Tuesday, December 6, 2016

नोटबंदी के बाद जानना जरूरी है इन कैशलेस लेन-देन के तरीकों के बारे में

जितेंद्र सोलंकी (सदस्य,फाइनेंशिल प्लानर्स गिल्ड ऑफ इंडिया)
नोटबंदी से लोगों की परेशानी देखते हुए हर जगह ई-पेमेंट को बढ़ावा दिया जा रहा है। ई-पेमेंट के कई तरीके हैं। खुशी इस बात की भी है कि अब पैसे लेकर चलने की जरूरत नहीं। मोबाइल या कार्ड से ही आने वाले समय में
सारे पेमेंट हो जाएंगे, पैसा भी ट्रांसफर होगा, लेकिन इसका पैसा आपकी जेब से ही निकल रहा है, जानिए इस बारे में:
अब देशकी इकोनॉमी कैशलेस लेन-देन की ओर तेजी से बढ़ेगी। एटीएम के बाहर कतारें और चेक को कैश कराने के लिए कतार में लगने की बजाय लोग ऑनलाइन लेन-देन ज्यादा करने लगे हैं। कुछ विकल्प हैं, जो कैशलैस लेन-देन के लिए हैं, लेकिन आप के लिए यह जानना जरूरी है कि अभी भी हमारे यहां सायबर कानून ऐसे नहीं है, जो कैशलेस लेन-देन में घपलों पर सजा दे सके। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। जानिए इन विकल्पों के बारे में- 
  • ई-वॉलेट्स: नोटबंदी का सबसे ज्यादा फायदा इनको ही मिल रहा है। ये हैं पेटीएम, मोबीक्विक, एयरटेल, एसबीआई बडी, ये सभी ई-वॉलेट्स हैं। ई-वॉलेट यानी प्रीपेड बटुआ, जिससे आपको नोट जेब में लेकर घूमने की जरूरत नहीं रह जाएगी। जैसे ही बैंक के खाते से किसी ई-वॉलेट में फंड ट्रांसफर करेंगे, आप इसका प्रयोग कर सकेंगे। ई-वॉलेट का सबसे बड़ा लाभ आप छोटे-छोटे भुगतान जैसे 100 रु., 50 रु., किसी को भी दे सकेंगे। पेटीएम सब्जी और किराने वाले तक के पास में मिलने लगे हैं। 
  • ऑनलाइन बैंकिंग- मोबाइल बैंकिंग के शुरू हो जाने से विशेषरूप से आईएमपीएस ऑनलाइन बैंकिंग तेजी से बढ़ी है। किसी को पैसे भेजनने का काम, ई-पेमेंट के जरिये कुछ ही सेकंड में हो जाता है। एनईएफटी, आरटीजीएस और आईएमपीएस तीन तरीके हैं, जिससे नेट बैंकिंग की जा सकती है। इन तीनों की अपनी सीमा है। फिर भी आईएमपीएस ऐसा है, जो बहुत तेज है और 24 घंटे पूरे हफ्ते चलेगा। किसी को पैसा भेजने के लिए आपको मात्र अकाउंट नंबर, आईएफएससी कोड के साथ या मोबाइल नंबर पता होना जरूरी है। जैसे ही आप भेजते हैं, पैसा कुछ ही देर में दूसरे पक्ष के खाते में पहुंच जाता है। 
  • कार्ड्स: डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड लंबे समय से लोग चला रहे हैं। इनकी अपनी कमियां और विशेषताएं हैं। डेबिट कार्ड आपके बैंक खाते से संबंधित रहते हैं। इसलिए आप उसे आपके खाते में जितना पैदा है, उतना उपयोग कर सकते हैं। क्रेडिट कार्ड की अवधि है। इसे प्रीपेड वर्चुअल कार्ड के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं। 
  • यूपीआई-भारतीयरिजर्वबैंक द्वारा यूपीआई नामक भुगतान का नया तरीका विकसित किया है। इसमें आपको बैंक खाते का नंबर याद रखने की जरूरत नहीं है। यह एक यूनिक आईडी से बनता है। इसमें रजिस्टर होने के बाद पैसे का लेन-देन संभव है और भुगतान भी किया जा सकता है। आपको अपनी बैंक का यूपीआई अप्लीकेशन डाउनलोड कर वर्चुअल आईडी तैयार करना होता है। यह यूनिक आईडी ही किसी अन्य यूपीआई के चलाने वाले यूज़र से पैसा ले और दे सकता है। यह तेजी से ट्रांसफर होने वाली प्रक्रिया है, लेकिन इसमें स्मार्ट फोन जरूरी है। यह एटीएम के बाद सबसे बड़ा आविष्कार माना जाता है। जैसे-जैसे यह लोकप्रिय होगा, यह पूरा परिदृश्य बदलकर कैशलेस इकोनॉमी चलाएगा। 

आपको क्या जानना जरूरी: इन सभी तरीकों से लेन-देन करने का शुल्क आपको देना होता है। ई-वॉलेट्स के शुल्क सबसे अधिक हैं। यह लेनदेन की राशि का 4 फीसदी है। ऑनलाइन बैंकिंग जैसे एनईएफटी अथवा आरटीजीएस में 5 रुपए से लेकर 20 रुपए तक या लेनदेन की राशि के अनुसार पैसा लिया जाता है। जब आप कार्ड का उपयोग कर रहे हैं तो आप 1 या 2 फीसदी ज्यादा ही भुगतान कर रहे होते हैं। यूपीआई गेम चेंजर होगा, क्योंकि यह बेहद कम लागत पर काम करता है। वर्तमान में इस अप्लीकेशन के प्रयोग पर कोई पैसा नहीं लिया जा रहा है, लेकिन आने वाले समय में इसमें 50 पैसा वसूला जा सकता है। इस तरह के पेमेंट तरीकों की एक सीमा है, सबसे बड़ी चिंता आपके डाटा की सिक्यूरिटी की है। अभी हमारे देश में सायबर लॉ योथोचित रूप से तैयार नहीं हैं।
क्या करना चाहिए: यह सही है आगे बहुत कुछ कैशलेस होगा। अब आपको यह देखना है कि किसमें आपको चार्ज कम से कम लगेगा और किसमें आप सुरक्षित रहेंगे। बार-बार पासवर्ड या पिन बदलते रहना चाहिए।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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