Thursday, November 3, 2016

हरियाणा के शेक्सपीयर पंडित लख्मीचंद पर फिल्म बनाएंगे यशपाल शर्मा, जानेगी पूरी दुनिया

हरियाणा के शेक्सपीयर माने जाने वाले दिवंगत सांगी पंडित लख्मी चंद को अब पूरी दुनिया जानेगी। इसके लिए बॉलीवुड अभिनेता यशपाल शर्मा हरियाणवी लोक संस्कृति के पितामह पर जल्द ही फिल्म बनाएंगे। ऑस्कर अवार्ड जीतने के लक्ष्य के साथ बनाई जाने वाली इस फिल्म में पंडित लख्मी चंद के जीवन और संघर्ष के साथ उनकी शख्सियत के तमाम पहलू नजर आएंगे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। पंडित लख्मी चंद के जीवन चरित्र को बारीकी से समझने के लिए यशपाल शर्मा आजकल उनसे जुड़ा साहित्य पढ़ रहे हैं। उनका कहना है कि पंडितजी को जितना पढ़ा जा रहा, उतनी अधिक जानकारियां उनके बारे में सामने आ रही हैं। इसलिए वे फिल्म बनाने में कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहते। मूल रूप से हिसार जिले के रहने वाले यशपाल शर्मा ने गंगाजल और लगान सरीखी कई हिट फिल्में दी हैं। यशपाल को इस बात का मलाल है कि हरियाणवी में काफी कम फिल्में बन रही हैं। पिछले पांच दशक में हरियाणा की पांच बड़ी फिल्में भी परदे पर नहीं आ सकी। यशपाल के अनुसार फिल्म चंद्रावल वाला दौर लाने की जरूरत है। मराठी और पंजाबी फिल्में करोड़ों का बिजनेस करती हैं, मगर हरियाणा इससे अछूता है। पंडित लख्मी चंद कई महान संतों से ऊपर की शख्सियत हैं। इसलिए फिल्म बनाकर पूरी दुनिया को उनके बारे में बताया जाएगा। 

पंडित लख्मी चंद ने दिलाई रागनी व सांग को पहचान: सोनीपत के जाटी कलां गांव में 1903 में जन्मे लख्मी चंद हरियाणवी भाषा के प्रसिद्ध कवि व लोक कलाकार थे। हरियाणवी रागनी व सांग को उन्होंने नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। सिर्फ 45 वर्ष की उम्र में वे दुनिया छोड़ गए। उनके नाम पर साहित्य के क्षेत्र में कई पुरस्कार दिए जाते हैं। उनके द्वारा रचित कुछ प्रमुख सांग नल-दमयंती, मीराबाई, सत्यवान सावित्री, सेठ तारा चंद, पूरन भगत व शशि लक्कड़हारा हैं। उनके पुत्र पंडित तुलेराम ने उनकी परंपरा को आगे बढ़ाया। अब पौत्र विष्णु उनकी इस परंपरा का हरियाणा, राजस्थान व उत्तर प्रदेश में प्रचार कर रहे हैं।

हरियाणा पर दांव खेलने से डरने लगे फिल्म निर्देशक: यशपाल शर्मा के अनुसार उन्होंने मुंबई के कई निर्देशकों से हरियाणवी कल्चर पर फिल्में बनाने का आग्रह किया, लेकिन खाप पंचायतों के फैसले, कन्या भ्रूण हत्या और आरक्षण आंदोलन की वजह से हुई हिंसा के कारण प्रदेश की छवि अच्छी नहीं है। निर्देशक पैसा लगाने से डरते हैं। फिर भी पगड़ी और सतरंगी सरीखी अहम फिल्में हमने दी हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई।

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साभारजागरण समाचार 
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