Saturday, November 12, 2016

SYL नहर मामला: हरियाणा को डिक्री लागू करने पर भी जल्द फैसले की उम्मीद

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले के बाद हरियाणा को अब अपने हिस्से का पानी लेने के लिए वाटर ट्रिब्यूनल में जाने की जरूरत नहीं है। क्योंकि हरियाणा ने 1996 में सुप्रीम कोर्ट में एसवाईएल नहर का पंजाब के हिस्से निर्माण जल्दी कराए जाने को लेकर सूट दायर किया गया था। यह सूट 15 जनवरी 2002 को हरियाणा के
पक्ष में डिक्री हो गया था। इस डिक्री को एक्जीक्यूट कराने का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। उम्मीद है इस पर भी 2-3 महीने में फैसला जाएगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। कोर्ट तय करेगी कि वह डिक्री को किस एजेंसी से एक्जीक्यूट करवाती है। हरियाणा के एडवोकेट जनरल बलदेवराज महाजन ने भास्कर से बातचीत में कावेरी जल विवाद का उदाहरण दिया। कहा, 'तमिलनाडु-कर्नाटक में भी ऐसा ही विवाद था। सुप्रीम कोर्ट ने वहां डिक्री को एक्जीक्यूट करवाया और पानी रिलीज भी होने लगा है। इसी तरह पंजाब को भी सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानना ही पड़ेगा।' 
केंद्र सरकार तटस्थ: जल विवाद पर केंद्र सरकार का रुख तटस्थ ही है। वह चाहता है कि हरियाणा पंजाब इसे आपस में सुलझाएं। हालांकि यदि दोनों राज्य चाहें तो केंद्र मध्यस्ता के लिए तैयार है। उधर, तनाव या हिंसा के मद्देनजर केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधिकारी दोनों राज्यों के पुलिस महानिदेशकों के संपर्क में हैं। अर्ध सैनिक बलों की करीब डेढ़ सौ टुकड़ियां तैयार हैं ताकि आपात स्थिति में इन्हें फौरन रवाना किया जा सके। 
हरियाणा रोडवेज की पंजाब जाने वाली लंबे रूट की बसें बंद: हरियाणा ने पंजाब में लॉन्ग रूट पर चलने वाली रोडवेज बसें बंद कर दी हैं। 60 किमी. के रूटों पर बसें चल रही हैं। ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के एसीएस एसएस ढिल्लो ने बताया कि यह कदम एहतियातन उठाया गया है। अगर पंजाब में बसों के साथ कोई घटना हो तो उन्हें जल्दी वापस बुलाया जा सके। वहीं, प्रदेश के कई जिलों में धारा 144 लगा दी गई है। नहरों पर 5 लोगों से ज्यादा इकट्‌ठा होने पर पाबंदी है। 
सुप्रीम कोर्ट में तेज सुनवाई और मजबूत पैरवी का हरियाणा के प्रयास का असर दिखा। प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर सुनवाई 12 साल से अटकी थी। हरियाणा की कोशिशों से ही मार्च 2016 से मई 2016 के बीच तीन माह में ही 40 सुनवाई हो गई और करीब 12 महीने में फैसला भी गया है। अक्टूबर 2015 में हरियाणा ने तेज सुनवाई की पैरवी शुरू की। हरियाणा के एजी बलदेव राज महाजन, उनकी अपनी टीम और 40 वकीलों की एक और टीम लगी। जनवरी 2016 में केस लिस्ट हुआ था। जल बंटवारे संबंधी करार के मुताबिक पंजाब से हरियाणा को 35 लाख एकड़ फीट (एमएएफ) मिलना है। अभी 16.5 एमएफ पानी भाखड़ा से मिल रहा है। तकरीबन 19 एमएएफ पानी एसवाईएल के जरिए मिलना है। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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