डिग्री में 50 से 60 फीसदी या ज्यादा अंक जरूरी होते हैं।
कमाई: इस क्षेत्र में संस्थान के अनुसार सैलरी पैकेज अलग हो सकता है। एग्रीबिज़नेस मैनेजमेंट के क्षेत्र में फ्रेशर को 15-20 हजार रु. प्रति माह का पैकेज मिल सकता है। कुछ वर्षों के अनुभव के बाद सालाना पैकेज 6 लाख रु. तक हो सकता है। आईआईएम जैसे बड़े संस्थानों से ग्रेजुएट छात्रों को शुरुआत में ही ज्यादा पैकेज मिलने की संभावना होती है। शिक्षा क्षेत्र भी शुरुआती पैकेज 5-7 लाख रुपए सालाना हो सकता है।
प्रमुखसंस्थान:
- आईआईएम, लखनऊ https://www.iiml.ac.in/
- आईआईएम, अहमदाबाद www.iimahd.ernet.in/
- मैनेज, हैदराबाद www.manage.gov.in/
- आईएबीएम, बीकानेर www.iabmbikaner.org/
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साभार: भास्कर समाचार
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