Thursday, November 17, 2016

नोटबंदी पर लोगों की समस्याओं को लेकर राज्यसभा में सरकार को घेरेगा विपक्ष

पुराने बड़े नोट अचानक बंद करने के फैसले पर सरकार को राज्यसभा में विपक्ष के चौतरफा हमले का सामना करना पड़ा। कांग्रेस से लेकर सपा, बसपा, तृणमूल, जदयू और वामदलों ने सरकार के निर्णय को बिना तैयारी के लिया गया, मनमाना, असंवेदनशील और गरीबों की मुश्किलें बढ़ाने वाला बताया। वहीं सरकार ने कहा कि
परेशानी के बावजूद लोग इस कदम से खुश हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। शुक्रवार को कांग्रेस के आनंद शर्मा ने इस मुद्दे पर चर्चा की शुरुआत की। शर्मा ने नोटबंदी की सूचना खास लोगों को लीक करने का आरोप लगाते हुए पूछा कि स्टेट बैंक को मार्च में ही नोटबंदी के बारे में मालूम हो गया था। गुजरात के एक अखबार में अप्रैल में, जबकि दैनिक जागरण में अक्टूबर में इसकी खबर छप गई थी। आखिर भाजपा की प्रदेश इकाइयों ने नवंबर से पहले खातों में करोड़ों रुपये कैसे जमा करा दिए। उन्होंने अप्रैल के बाद एक करोड़ से अधिक विदेशी मुद्रा और सोना खरीदने वालों के नाम सार्वजनिक करने की मांग की। नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने उनका समर्थन किया और कहा कि लोकसभा स्थगित हो गई है। लिहाजा प्रधानमंत्री को यहां आकर हमारी बात सुननी चाहिए। आनंद शर्मा ने मोदी के भावुक भाषण में ‘जान को खतरे’ का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को उनका नाम बताना चाहिए, जिनसे उनको खतरा है। 
जदयू के शरद यादव ने पुरानी सूचना लीक की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराने की मांग करते हुए सरकार के कदम को चलती ट्रेन से अचानक कूदने जैसा बताया। उन्होंने कहा कि पीएम के कथन से उलट गरीब, अपाहिज तथा बुजुर्ग परेशान हैं, जबकि अमीर चैन की नींद सो रहे हैं। सरकार ने विजय माल्या समेत उद्योगपतियों के 7000 करोड़ के कर्ज माफ कर दिए, जबकि ईमानदारों को कतार में लगा दिया। उन्होंने विश्वास जताया कि वित्त मंत्री अरुण जेटली इस निर्णय में शामिल नहीं रहे होंगे। यदि ऐसा होता तो वह उन्हें जरूर संकेत दे देते। शरद के इस कथन पर जेटली समेत अधिकांश सदस्यों की हंसी छूट गई। 
गोयल ने दिया विपक्ष को जवाब : विपक्ष के आरोपों का जवाब बिजली राज्य मंत्री पीयूष गोयल ने दिया। उन्होंने कहा कि जब भाजपा ने सत्ता संभाली थी, तब देश घोटालों से त्रस्त था। उससे निजात दिलाने के लिए ही सरकार ने यह कदम उठाया है। गोयल के अनुसार, रिजर्व बैंक को लगा कि जितने नोट जारी किए गए हैं, उतने सिस्टम में वापस नहीं आ रहे। यानी बाकी को कहीं छुपाया गया है। ज्यादातर लोग सरकार के कदम का समर्थन कर रहे हैं। किसी भी ईमानदार व्यक्ति को इससे परेशान नहीं होना चाहिए। इससे महंगाई व ब्याज दरों के अलावा कर दरों में भी गिरावट आएगी। कर संग्रह बढ़ने से सरकार किसानों, मजदूरों, महिलाओं व अनुसूचित जातियों के कल्याण कार्यो पर ज्यादा पैसा खर्च कर सकेगी।
काला धन उम्मीद से कई गुना ज्यादा: नई दिल्ली में बुधवार को बैंक में पुरानी नोट बदलवाने के बाद उंगली में लगाई गई स्याही दिखाती बुजुर्ग महिला। ध्रुव कुमारजागरण संवाददाता, मधुबनी : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि नोट बंद करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले में हम उनके साथ हैं। इससे कालेधन पर प्रहार हुआ है। अब हम चाहते हैं कि बेनामी संपत्ति पर भी केंद्र सरकार जल्द हमला करे। लोग दो नंबर की कमाई कर बेनामी संपत्ति अर्जित कर रहे हैं। ऐसे लोग बिना कुछ किए आनंद का जीवन जीते हैं। उनपर नजर रखी जाए और शीघ्र हमला बोला जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि नोटबंदी की वजह से आम लोगों को दिक्कत हो रही है। उनकी परेशानी दूर करने के भी उपाय किए जाएं।
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साभारजागरण समाचार 
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