Thursday, November 10, 2016

मैनेजमेंट: चुनौती भरी स्थितियां आपको स्मार्ट बनाती हैं

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
मुंबई में ज्यादातर कॉलोनियों में मछली बेचने वालों को मछलियों के साथ रहवासी सोसायटियों में प्रवेश नहीं दिया जाता। किंतु जब 500 और 1000 रुपए के मौजूदा करेंसी नोट चलन से बाहर करने की प्रधानमंत्री की
घोषणा समुद्र तक पहुंची तो मछुआरों के लिए बहुत देर हो चुकी थी। वे तब तक उस दिन की अपनी मछलियां पकड़ चुके थे और उफनते अरब सागर से अपने घर लौट रहे थे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मुंबई के विभिन्न बंदरगाहों से पकड़ी गईं मछलियां मुंबई के विभिन्न इलाकों में तड़के 3.30 और 4 बजे के बीच पहली ट्रेन रवाना होने के साथ जाना शुरू हो जाती हैं। 
इसके पहले सितारा होटलों के शेफ बंदरगाहों पर ताजा मछली खरीदने के लिए होड़ मचाते हैं। आधी रात को अपने रेस्तरां बंद करने के बाद वे सीधे वहीं पहुंच जाते हैं। मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात मछुआरों को इन शेफ के लिए क्रेडिट सुविधा देनी पड़ी, क्योंकि उनमें से किसी के पास भी 100 रुपए के नोट नहीं थे, जब कि जो मछलियां वे खरीदते हैं उसके लिए कम से कम 2,500 और अधिकतम 4 हजार रुपए तक चुकाना होते हैं। बिक्री तब बहुत घट गई जब उनमें से कुछ लोगों ने 500 और 1,000 के नोट स्वीकार करने और क्रेडिट सुविधा देने से इनकार कर दिया। अपने कॉर्पोेरेट ग्राहकों के साथ बहुत कम बिक्री के बाद मछुआरों ने जल्दी से बैठक कर अपना मॉल बेचने की रणनीति बनाई, जो जल्दी ही खराब हो जाती है। इसके नतीजे के आधार पर ही उन्होंने अगले दिन समुद्र में जाने का फैसला लेने का विचार किया। 
बुधवार की अलसुबह ये मछुआरे अपने नियमित ग्राहकों की तलाश में निकले। उनमें से कुछ के बारे में वे जानते थे कि वे किस कॉलोनी में रहते हैं, लेकिन उनकी विंग (ए अथवा बी) और फ्लैट नंबर नहीं जानते थे। उन्होंने अगले एक हफ्ते के लिए उन्हें क्रेडिट सुविधा यानी उधार पर माल देने की पेशकश की। मेरी कॉलोनी में तीन सौ ज्यादा सदस्य रहते हैं और उनमें 30 फीसदी नॉन-वेज हैं। मुझे उनकी सेल्सटॉक ने बहुत प्रभावित किया, जो किसी राजनेता की सुविचारित चर्चा जैसी थी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मैंने मछुआरे समुदाय की एक महिला को अपने नियमित ग्राहक से कहते सुना, 'चूंकि प्रधानमंत्री ने काले धन पर सर्जिकल स्ट्राइक किया है तो हम नहीं चाहते कि आप अपने पसंदीदा व्यंजन मिस करें। इसलिए हमने मछलियां कुछ सस्ती बेचने का निर्णय किया है और वह भी क्रेडिट फेसिलिटी पर। यह सुविधा तब तक जारी रहेगी, जब तक कि आपके हाथों में नकदी नहीं जाती। हमारी इस पहल से हममें से कई लोगों को असुविधा होगी। शायद हफ्ते-दो हफ्ते तक ऐसा हो, जब तक कि सरकार द्वारा जारी नई करेंसी हर घर तक पहुंच जाए।' उनकी यह पेशकश इतनी प्रभावशाली थी कि कई लोगों ने पेशकश पर तुरंत रजामंदी दे दी और ये लोग जिन घरों में गए उनमें से 40 फीसदी घरों में सफलता मिली। 
अपनी चर्चा में उनके 'सर्जिकल स्ट्राइक' जैसे शब्दों के इस्तेमाल ने मुझे प्रभावित किया। एक ऐसे प्रोडक्ट के लिए उनकी सेल्स टॉक ने मुझे बहुत प्रभावित किया, जो हमेशा नकद व्यवहार के लिए भी शॉर्ट सप्लाई में ही रहेगी। अपनी बैंक पास बुक की प्रतियों से लैस मछुआरों ने उन लोगों को भी लुभाया, जो तत्काल पैसा उनके खातों में हस्तांतरित करना चाहते थे। केवल 40 फीसदी लोगों ने उनकी पेशकश ठुकराई। 
बुधवार को कई किराना दुकानें, मॉम एंड पॉप शॉप्स में कम से कम दोपहर 12 बजे के पहले बिज़नेस कम हुआ,जबकि ये मछुआरे अपनी सारी मछलियां उसी अवधि में बेचने में कामयाब रहे। वरना आमतौर पर ये देर रात तक बेची जातीं और कई बार तो नियमित मछली बाजार में अनबिकी रह जाती हैं। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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