Saturday, December 10, 2016

बैंक क्यों नहीं दे रहे 24000 - सुप्रीम कोर्ट

बैंकों के बाहर लंबी लाइन और नो कैश का जवाब पाकर या 24,000 की जगह 2 से 5 हजार रुपये लेकर लौट रहे लोगों की परेशानियों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह बैंक से निकासी की न्यूनतम निश्चित सीमा क्यों नहीं तय कर देती। कोई ऐसी निश्चित राशि होनी चाहिये जिसका भुगतान करने से बैंक
मना न कर सके। अदालत ने केंद्र से पूछा बैंक ग्राहकों को साप्ताहिक अधिकतम निकासी रकम 24,000 रुपये क्यों अदा नहीं कर पा रहे हैं? यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। कोर्ट ने सरकार से बुधवार तक इस पर जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने बैंकों में पर्याप्त नकदी न होने से लोगों को हो रही परेशानी पर चिंता जताई। सरकार से दो बिंदुओं पर जवाब मांगा है। इसमें न्यूनतम निश्चित निकासी राशि तय करने के अलावा जिला सहकारी बैंकों को कुछ शर्तो के साथ रुपये जमा करने की इजाजत देने का तंत्र बनाने पर विचार करने को कहा है। सरकार को नोट बंद करने का अधिकार है कि नहीं और नोटबंदी की अधिसूचना कहां तक कानूनी और वैध मानी जाएगी इस पर विस्तृत विचार के लिए कोर्ट ने नौ सवाल तय किए हैं। लेकिन कानूनी पहलू खंगालने से पहले लोगों की मौजूदा परेशानी पर बुधवार को सुनवाई होगी।
शुक्रवार को कांग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि बैंकों में लंबी लाइन है, एटीएम में कैश नहीं और लोग बहुत परेशान हैं। उनका समर्थन करते हुए अधिवक्ता पी. चिदंबरम ने कहा कि उन्हें 24,000 की पहली किस्त निकालने में 3 दिन लगे। सरकार के पास पैसे नहीं है। करीब 12 लाख करोड़ रुपये पुराने जमा हुए हैं और सिर्फ 4 लाख करोड़ नये आये हैं। जितने नोट चाहिये उतने छपने में सात महीने लगेंगे। उधर, केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि काला धन बाहर निकालने, आतंकवाद पर लगाम और नकली नोट रोकने के लिए नोटबंदी की गई। अगले 15 दिन में सब ठीक हो जाएगा। 
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साभारजागरण समाचार 
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