Wednesday, November 23, 2016

मैनेजमेंट ज्ञान: इसके पहले कि देर हो जाए टेक्नोलॉजी अपना लीजिए

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
भरोसा करें या नहीं नोट बंदी ही नहीं है, जिसने हमें टेक्नोलॉजी को अपनाने पर मजबूर किया है। हर रोज सुबह हम जो दूध खरीदते हैं, उससे लेकर मृतकों के अंतिम संस्कार तक टेक्नोलॉजी हमें बदल रही है। ये दो बड़े
परिवर्तन देश में पिछले सप्ताह में हुए हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। 
स्टोरी 1: जमशेदपुर में बिस्तुपुर से आदित्यपुर के बीच का 2.4 किलोमीटर का सफर किसी के लिए भी मुश्किल नहीं है अगर उद्‌देश्य बिना मिलावट का दूध एटीएम मशीन से लाने का हो तो। चकित होने की जरूरत नहीं है। यहां एटीएम का मतलब एनी-टाइम-मनी नहीं है। यह तो एनी टाइम मिल्क पर भी लागू होता है। वैष्णो डेरी के अमित सिंह ने वेंडिंग मशीन लगाई है, जिसमें से 24x7 दूध मिलता है। झारखंड का यह पहला मिल्क एटीएम है। हर सुबह लोगों को प्री-पेड कार्ड स्वाइप करने पर अपने रोज के कोटे का दूध मिल जाता है। यह दूध पाश्चरीकृत नहीं होता। पूरी तरह शुद्ध और कच्चा दूध होता है, जिसे अच्छे से उबालने की जरूरत होती है। यह सीधे फार्म से आता है और सुबह तीन बजे मशीन में लोड कर दिया जाता है। 
वैष्णो डेरी ने ग्राहकों लिए रिचार्जेबल स्मार्ट कार्ड जारी किए हैं। ग्राहक इस कार्ड को स्वाइप कर डिस्पेन्सर से 42 रुपए प्रति किलो की कीमत पर दूध खरीद सकते हैं। यूजर को आठ डिजिट वाले आईडी नंबर को वेंडिंग मशीन के सेंसर के सामने रखना होता है। इसके बाद ग्राहक को जरूरत के अनुसार मशीन में बटन प्रेस करना होते हैं। ग्राहक हर रोज अधिकतम दो लीटर तक दूध यहां से ले सकता है। मांग के साथ भविष्य में लिमिट बढ़ाई जा सकती है। ऐसा सिर्फ किसी मध्यस्थ द्वारा गलत इस्तेमाल से रोकने के लिए किया गया है। मशीन के रेफ्रिजरेटेड टैंक में 200 लीटर दूध 4 डिग्री तापमान पर स्टोर रहता है। मिल्क एटीएम के अलावा डेरी अगले महीने से मिल्क ऑन व्हील्स सेवा भी शुरू करने जा रही है। इसमें जीपीएस सुविधा के साथ 600 लीटर क्षमता की वैन घर-घर पहुंचेगी। जीपीएस इसलिए लगाया गया है, ताकि ग्राहक यह समझ सके कि वैन कहां है। साथ ही डेरी से भी इसकी मुवमेंट पर नज़र रखी जा सकती है। जमेशदपुर के आदित्यपुर, सेराइकेला और खरस्वान में एटीएम के तीन अल्फाबेट्स को इस तरह नई परिभाषा दी गई है। किसी भी राशि से स्मार्टकार्ड को रिचार्ज किया जा सकता है। 
स्टोरी 2: चेन्नई का वेलांगाडु शवदाहगृह, इंडियन कम्यूनिटी वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन (आईसीडब्ल्यूओ) के प्रशासनिक अधिकार में है। यहां जल्द ही वाई-फाई व्यवस्था होने वाली है। इससे मृतक के परिवार और मित्र दुनियाभर से अंतिम संस्कार में वर्चुअल भागीदार बन सकेंगे। तेज और मुफ्त वाई-फाई कनेक्शन से सिर्फ अंतिम संस्कार में पहुंचने वालों को स्थान के बारे में जानकारी देना आसान हो जाएगा, बल्कि बाहरी स्थानों या देशों से जो लोग अंतिम संस्कार में पहुंच नहीं पा रहे हैं वे भी इसमें लाइव शामिल हो सकते हैं। आईसीडब्ल्यूओ लोगों की प्रतिक्रिया लेगी और इसके बाद पॉजिटिव फीडबैक के आधार पर इस सुविधा का इस्तेमाल अन्य शवदाह गृहों में भी किया जा सकता है। 11 सदस्यों की टीम ने इस टेक्नोलॉजी को वर्तमान में शुरू किया है। टीम शोकाकुल परिवार को डिसटर्ब किए बिना ही अंत्येष्टि में शामिल हो सकने वाले परिजनों तक अंतिम संस्कार को लाइव पहुंचाएंगे। मीनाम्बक्कम का स्थानीय रोटरी क्लब इसमें होने वाले खर्च को वहन करेगा, क्योंकि शोकाकुल परिवार से भुगतान का कहना तो समझदारी नहीं होगी। ऐसा इसलिए भी किया गया है, क्योंकि महिलाओं के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में भाग लेने पर कई जगह निषेध है। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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