Friday, December 30, 2016

अभय चौटाला नहीं माने ओलम्पिक संघ के आजीवन अध्यक्ष पद से हटने की बात

आइएनएलडी नेता अभय सिंह चौटाला खेल मंत्रलय के कहने पर भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) के आजीवन अध्यक्ष पद से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि आइओए अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक
समिति (आइओसी) के चार्टर को मानता है और उसके कहने पर ही वह इस पद को स्वीकार नहीं करेंगे, जबकि खेल मंत्री विजय गोयल और खेल मंत्रलय का साफ-साफ कहना है कि आइओए या किसी भी स्वतंत्र संगठन को मनमानी का अधिकार नहीं है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हालांकि सुरेश कलमाड़ी पहले ही आजीवन अध्यक्ष का पद स्वीकार करने से मना कर चुके हैं। पूर्व खेल मंत्री अजय माकन ने भी कलमाड़ी और चौटाला को आइओए से जोड़ने पर विरोध जताया था।
एक तरफ खेल मंत्रलय ने आइओए को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए शुक्रवार तक जवाब देने को कहा था, वहीं भारत के सर्वोच्च खेल संघ ने तय समय पर जवाब देने से इन्कार करते हुए कहा है कि उसके अध्यक्ष एन रामचंद्रन इस समय न्यूजीलैंड में हैं और वह भारत लौटने के बाद अपनी पैतृक संस्था आइओसी से इस बारे में पूछेंगे और उनको जिस तरह का निर्देश मिलेगा वही करेंगे। मालूम हो कि मंगलवार को चेन्नई में आइओए ने अपनी वार्षिक आम सभा (एजीएम) में दागी सुरेश कलमाड़ी और चौटाला को अपना आजीवन सदस्य बनाया था। इसका खेल मंत्रलय ने कड़ा विरोध किया है।
हॉकी इंडिया ने भी किया विरोध: हॉकी इंडिया की अध्यक्ष मरियम्मा कोसी ने भी गुरुवार को रामचंद्रन को पत्र लिखकर उनके निर्णय का विरोध किया है। दैनिक जागरण ने पहले ही बताया था कि एजीएम में सिर्फ आधे मिनट के अंदर ही इस प्रस्ताव को पास कर दिया गया था और कलमाड़ी सहित आइओए के अधिकतर अधिकारियों को भी इस बारे में पता नहीं था। कोसी ने कहा कि हॉकी इंडिया आधे मिनट के अंदर पेश इस प्रस्ताव का विरोध करती है। इस पर बैठक में कोई चर्चा भी नहीं हुई। हॉकी इंडिया के पूर्व अध्यक्ष व वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ के अध्यक्ष नरेंद्र बत्र ने भी कलमाड़ी-चौटाला की नियुक्ति का विरोध किया था। 
जवाब न मिलने पर मान्यता निलंबन की धमकी: खेल मंत्रलय का साफ-साफ कहना है कि अगर आइओए नोटिस का जवाब नहीं देता है तो उसकी राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की मान्यता को निलंबित करने पर विचार किया जा सकता है। वहीं, आइओए का कहना है कि हम ओलंपिक चार्टर को मानते हैं और सीधे इस तरह किसी नोटिस का जवाब नहीं दे सकते हैं। हम कोई जवाब देने से पहले आइओसी से बात करेंगे। सामान्यत: हम इस तरह के नोटिस का जवाब नहीं देते हैं। हालांकि अब सवाल यह खड़ा होता है कि अगर आइओए और खेल मंत्रलय के बीच लड़ाई लंबी खिंचती है तो भारत के पहले से खराब चल रहे ओलंपिक अभियान को और झटका लग सकता है। एक बात और महत्वपूर्ण है कि अगर आइओसी चौटाला को इस मानद पद पर बनाए रखती है तो फिर खेल मंत्रलय का रुख क्या होगा ये भी देखने वाला होगा। आइओए भले ही स्वायत्तता का दंभ भरती हो, लेकिन उसके अधीन आने वाले अधिकतर राष्ट्रीय खेल संघ केंद्र सरकार से मिलने वाली मदद पर ही आश्रित हैं।
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साभारजागरण समाचार 
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