Monday, December 26, 2016

मनमर्जी से फीस बढ़ा रहे निजी स्कूल, फार्म छह से भी किनारा

निजी स्कूलों में हर साल मनमाने ढंग से बढ़ाए जा रहे शुल्क पर अंकुश लगाने के प्रदेश सरकार के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। अधिकतर स्कूल संचालक फार्म छह को जमा कराने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। सरकारी स्तर पर भी इस मामले में खानापूर्ति की जा रही है। अधिकतर जिलों में स्कूलों पर नजर रखने वाली
कमेटियों का गठन तक नहीं किया गया। इसका फायदा उठाकर प्राइवेट स्कूल मनमर्जी से फीस बढ़ा रहे हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। दो जमा पांच मुद्दे जन आंदोलन के अध्यक्ष सत्यवीर सिंह एडवोकेट ने नियम 158 को सख्ती से लागू कराने के लिए अदालत में जनहित याचिका भी दाखिल की है। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने अदालत में शपथपत्र दिया कि नियम 158 को सही मायनों में लागू करने करने के लिए नियम 158ए और 158बी को भी जोड़ दिया गया है। इसके बावजूद निजी स्कूल फ ार्म छह भरकर कक्षावार वसूली जाने वाली फीस को शिक्षा विभाग से पास नहीं करा रहे। शिक्षा विभाग भी इन स्कूलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा, जिसका खामियाजा अभिभावकों को भुगतना पड़ रहा है। वहीं, शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने माना कि कई बार शिकायतें आती हैं कि प्राइवेट स्कूल बिना बताए अपनी फीस बढ़ा देते हैं। स्कूल शिक्षा अधिनियम 158 और 158-ए के तहत निजी स्कूलों को कानूनी तौर पर फीस बढ़ोतरी से पहले एक समय सीमा के अंदर प्रदेश सरकार को बताना होगा। प्रस्तावित बढ़ी फीस को फार्म छह में भरकर 31 दिसंबर तक विभाग के पास जमा कराना अनिवार्य है। एक बार अधिसूचना जारी होने के बाद दोबारा फीस में बढ़ोतरी नहीं की जा सकती। फार्म छह नहीं भरने वाले स्कूल फीस नहीं बढ़ा सकते। अगर कोई स्कूल ऐसा करता है तो जिला शिक्षा अधिकारी, शिक्षा विभाग के निदेशक या अतिरिक्त मुख्य सचिव को शिकायत करें। दोषी पाए जाने पर स्कूल की मान्यता रद की जा सकती है।

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साभारजागरण समाचार 
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