Sunday, January 15, 2017

यदि आप सपने देख रहे हैं तो बड़े सपने देखें

मैनेजमेंट फंडा (एन. रघुरामन)
कड़ाके की ठंड ने देश के कई भागों को जमा दिया है लेकिन, इसके कारण गुजरात सरकार वाइब्रेंट गुजरात 2017 का आयोजन करने से नहीं चूकी। व्यावसायिक कुशलता के लिए पहचान बनाने वाला यह राज्य 29 हजार
समझौता-पत्रों पर दस्तखत करने में कामयाब रहा, जिसके जरिये निवेश 30 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा होने की उम्मीद है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हर दो साल बाद होने वाला यह बिज़नेस सम्मेलन जब समाप्त हुआ तो बापूनगर के निवासी हर्षवर्द्धन झाला भी उन कई व्यवसायियों में से थे, जिन्होंने गुजरात सरकार के साथ बारूदी सुरंगों का पता लगाने वाले ड्रोन के उत्पादन के सौदे पर हस्ताक्षर किए। 
कड़क-चुस्त नीले सूट में सजे चश्मा पहने वाले इन सज्जन ने वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में पांच करोड़ रुपए का ड्रोन का सौदा कर सनसनी फैला दी। खास बात यह है कि ड्रोन उनका डिजाइन किया हुआ है। 2016 में किसी समय पठानकोट हमले की खबर टीवी पर देखते हुए उन्हें लगा कि बहुत सारे सैनिक बारूदी सुरंगों को नाकाम करते समय गंभीर रूप से घायल होकर शहीद हो जाते हैं। उन्होंने देश के लिए कुछ करने का फैसला ले लिया और इसके साथ खुद के लिए एक बिज़नेस प्लान बनाया। सौदा अपनी झोली में डालने के पहले उन्होंने अपने डिजाइन किए ड्रोन के तीन प्रोटोटाइप पर करीब 5 लाख रुपए खर्च किए। यह ड्रोन इन्फ्रारेड, आरजीबी सेंसर और थर्मल मीटर के अलावा 21 मेगापिक्सल कैमरे से लेस है, जिसमें मैकेनिकल शटर है ताकि हाई रिज्योल्यूशन फोटो लिए जा सके। ड्रोन का डिजाइन ऐसा है कि यह सतह से दो फीट की ऊंचाई पर उड़ता हुआ आठ वर्ग मीटर क्षेत्र में तरंगे भेजता है। ये तरंगे बारूदी सुरंगों का पता लगा लेती हैं और ड्रोन उनकी स्थिति से आधार स्थल को अवगत कराता है। इस ड्रोन में 50 ग्राम वजन का बम भी होता है, जिसका इस्तेमाल बारूदी सुरंगे नष्ट करने में किया जा सकता है। उन्होंने इसके पेटेंट के लिए रजिस्ट्रेशन किया है और एरोबोटिक्स नामक कंपनी भी स्थापित की है। उन्होंने इस ड्रोन के उत्पादन के लिए पूरा बिज़नेस प्लान भी बना लिया है। यदि एक क्षण के लिए भी आपको लगा हो कि मैं इस कॉलम में किसी व्यवसायी का प्रोफाइल क्यों लिख रहा हूं तो जरा ठहरिए। 
हर्षवर्द्धन झाला कोई बड़े व्यवसायी नहीं है बल्कि वे 14 वर्ष आयु के 10वीं कक्षा के छात्र हैं और उन्हें बापूनगर के सर्वोदय विद्यामंदिर में देखा जा सकता है। वे सामान्य परिवार के हैं और उनके पिता प्रद्युम्नसिंह एक प्लास्टिक कंपनी में अकाउंटेंट हैं,जबकि मां निशाबा गृहणी हैं। जहां उनकी उम्र के ज्यादातर बच्चे आने वाली बोर्ड परीक्षा के लिए परेशान रहते हैं वहीं सरकार इस युवा मस्तिष्क पर दांव लगाने के लिए आगे आई है। हर्ष ने ड्रोन उत्पादन की अपनी योजना में इन मानवरहित यानों की कई किस्मों की कल्पना की है, जिनका ब्ल्यू प्रिंट तैयार है। बस पेटेंट रजिस्टर होने का इंतजार है। 
अपने प्रोडेक्ट का पेटेंट हासिल करने और उसका उत्पादन करने की झाला कि इच्छा तब बलवती हुई जब वे अमेरिका में गूगल के मुख्यालय अपना एक प्रोजेक्ट निवेशकों के सामने रखने गए थे। गूगल की यह सारे खर्चों सहित नि:शुल्क यात्रा स्थानीय इंजीनियरिंग कॉलेज में इनोवेशन इवेंट में जीती इनामी राशि का हिस्सा थी। अब वे फिर अमेरिका जाएंगे, निवेशकों को समझौता-पत्र के बारे में बताने और उन्हें विश्वास है कि वे उनकी कंपनी में निवेश के लिए तैयार हो जाएंगे। उनका सपना अपनी कंपनी को एपल और गूगल से बड़ी कंपनी बनाने का है। 
फंडा यह है कि यदिआप बड़ा सपना देखे और इसे साकार करने के लिए काम करें तो निश्चित ही आप सफल कॅरिअर की अोर मजबूती से बढ़ सकेंगे। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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