Friday, November 18, 2016

SYL के पानी के लिए फिर सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा हरियाणा

सतलुज यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) पर पंजाब और हरियाणा का पारा दिनों दिन चढ़ता जा रहा है। पंजाब ने एसवाईएल की जमीन भूस्वामियों को वापस करने का प्रस्ताव पारित कर दिया तो हरियाणा इसे रुकवाने के लिए गुरुवार को सुप्रीमकोर्ट पहुंच गया। हरियाणा ने अर्जी दाखिल कर एसवाईएल की जमीन सुरक्षित रखने के लिए सुप्रीमकोर्ट से रिसीवर नियुक्त करने का आग्रह किया है ताकि जमीन व आधी बन चुकी नहर को कोई क्षति न पहुंचे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हरियाणा ने इसके साथ ही एसवाईएल नहर का निर्माण कराने के कोर्ट के आदेश और डिक्री को लागू करने की भी मांग की है। सुप्रीमकोर्ट हरियाणा की इस अर्जी पर सोमवार को सुनवाई करेगा।

गुरुवार को हरियाणा सरकार के वकील जगदीप धनकड़ और अनीश कुमार गुप्ता ने न्यायमूर्ति एआर दवे और न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर की पीठ के समक्ष मामले का जिक्र करते हुए तत्काल अंतरिम आदेश मांगा। उनकी दलील थी कि संवैधानिक तंत्र फेल हो रहा है किसी भी राज्य को सुप्रीमकोर्ट के आदेश की अवहेलना का अधिकार नहीं है। जबकि पंजाब ने कैबिनेट फैसला करके एसवाईएल की जमीन भूस्वामियों का वापस देने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। इसके कारण एसवाईएल परियोजना की भूमि डिस्टर्ब होने का अंदेशा है। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सोमवार को सुनवाई की मंजूरी दे दी। 

हरियाणा ने दाखिल अर्जी और हलफनामे में कहा कि सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र सरकार को नहर का निर्माण पूरा करने का आदेश दिया था। केंद्र ने उस आदेश के बाद 2004 में केंन्द्रीय कमेटी भी गठित की, लेकिन इसके बाद नहर के निर्माण के लिए कुछ नहीं किया गया। केंद्र सरकार का दायित्व है कि वह कोर्ट के आदेश के मुताबिक नहर का निर्माण पूरा करे। एसवाईएल के लिए अधिगृहीत जमीन भूस्वामियों को वापस देने के पंजाब के प्रस्ताव को देखते हुए हरियाणा ने सुप्रीमकोर्ट से मांग की है कि कोर्ट तत्काल जमीन की सुरक्षा के लिए रिसीवर नियुक्त करे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो लोग जमीन पर कब्जा कर लेंगे और इससे नहर निर्माण का कोर्ट का आदेश और डिक्री निष्फल हो जाएगी। हरियाणा ने पंजाब पर कोर्ट के आदेश की अवहेलना का आरोप लगाते हुए कहा कि उसने हमेशा एसवाईएल परियोजना में बाधा डाली है पंजाब की मंशा कभी भी हरियाणा को उसके हिस्से का 3.50 एमएएफ पानी देने की नहीं रही है। अगर कोर्ट ने रिसीवर नहीं नियुक्त किया तो उसे न भरपाई होने वाला नुकसान होगा जबकि रिसीवर नियुक्त करने से पंजाब या और किसी पक्षकार को कोई नुकसान नहीं होगा।

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साभारजागरण समाचार 
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